Halloween party ideas 2015

रूडकी:

रोहन फाऊंडेशन के तत्वावधान में  ,गर्मी की छुट्टियों के समाप्त होने से पूर्व राजकीय प्राथमिक विद्यालय गोविंदपुर में आयोजित समर कैंप में बच्चे बढचढकर हिस्सा ले रहे है। आज कैंप के चौथे दिन संदर्भदाता शिक्षक संजय वत्स ने दस्ताना कठपुतली व चेहरा कठपुतली बच्चो को न सिर्फ बनानी सिखायी बल्कि पपेट शो, व नाटिका भी अभिनय करायी।
विगत तीन दिनो से प्रतिभागी बच्चे  पूरी मस्ती के साथ नई जानकारियां लेते हुए व प्रतिभा को निखारते हुए ग्रीष्मावकाश का सदुपयोग कर रहे है।
गौरतलब है कि राजकीय प्राथमिक विद्यालय गोविंदपुर में 21जून से समर कैंप का आयोजन किया जा रहा है ।इस कैंप में न केवल इस स्कूल के ही, बल्कि सेवित गॉव के बच्चे भी भाग ले रहे है। बच्चों के लिए आर्ट एंड क्राफ्ट, मॉडलिंग, कठपुतली व मुखौटे बनाना, स्केटिंग, नृत्य, संगीत, एरोबिक्स, ग्रीटिंग कार्ड बनाना हैं जैसी गतिविधियां व , कोरियोग्राफी, संगीत, एरोबिक्स, टाई एंड डाई, कशीदाकारी, सलाद एंड सैंडविच बनाना, पॉट मेकिंग आदि सिखाया जा रहा हैं। कैंप में छोटे-छोटे बच्चों द्वारा प्रस्तुत लघु नाटिका में अपने उत्कृष्ट अभिनय से बच्चों ने जता दिया कि आने वाले दिनों में वे क्या धमाल मचा सकते हैं। प्रधानाध्यापक दीपक कुमार ने बताया कि आगे से बच्चों को समर कैंप का बेताबी से इंतजार रहेगा क्योंकि मौज मस्ती से भरपूर, इस कैंप में उनके लिए ज्ञान अर्जन के भी बहुत से मौके होते हैं। रोहन फाऊंडेशन की अध्यक्षा श्रीमती रीना रानी ने बताया कि कल बच्चो को मंजू रानी, सीमा राठी ने क्राफ्ट, व वैस्ट मैटिरियल से उपयोगी सामग्री बनाना सिखाया जो बेहद उपयोगी रहा।आज बच्चो ने कठपुतली कला के जरिये अभिनय करने के गुर सीखे।

संदर्भदाता संजय वत्स ने बच्चो को दस्ताना कठपुतली, चेहरा कठपुतली बनाना सिखायी।उन्होने बताया कि कठपुतलियों को सीमित जगह में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। विचित्र विशेषताओं वाले पात्रों – जैसे भूत, दैत्य,हाथी ,कौआ, डायनासौर – जिन्हें सामान्यतः मंच पर प्रस्तुत करना मुश्किल होता है, उन्हें भी दिलचस्प कठपुतलियों में ढाला जा सकता है। इन्हें आपके द्वारा बच्चों को सुनाई जाने वाली कहानियों के साथ तथा खुद बच्चों द्वारा बनाई गई कहानियों के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है।उन्होने कहा कि कठपुतलियों को इस्तेमाल करने के लिए अभिनय की कुछ योग्यता होना आवश्यक है, जैसे कि अलग-अलग किरदारों के लिए अलग-अलग आवाजों का इस्तेमाल करना। कठपुतली-संचालकों के लिए यह सीखना जरूरी है कि कठपुतलियों को कैसे चलाया जाता है। कठपुतलियाँ जो कह रही हैं ठीक उसी मुताबिक उनके मुँह खुलना चाहिए; कभी-कभी कठपुतलियों को स्थिर रहना होता है, या उपयुक्त ढंग से मुड़ना या चलना होता है, और साथ ही ध्यान से मंच पर प्रवेश करना व बाहर भी निकलना होता है। हालाँकि, बच्चों का कठपुतलियों पर बस इतना नियंत्रण होना चाहिए कि उनका नाटक रोचक रहे और दर्शकों के रूप में बैठे उन्हीं के साथियों को पूरा नाटक/पाठ समझ में आ सके।उन्होने बताया कि
बनी-बनाई कठपुतलियों की अपेक्षा शिक्षक/बच्चों के द्वारा बनाई गई कठपुतलियों के दो लाभ होते हैं: पहला तो यह कि इन्हें बनाने में मज़ा आता है, और दूसरा, उनके किरदारों का स्वरूप विकसित करने की चुनौती भी मिलती है। अक्सर बच्चों के लिए मनुष्यों की बजाय पशुओं की कठपुतलियाँ बनाना आसान होता है।

एक टिप्पणी भेजें

www.satyawani.com @ All rights reserved

www.satyawani.com @All rights reserved
Blogger द्वारा संचालित.