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नरेन्द्र नगर;

वाचस्पति रयाल

25 लाख रुपये से निर्मित शौचालय साल भर में ही ध्वस्त हो गया और  7 दुकाने भी तहस-नहस हुई, जब प्रशासन ने दुकानें खाली कराई।
शौचालय के नीचे निवासरत 6 परिवारों ने मकान छोड़े और  पशुओं सहित खुद भी अन्यत्र जाने को मजबूर हुए। इसमें पर्यटन विभाग की लापरवाही उजागर हुई।

हुआ यूं कि ऋषिकेश- गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग के आगरखाल़ कस्बे में पर्यटन विभाग द्वारा निर्मित 25 लाख से बना सुलभ शौचालय 1 वर्ष की मामूली बरसात की भेंट चढ़ कर ध्वस्त हो गया।
शौचालय के ध्वस्त होने की वजह शौचालय कोे भू-धंसाव वाले भूमि पर बनाया जाना बताया जा रहा है।
आगर ग्राम पंचायत के प्रधान शिव सिंह रावत का कहना है कि इसी स्थान पर वर्ष 94 -95 में निर्मित 10 सीटर कंबाइंड सुलभ शौचालय वर्ष 2012 -13 में ध्वस्त हुआ । मगर इसके बनने के 3-4 वर्षों बाद ही इस पर दरारें पड़नी शुरू हो गई थी।
दरअसल स्थान पूर्व से ही भू- धंसान वाला क्षेत्र है, बावजूद यह जानते हुए भी पर्यटन विभाग ने अपनी हठधर्मिता दिखाते हुए इसी भू-धंसाव वाले स्थान पर 25 लाख की लागत से  फिर से 12 सीटर कंबाइंड सुलभ शौचालय वर्ष 2016 में निर्मित कर दिया।

इसका उपयोग अप्रैल 2017 से प्रारंभ किया गया और सितंबर 2018 में तहस-नहस हो गया।
इस शौचालय पर दरारें 15 दिनों पूर्व आ चुकी थी, मगर रविवार 9 सितंबर को दरारें और चौड़ी होती गई दीवारें टेढ़ी-मेढ़ी हो गई इसे देख कस्बे के लोग सकते में आ गए, स्थानीय लोगों ने घटना की सूचना नरेंद्र नगर प्रशासन को दी, सूचना पर तहसीलदार नरेंद्र नगर विजय सिंह तोपवाल तत्काल 7:45 बजे रात्रि मौके पर पहुंचे, स्थानीय नागरिकों का कहना था कि शौचालय की छत वह दीवारों का मलवा तत्काल हटाने की प्रक्रिया शुरू की जाए ताकि  शौचालय के नीचे बसे परिवारों को बड़े खतरे से बचाया जा सके।

तहसीलदार ने जिला अधिकारी से अनुमति लेकर जे सी बी द्वारा ऊपर का मलवा हटवाने का काम शुरू किया। शौचालय के दोनों ओर प्रभावित 7 दुकानों को खाली करा दिया गया है।
उधर शौचालय के ठीक नीचे बसे अजय सिंह, विजय सिंह, धर्म सिंह, चतर सिंह, विक्रम सिंह, शिव सिंह और मनोज ने खतरे को भांपते हुए पशुओं सहित अपने -अपने परिवारों को अन्यत्र शिफ्ट कर दिया है।

लोगों का गुस्सा पर्यटन विभाग पर फूटता जा रहा है आगर ग्राम पंचायत के प्रधान शिव सिंह रावत का कहना है कि उनके सहित क्षेत्रीय जनता ने भू-धंसाव वाले इस स्थान पर सुलभ शौचालय निर्माण पर आपत्ति जता कर यहीं कहीं अन्यत्र बनाए जाने की मांग की थी।

मगर पर्यटन विभाग ने अपनी हठधर्मिता के चलते इसी भू-धंसाव वाले क्षेत्र में जबरन 25 लाख का शौचालय निर्मित करा दिया। जिसका खामियाजा स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है 7 दुकानदार बेरोजगार हो गए हैं और आधा दर्जन से अधिक परिवारों को खतरा पैदा हो गया है, उन्होंने कहा इस भरपाई को पूरा कौन करेगा। भू-धंसाव वाले स्थानीय जनता के मना करने के बावजूद पर्यटन विभाग ने जबरन क्यों शौचालय निर्माण कराया ?
इस मुद्दे पर उनसे बात करने के लिए इस संवाददाता ने कई मर्तबा फोन पर उनसे बात करनी चाहिए, वह अपनी बात सिर्फ यह कह कर टाल गए कि मैं अभी कुछ देर बाद फोन करता हूं।

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