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गांव के नाम पर खोला जा रहा डिग्री कालेज शहर मे क्यो--ये कुछ, मन को  चुभते सवाल है, ग्रामीणों के

 ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थीयों के हितों को ध्यान में रखते हुए श्री देव सुमन  विश्विद्यालय ने जो फैसला लिया, उसका लाभ ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को मिलता नजर नहीं आ रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के नाम पर जिस महाविद्यालय को जोर-शोर से स्थापित किए जाने की तैयारी की जा रही है उसी महाविद्यालय को इस सत्र से ऋषिकेश शहर में शुरू किया जा रहा है। विश्वविद्यालय के इस फैसले से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का हैरान होना स्वाभाविक है। जिन बच्चों को लाभ पहुंचाने के लिए इस विश्विद्यालय को खोला जा रहा है उन्ही को इससे वंचित कर दिया गया है।


श्री देव सुमन विश्वविद्यालय का शैक्षणिक परिसर इसी सत्र से राजकीय महाविद्यालय ऋषिकेश के कैंपस में शुरू हो जाएगा। इसके लिए देहरादून में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। जब तक विश्विद्यालय के लिए भूमि हस्तांतरण आदि की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तब तक इसे ऋषिकेश में संचालित करने की योजना है। इस पर फिलहाल 40 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। बता दें कि विश्वविद्यालय के लिए रायवाला के पास छिद्दरवाला गांव में 20 बीघा वन भूमि चयनित की गई है। अब सवाल यह है कि जब महाविद्यालय को आने वाले समय में ग्रामीण क्षेत्र में स्थापित किया जाना है तो फिर इसको वैकल्पिक रूप से ऋषिकेश में क्यों शुरू किया जा रहा है। जबकि ग्रामीण क्षेत्र में पर्याप्त भूमि और भवन खाली पड़ा है उपलब्ध है। खास बात यह है कि जिस जगह विश्वविद्यालय के लिए भूमि प्रस्तावित है उसी के पास छिद्दरवाला राजकीय इंटर कॉलेज की पुरानी बिल्डिंग और काफी जमीन खाली पड़ी है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में ही जूनियर हाईस्कूल छिद्दरवाला, रीता राजकीय इंटर कॉलेज गढ़ी श्यामपुर, राजकीय इंटर कॉलेज खडरी खड़क माफ, राजकीय इंटर कॉलेज रायवाला, सत्यमित्रानंद गिरि इंटर कॉलेज हरिपुरकलां में पर्याप्त भवन और जमीन उपलब्ध है जहां 40 लाख रुपये से भी कम खर्च में वैकल्पिक रूप से विश्वविद्यालय की कक्षाएं शुरू की जा सकती हैं। गौरतलब है कि 70 के दशक में शुरू हुआ राजकीय महाविद्यालय ऋषिकेश भी पहले श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज के महज दो कक्षों में व राजकीय महाविद्यालय डोईवाला को प्राथमिक विद्यालय लच्छीवाला के दो कमरों में संचालित किया गया। ऐसे में नए राजकीय महाविद्यालय ग्रामीण क्षेत्र से 15 किलोमीटर दूर ऋषिकेश शहर में संचालित करने के औचित्य पर सवाल उठने स्वाभाविक हैं।  सवाल इस बात पर भी है कि ऋषिकेश में महा विद्यालय संचालित करने से ग्रामीण क्षेत्र के उन दूरस्थ क्षेत्र के विद्यार्थियों को कैसे लाभ पहुंचेगा जिनके लिए इस विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग लंबे समय से की जा रही है। बहरहाल वजह जो भी हो लेकिन इस सत्र से शुरू हो रहे नए राजकीय महाविद्यालय का लाभ ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को मिलना संभव नहीं होगा। इन विद्यार्थियों को एडमिशन व यातायात सम्बन्धी तमाम कई परेशानियों से पहले की तरह ही जूझना होगा।

साभार  दीपक जोशी

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