रुड़की;
अपने दिव्यांग पिता को इलाज के लिए घंटों घूमना पड़ा। रुड़की के सरकारी में सुशील अपने पिता को पीठ पर लेकर घूमता रहा, लेकिन मरीज की हालत देखने के बावजूद भी किसी का दिल नहीं पसीजा। घंटों सुशील को अस्पताल में इधर से उधर दौड़ाया गया।
दरअसल, रुड़की के खुंडेवाली गांव के रहने वाले 60 वर्षीय ऋषिपाल को बीती शुक्रवार पेशाब में दिक्कत होने के कारण शनिवार सुबह करीब आठ बजे उनका बेटा सुशील रुड़की के सरकारी अस्पताल लेकर पहुंचा। सुशील ने बताया कि अस्पताल में पर्ची कटवाने के बाद कर्मचारियों ने उससे कहा कि वो अपने पिता को इमरजेंसी में लेकर चला जाये।
अपने दिव्यांग पिता जिनका एक पैर सही से काम उन्हें पीठ पर लेकर सुशील इमरजेंसी पहुंचा। वहां डॉक्टरों ने उसे 23 नंबर में सर्जन के पास भेजा। वहां भी किसी चिकित्सक के ना मिलने पर अस्पताल के कर्मचारियों ने एक अन्य चिकित्सक के पास सुशील को भेज दिया। वहां भी उसे कोई नहीं मिला। ये दौर घंटों जारी रहा। इमरजेंसी का स्टाफ उसे यहां से वहां दौड़ाता और वो अपने पिता को लेकर इधर-उधर भागता रहा।
पिता की गंभीर हालत की दुहाई दते हुए युवक डॉक्टरों को इलाज के लिए कहता रहा लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। कई डॉक्टरों के चैंबरों के चक्कर काटने के बाद सुशील को बताया गया कि मामला सर्जरी विभाग का है और इससे संबंधित दोनों सर्जन डॉक्टर छुट्टी पर हैं। ऐसे में मरीज को भर्ती नहीं कर सकते।
सीएमएस ने सुनी पीड़ा
सुशील ने आगे बताया कि इलाज के अभाव में पिता की हालत बिगड़ती जा रही थी। करीब ग्यारह बजे युवक को बताया गया कि उसके पिता का इलाज सर्जन डॉक्टर करेंगे। परेशान होकर वो आखिरकार हारकर युवक अपने दिव्यांग पिता को सीएमएस (चीफ मेडिकल सुपरिटेंडेंट) के कक्ष में लेकर पहुंचा। पीड़ित की आपबीती सुनने के बाद सीएमएस ने मामले में दखल दिया और ऑर्थोपेडिक चिकित्सक को युवक के दिव्यांग पिता के इलाज का जिम्मा सौंपा गया।
सीएमएस डीके चक्रपाणि ने चिकित्सक से कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि पीड़ित को सर्जन से इलाज कराने की सलाह दी गई थी। इसके बाद सीएमएस के निर्देश पर ऋषिपाल को अस्पताल में भर्ती कर लिया गया।
दोनों सर्जन छुट्टी पर
रुड़की के सरकारी अस्पताल में दो सर्जन है। जिनमें से डॉ. पवन छुट्टी पर हैं जबकि दूसरे सर्जन डा. नैय्यर को बेटे के एडमिशन के सिलसिले में अचानक दिल्ली जाना पड़ गया। शनिवार को अस्पताल में कोई सर्जन नहीं था। हालांकि अब मरीज को आर्थोपेडिक डॉ. दूबे द्वारा इलाज दिया जा रहा है।
रुड़की के सरकारी अस्पताल में दो सर्जन है। जिनमें से डॉ. पवन छुट्टी पर हैं जबकि दूसरे सर्जन डा. नैय्यर को बेटे के एडमिशन के सिलसिले में अचानक दिल्ली जाना पड़ गया। शनिवार को अस्पताल में कोई सर्जन नहीं था। हालांकि अब मरीज को आर्थोपेडिक डॉ. दूबे द्वारा इलाज दिया जा रहा है।
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