उत्तम सिंह
बीते पांच दिन से सौंग नदी की बाढ़ में घिरे गौहरीमाफ़ी के 250 परिवार जीवन रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पांचवें दिन भी सरकारी अमला बाढ़ पीड़ितों तक मदद पहुंचाने में नाकाम रहा। गांव में राशन और अन्य जरूरी सामग्री की किल्लत हो गयी है।
ग्राम प्रधान सविता रतूड़ी जे अनुसार ,कल चिकित्सक की एक टीम ने 15 बच्चों का चेकअप किया , और दवाई आशा को देकर चले गए थे। उन दवाई से आज कुछ बच्चों को शिकायत भी हुई। ऐसे में समझ नही आता कि कैसे मूलभूत सुविधाएं पीड़ितों तक पँहुचे जाए।
उन्होंने ये भी बताया कि राफ्ट भी ऐसे में काम नह कर पा रही है, गांव में बचा खुचा राशन भी खत्म होने को है। लंगर का लाभ ग्रामीण नदी के उस पार लेने जाएं तो कैसे? पीने के पानी का भी ऐसा हाल है कि बरसात के समय गंदा पानी पीने को मजबूर है।
हालांकि बताया जा रहा है कि देर शाम एसडीआरएफ ने बीमार व अन्य जरुरी काम से जाने वाले लोगों को रेस्क्यू किया है। अभी तक 13 परिवारों को राहत शिविर में पहुंचाया गया है।
सोमवार सुबह एसडीआरएफ ने रेस्क्यू अभियान शुरू किया। टीम को संसाधन जुटाने में पांच घण्टे से अधिक का समय लग गया। जिससे लोगों आक्रोशित होने लगे। इस दौरान रेस्क्यू कर लाया जा रहा एक युवक पानी की लहरों में गोता खा गया था । जिसे सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया ,लेकिन इससे ग्रामीण भड़क उठे। गुस्साए लोगों ने प्रशासन पर उनकी जान से खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए नारेबाजी शुरू कर दी।
कुछ लोगों ने एसडीआरएफ की रैपिड की रस्सियां काट दी। हंगामा बढ़ता देख एडीआरएम वित्त वीएस बुदियाल और एसडीएम हरगिरि ने किसी तरह लोगों को समझाया। वहीं ग्रामीणों ने रैपिड में बैठने से मना कर दिया। इसके बाद रेस्क्यू रोक दिया गया। वहीं निर्देश के बाद भी रायवाला प्राथमिक केंद्र से चिकित्सक मौके पर नहीं आए।
ग्रामीण विनोद रावत का कहना है कि 5 दिनों से नौकरी पेशा लोग नदी पार कर अपने काम पर नहो जा पा रहे।
वहीं देवेंद्र सेमवाल का कहना है कि यदि समय रहते शासन प्रशासन इस विषय पर गंभीरता से संज्ञान लेते तो स्थिति इतनी बदतर नही होती।
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