रुद्रप्रयाग;
श्री केदारनाथ में महाशिवपुराण कथावाचन के तीसरे दिन एक पक्षी कथावाचन करते समय आचार्य के समक्ष पुस्तक पर आकर बैठ गया, जिसे साक्षात शुकदेव जी, महाराज के समान बताया गया।
श्री बदरीनाथ - केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा परसों 03 अगस्त से श्री केदारनाथ धाम में 11 दिवसीय महाशिव पुराण कथा का प्रारंभ हो चुका है। मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बी.डी.सिंह ने केदारनाथ से बताया कि दिल्ली के दानीदाता महेन्द्र शर्मा के सहयोग से यह कथा आयोजित हो रही है। 2013 की केदारनाथ आपदा में दिवंगत आत्माओं की शांति हेतु 4 वर्षों से निरंतर सावन माह में महाशिव पुराण का आयोजन हो रहा है।
कथावाचक आचार्य दीपक नौटियाल ने कथा के तीसरे दिन शिवपुराण मे वर्णित शिव सती विवाह का वर्णन, दक्ष प्रजापति द्वारा यज्ञ का आयोजन, भगवान शिव का अपमान होने पर सती का हवन कुंड में भस्म होना, शिव गणों का राजा दक्ष के यज्ञ में उत्पात मचाना, भगवान शिव का दक्ष प्रजापति का सिर काटना पुन: बकरे का सिर लगाकर दक्ष को जीवित करने के प्रसंगों पर विस्तार से प्रकाश डाला ।भगवान शिव के रौद्र रुप एवं दयालु स्वरुप से पुन: राजा दक्ष को जीवित करने के प्रसंगों का वर्णन किया। इस अवसर पर प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल,,पुजारी टी गंगाधर लिंग, प्रभारी धर्माधिकारी ओंकार शुक्ला,डा.लोकेन्द्र रिवाड़ी,प्रबंधक अरविन्द शुक्ला, प्रदीप सेमवाल, स्वयंबर सेमवाल , मनोज शुक्ला, सुभाष सेमवाल, कैलाश जमलोकी,सूरज नेगी,उमेश शुक्ला,केदारसभा अध्यक्ष विनोद शुक्ला, आचार्य आनंद प्रकाश नौटियाल,एस आई विपिन पाठक मौजूद ऱहे। मंदिर समिति के कार्याधिकारी एन.पी. जमलोकी ने बताया कथा का समापन 13 अगस्त को है।वहीं मंदिर समिति के गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ मंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद देवीभागवत के तीसरे दिन कथा ब्यास आचार्य हिमांशु सेमवाल ने मां दुर्गा की महिमा का वर्णन किया, एवं प्रसिद्ध कथा व्यास डा. दुर्गेश आचार्य द्वारा तीसरे दिन महा शिवपुराण की कथाओं का श्रवण कराया।
फ़ोटो अरविंद शुक्ला
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