इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा ज्योतिष पीठ के संदर्भ में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद की दलील को ठुकराते हुए निर्णय दिया गया है :-
ज्योतिष पीठ का कोई नया शंकराचार्य 3 माह में बनना चाहिए
दो जजों ने 64 वर्ष पुरानी नियुक्ति को अवैध बताते हुए ,ज्योतिष्पीठ-बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य पद पर स्वामी वासुदेवानंद और स्वामी स्वरूपानंद दोनों की नियुक्ति को सही होने से इंकार किया है.
महत्वपूर्ण है कि शकराचार्य पद के लिए विद्वान होने के साथ साथ सन्यासी होना भी आवशयक है. इन दोनों योग्यताओं के पूर्ण न होने की स्थिति में कोई भी शंकराचार्य पद पर सुशोभित नहीं हो सकता.
कोर्ट ने कहा कि, शंकराचार्य का पद रिक्त नहीं रह सकता इसलिए उस पद पर काम कर रहे शंकराचार्य तीन माह तक कार्य करते रहेंगे। ज्योतिष्पीठ-बद्रिकाश्रम के लिए तीन महीने में नए शंकराचार्य चुनने को कहा।
सन 2013 प्रयाग महाकुंभ के समय भी संतों के बीच में यह विषय रखा गया था औरअनेक वरिष्ठ संतो के साथ मिलकर विचार-विमर्श भी किया था । सनातन हिंदू धर्म की प्रमुख पीठ ज्योतिष पीठ पर विभाग यह उचित नहीं है। मर्यादा पूर्व नहीं है और न्यायोचित नहीं है।
शंकराचार्य स्वरूपानंद एवं वासुदेवानंद महाराज सभी संत मिलकर उनसे आग्रह करें। इनकी आयु स्वास्थ्य को देखते हुए इस विवाद को सदा सदा के लिए समाप्त करते हुए, किसी नए योग्य शंकराचार्य को इस पद पर सुशोभित किया जाए।
देखना यह है कि क्या शंकराचार्य ,एक नयी शुरुआत करने में सहयोग करतें है अथवा नहीं।
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