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 हल्द्वानी:
पंकज सक्सेना

नारी की स्थिति का  और मन को छूने वाला मार्मिक विवरण प्रसिद्ध लेखिका गौरा पन्त शिवानी की  नाटक रचना " "पिटी हुई गोट" से सहज की व्यक्त हो जाता है। इसी को आज मंच पर  निर्देशक कैलाश कुमार द्वारा लगभग 30 कलाकारों के साथ तैयार किए गए  नाटक 'पिटी हुई गोट' के द्वारा हमारे समाज में नारी की स्थिति को प्रदर्शित किया गया।  

पुस्तक मेला में साहित्य की प्रसिद्ध लेखिका गौरा पन्त 'शिवानी' की कहानी को नाटक में रूपांतरित किया गया।
नैनीताल की पृष्ठभूमि पर आधारित इस नाटक में लोककला के कई बिंदुओं को उजागर करने का भी प्रयास किया गया। कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों को अभिनय, स्टेज क्राफ्ट, लाइटिंग, मेकअप आदि का प्रशिक्षण भी दिया गया।
युवा नेता महिम भट्ट का दिल बुजुर्ग दुकानदार गुरदास की युवा पत्नी चन्दो पर आ जाता है और वह जुए में गुरदास को फंसाकर अंततः चन्दो को ही दांव पर लगाने को विवश कर देता है। जुए में धोखे से महिम आखिरकार चन्दो को भी जीत लेता है और अपमान से भरा हुआ गुरदास झील में कूदकर जान दे देता है। समाज की तिकड़मी चालों में उलझकर बेचारी चन्दो 'पिटी हुई गोट' की तरह महसूस करती है।
गुरदास के चरित्र में शहर के प्रतिष्ठित लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता कस्तूरी लाल तागरा के अभिनय की सभी दर्शकों ने प्रशंसा की। चन्दो के चरित्र को अपने मार्मिक अभिनय से ईशा श्रीवास्तव ने जीवन्त किया और कुटिल नेता महिम भट्ट के किरदार में सन्दीप सिंह ने भी खूब तालियां बटोरीं। अन्य अभिनेताओं में अली सिद्दीकी, हरीश त्रिपाठी, सन्दीप रावल, शिवानी, पूजा, रामकुमार आदि ने भी दर्शकों को प्रभावित किया। संगीत व्यवस्था में दयाल पांडे और पुष्पा टम्टा ने कार्य किया।

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