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राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस 2018

राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस 2018, रविवार 1 जुलाई को भारत के लोगों द्वारा मनाया जा रहा है।

चिकित्सक दिवस (डॉक्टर्स डे)

भारत में राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस एक बड़ा जागरुकता अभियान है जो सभी को बताता है डॉक्टरों की भूमिका, महत्व और जिम्मेदारी के बारे में ।साथ चिकित्सीय पेशेवर को इसके नजदीक आने और अपने पेशे की जिम्मेदारी को समर्पण के साथ निभाने के लिये प्रोत्साहित करता है। संपूर्णं चिकित्सीय पेशे के लिये सम्मान प्रकट करने के लिये डॉ बिधान चन्द्र रॉय की याद में इस दिन को मनाया जाता है।
राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस का इतिहास

राष्ट्रीय चिकित्सीय दिवस के रुप में हर वर्ष 1 जुलाई को पहचान और मनाये जाने के लिये 1991 में भारतीय सरकार द्वारा डॉक्टर दिवस की स्थापना हुई थी। भारत के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ बिधान चन्द्र रॉय (डॉ.बी.सी.रॉय) को श्रद्धांजलि और सम्मान देने के लिये 1 जुलाई को उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर इसे मनाया जाता है। 4 फरवरी 1961 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। उनका जन्म 1 जुलाई 1882 को बिहार के पटना में हुआ था। रॉय साहब ने अपनी डॉक्टरी की डिग्री कलकत्ता से पूरी की और 1911 में भारत लौटने के बाद अपनी एमआरसीपी और एफआरसीएस की डिग्री लंदन से पूरी की और उसी वर्ष से भारत में एक चिकित्सक के रुप में अपने चिकित्सा जीवन की शुरुआत की।

बाद में उन्होंने कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से एक शिक्षक के रुप में जुड़ गये और इसके बाद वो कैंपबेल मेडिकल स्कूल गये और उसके बाद कारमाईकल मेडिकल कॉलेज से जुड़ गये। वो एक प्रसिद्ध चिकित्सक थे और नामी शिक्षाविद् होने के साथ ही एक स्वतंत्रता सेनानी के रुप में सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान महात्मा गाँधी से जुड़े। बाद में वो भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के नेता बने और उसके बाद पश्चिम बंगाल के मुख्य मंत्री बने। इस दुनिया में अपनी महान सेवा देने के बाद 80 वर्ष की आयु में 1962 में अपने जन्मदिवस के दिन ही उनकी मृत्यु हो गयी। उनको सम्मान और श्रद्धंजलि देने के लिये वर्ष 1976 में उनके नाम पर डॉ.बी.सी. रॉय राष्ट्रीय पुरस्कार की शुरुआत हुई।

राष्ट्रीय डॉक्टर्स दिवस क्यों मनाया जाता है

डॉ बिधान चन्द्र रॉय पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री होने के साथ ही प्रसिद्ध और किंवदंती चिकित्सक को सम्मान देने के लिये 1 जुलाई को पूरे भारत भर में हर वर्ष राष्ट्रीय डॉक्टर्स दिवस को मनाया जाता है।
भारत में ये एक महान रीति है जो अपने महत्वपूर्णं भूमिका और जिम्मेदारी के साथ ही हर एक के जीवन में चिकित्सक की वास्तविक जरुरत को पूरा करने में मदद करती है। डॉक्टर्स की बहुमूल्य सेवा, भूमिका और महत्व के बारे में आम जन को जागरुक करने के लिये इस जागरुकता अभियान का वार्षिक उत्सव मदद करता है।
भारत की विशाल जनसंख्या कई तरीकों से चिकित्सक और उनके गुणवत्तापूर्णं उपचार पर निर्भर करती है जो उपाय और उपचार के तरीकों में उल्लेखनीय सुधार और प्रगति को दिखाता है। अपने पेशे की ओर समर्पण की कमी के कारण अपने गिरते करियर से उठने के लिये भारत के सभी डॉक्टर्स के लिये ये एक आँख खोलने वाला और प्रोत्साहन के तरीके के रुप में डॉक्टर्स दिवस का वार्षिक उत्सव साबित हुआ है।

कई बार सामान्य और गरीब लोग गैर-जिम्मेदार और गैर-पेशेवर के हाथों में फँस जाते हैं जो कई बार डॉक्टरों के खिलाफ लोगों की हिंसा और विद्रोह का कारण बन जाता है। जीवन बचाने वाले चिकित्सीय पेशे की ओर जिम्मेदारी को समझने के लिये तथा सभी डॉक्टर्स को एक ही जगह पर आकृष्ट करने के लिये ये जागरुकता अभियान का  एक  रास्ता है।

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