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देहरादून;
भूपेंद्र भण्डारी

प्रदेश सरकार ने भले ही प्लास्टिक पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगा दिया हो मगर रुद्रप्रयाग जिले में अभी पाॅलीथीन पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगाना चुनौती बना हुआ है। बाजारों में पाॅली बैगों पर प्रतिबन्ध के चलते कपडों से निर्मित बैग तो दिखने लग गये हैं मगर ब्रान्डेड कम्पनियों के पैक्ड बैग व पाॅउचों से अभी भी बाजार पटे हुए हैं। वहीं प्रशासन के सामने बडी चुनौती यात्रा मार्ग की है। केदारनाथ, तुंगनाथ व मदमहेश्वर पैदल मागों पर आज भी बारिश से बचने के लिए प्लास्टिक के रैन कोट बहुतायत मात्रा में प्रयोग किये जाते हैं जिन्हें देश विदेश के श्रद्वालु अपने उपयोग के लिए लाते हैं या फिर पैदल चट्टियों पर ये प्लास्टिक की सीटें कम दामों पर आसानी से मिल जाती हैं। उपयोग करने के बाद इन प्लास्टिक सीटों को बुग्यालों में यात्री फेंक देते हैं जिससे हर साल यहां से लाखों टन प्लास्टिक कचरा उठाया जाता है। यात्रा मार्ग में सामान को ढोकर ले जा रहे घोडे खच्चरों पर भी यही प्लास्टिक सीटें लगाई जाती हैं जो कि फटकर इधर-उधर गिरती रहती हैं और प्लास्टिक कचरा जमा होता रहता है। बडी बात यह है कि ये प्लास्टिक के कोट व सीटें सस्ते दामों पर कहीं भी मिल जाती हैं जिससे यात्री इन्हें खरीदना ही ज्यादा पसन्द करता है। अब ऐसे में प्रशासन के सामने बडी चुनौती यह होगी कि किस तरह से यात्रा मार्ग पर इन प्लास्टिक सीटों का विकल्प तलाशा जाय जिससे केदारनाथ पैदल मार्ग भी प्लास्टिक पाॅलीथीन मुक्त हो सके और आवागमन करने वाले तीर्थ यात्रियों को भी बारिश में भीगने से सहूलियत मिल सके। जिलाधिकारी का कहना है कि जिले में पाॅलीथीन पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगा दिया गया है इसके लिए नगर पंचायतों व पालिका को निर्देश देने के साथ ही सभी उपजिलाधिकारियों व जिला पंचायत के अधिकारियों को भी जनपद को पाॅलीथीन मुक्त बनाने के कडे निर्देश दिये गये हैं साथ ही केदारनाथ पैदल मार्ग पर हो रहे पाॅलीथीन के प्रयोग को रोकने के लिए व्यापक कार्ययोजना तैयार की जा रही है जिससे तीर्थ यात्रियों को भी दिक्कतें ना हों और मार्ग भी पाॅलीथीन मुक्त हो सके।

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