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जब 18 अगस्त को राज्य में बारिश का हाई अलर्ट था, पहाड़ों में मूसलाधार बारिश हो रही थी. शनिवार का दिन था, सचिवालय के कर्मचारी और अधिकारी अपना-अपना वीकेंड मना रहे थे.. तब सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर केदारनाथ के सोलह किलोमीटर के पैदल मार्ग पर छाता ओढ़े पूरे सरकारी अमले के साथ ट्रैकिंग कर विभागीय योजनाओं और प्रगति कार्यों का  जायजा ले रहे थे


देहरादून;
राज्य उत्तराखण्ड, सचिव पर्यटन  दिलीप जावलकर द्वारा केदारनाथ धाम में मार्गीय सुविधा विकास संबंधित विभिन्न योजनाओं का  निरीक्षण करने के लिए 18 अगस्त को लगभग 16 किलोमीटर का पैदल भ्रमण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने संबंधित अधिकारियों से कार्य की प्रगति का जायजा लिया और यात्रा को सुगम तथा सुरक्षित बनाए जाने के विषय पर विस्तृत चर्चा की तथा जरूरी दिशा निर्देश दिए. उन्होंने बताया कि शीघ्र ही यात्रा मार्ग पर स्थित अस्थाई शौचालयों का स्थान स्थाई शौचालय ले लेंगे जिससे पर्यटकों को स्वच्छता के बेहतर इंतजाम उपलब्ध कराए जा सकेंगे.
भ्रमण के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री के निर्देशन में संचालित हो रही विभिन्न योजनाओं का मूल्यांकन किया. उन्होंने बताया कि केदारनाथ की ओर जाने वाली एप्रोच रोड तथा परिसर विस्तारीकरण का कार्य पूरा कर लिया गया है. जबकि सितंबर माह के अंत तक प्लाजा के निर्माण कार्य के संपन्न करने के निर्देश दिए गए. उन्होंने बताया कि लोक निर्माण विभाग को भैरवनाथ पुल तथा गरुड़चट्टी पर बनने वाले पुल के लिए लगभग आठ करोड़ का एस्टीमेट तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने बताया कि  यात्रा मार्ग में  स्वच्छता  तथा शौचालय की  सुविधा को  और अधिक सुदृढ़ करने के  उद्देश्य से सुलभ इंटरनेशनल को निर्देशित किया गया है, कि भविष्य में अस्थाई शौचालय के स्थान पर स्थाई शौचालयों का निर्माण किया जाएगा।
इस संबंध में जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग को विभिन्न स्थानों का चिन्हीकरण कर प्रस्ताव शासन को प्रेषित करने के निर्देश दिए गए. उन्होंने अवगत कराया कि मार्ग पर चल रहे खच्चरों की देखभाल के लिए पशुपालन विभाग द्वारा किए जा रहे कार्य संतोषजनक नहीं थे।
इस संबंध में पशुपालन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि वह यथाशीघ्र खच्चरों की उचित देखभाल के लिए आवश्यक प्रबंध करें।
केदारनाथ मार्ग पर स्थानीय व्यापारियों द्वारा किए जा रहे अतिक्रमण पर उन्होंने रोष प्रकट किया और इस संबंध में स्थानीय उपजिलाधिकारी तथा थानाध्यक्ष को यह निर्देश दिए कि वह सरकारी परिसंपत्तियों पर होने वाले किसी भी अतिक्रमण को हटाने के लिए तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित करें।
गौरीकुंड में तप्त कुंड के रखरखाव के लिए गढ़वाल मंडल विकास निगम को डीपीआर तैयार कर शीघ्र कार्य शुरू करने के निर्देश दिए गए, साथ ही तप्तकुंड तक एक स्वतंत्र मार्ग के निर्माण के विषय में भी निर्देश दिए गए।
इस निरीक्षण भ्रमण के दौरान उनके साथ जिला अधिकारी रुद्रप्रयाग, वरिष्ठ अभियंता लोक निर्माण विभाग, अधिशासी अभियंता सिंचाई विभाग, व्यापार संघ के प्रतिनिधि तथा अन्य अधिकारी उपस्थित रहे.जनसंपर्क अधिकारी,  उत्तराखंड पर्यटन. कमल किशोर जोशी   ने यह  जानकारी दी।

यह  उनका रूटीन निरीक्षण था, जिसे वह  टाल भी सकते थे।. मगर इसे कर्तव्यनिष्ठा कहिए, या फिर अपनी मंजिल तक पहुंचने का जुनून! उन्होंने उसी मूसलाधार बारिश में पैदल मार्ग से केदारनाथ पहुंचने का फैसला किया. वहां चल रही  कई योजनाओं का निरीक्षण जो करना था! पत्नी सौजन्या भी एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं. इसलिए उनको राज्य भर में जारी किए जा रहे  हाई अलर्ट की सूचना पहले से थी।
दिलीप ने उन्हें भी इस बात की खबर नहीं दी कि वह केदारनाथ के दौरे पर रवाना हो रहे हैं, केवल इसलिए कि कहीं मौसम विभाग की चेतावनी को देखते हुए वो उन्हें रोक न लें!
पहाड़ों का पैदल रास्ता, वह भी केदारनाथ का रास्ता जहां कुछ ही बरस पहले आई आपदा ने सब कुछ तबाह कर दिया हो! और ऊपर से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ! एक ओर आसमान में कड़कती हुई बिजली की दिल दहला देने वाली गर्जना और दूसरी ओर पहाड़ों से लुढ़कते हुए विशालकाय बोल्डरों और रोड़ों  के खाई में गिरने की दहशत पैदा कर देने वाली आवाज! ऐसे में घनी धुंध और कोहरे के बीच राज्य के पर्यटन सचिव रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी और  दूसरे आला अधिकारियों के साथ  बिना रुके न केवल  चढ़ाई चढ़ रहे थे,  बल्कि  कई योजनाओं  पर हुई प्रगति का  जायजा लेते हुए  अधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश भी दे रहे थे.
कमजोर दिल का आदमी इन परिस्थितियों में यदि दिल के दौरे का शिकार हो जाए तो किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए! केदारनाथ  की वादियों में पहाड़ी रास्ते पर जिंदगी और मौत के बीच के अनुभवों से नजदीक से रूबरू होते हुए सेक्रेटरी साहब के चेहरे पर शिकन नाम की कोई चीज नहीं थी. बस  उनकी बातों से इतना पता चलता था  कि उनके दिमाग में हर वक्त यही बात चल रही थी कि किस तरह इस रास्ते को इस काबिल बना दिया जाए कि लोग बारहों महीने बगैर किसी खौफ और खतरे के यहां आ सकें..!
यह एक उदाहरण है  हमारे समाज के  तमाम  अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए  कि अपने कर्तव्य का पालन करने के लिए  किस प्रकार की निष्ठा और प्रतिबद्धता की  आवश्यकता होती है! यही नहीं  ऐसे कर्मठ और जुझारु अधिकारी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं जो  सिविल सेवाओं में अपना भविष्य तलाश रहे हैं. लोग 
सेना के काबिल जवानों की भांति परिश्रम और साहस का परिचय देने के लिए  दिलीप जावलकर जीता जागता उदाहरण हैं ।  खुशी और गर्व की बात है कि तमाम काबिल अफसरों के बीच उत्तराखण्ड में भीU हमारे बीच ऐसे जांबाज अधिकारी मौजूद हैं जो अपनी जान पर खेलकर भी अपने कर्तव्य का पालन करने से पीछे नहीं हटते।

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