Halloween party ideas 2015

 

राष्ट्रपति ने विकसित भारत - रोज़गार और आजीविका के लिए गारंटी मिशन (ग्रामीण) : वीबी–जी राम जी (विकसित भारत- जी राम जी) विधेयक, 2025 को अपनी स्वीकृति प्रदान की

mnrega replaced by VB RAM G



अधिनियम से रोज़गार की वैधानिक गारंटी 125 दिनों तक बढ़ी

भविष्य की अगुवाई पंचायतें करेंगी - योजना बनाने की शक्ति ग्राम सभा और पंचायतों के पास


विकसित भारत–जी राम जी विधेयक, विकसित भारत@2047 के विज़न के अनुरूप

प्रविष्टि तिथि: 21 DEC 2025 4:30PM by PIB Delhi

राष्ट्रपति ने विकसित भारत-रोज़गार और आजीविका के लिए गारंटी मिशन (ग्रामीण) : वीबी–जी राम जी (विकसित भारत-जी राम जी) विधेयक, 2025 को आज अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है, जो ग्रामीण रोज़गार नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव है। यह अधिनियम ग्रामीण परिवारों के लिए प्रति वित्तीय वर्ष मज़दूरी रोज़गार की वैधानिक गारंटी को 125 दिनों तक बढ़ाता है और सशक्तिकरण, समावेशी विकास, योजनाओं के अभिसरण (कन्वर्जेस) तथा परिपूर्ण (सेचूरेशन) तरीके से सेवा–प्रदाय को आगे बढ़ाने का प्रयास करता है, जिससे समृद्ध, सक्षम और आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत की नींव मजबूत होती है।


इससे पूर्व, संसद ने विकसित भारत-रोज़गार और आजीविका के लिए गारंटी मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025 पारित किया था, जिसने भारत के ग्रामीण रोज़गार और विकास ढांचे में एक निर्णायक सुधार का मार्ग प्रशस्त किया है। 


यह अधिनियम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, 2005 (महात्मा गांधी नरेगा) को प्रतिस्थापित करते हुए आजीविका सुरक्षा को सुदृढ़ करने वाला एक आधुनिक वैधानिक ढांचा प्रदान करता है, जो विकसित भारत@2047 के राष्ट्रीय विज़न के अनुरूप है।


सशक्तिकरण, विकास, कन्वर्जेंस और परिपूर्णता (सेचूरेशन) के सिद्धांतों पर आधारित यह अधिनियम ग्रामीण रोज़गार को केवल एक कल्याणकारी योजना से आगे बढ़ाकर विकास का एक एकीकृत माध्यम बनाता है। यह ग्रामीण परिवारों की आय सुरक्षा को सुदृढ़ करता है, शासन और जवाबदेही को आधुनिक बनाता है तथा मज़दूरी रोज़गार को टिकाऊ और उत्पादक ग्रामीण परिसंपत्तियों के सृजन से जोड़ता है, जिससे समृद्ध एवं सक्षम ग्रामीण भारत की नींव और अधिक मजबूत होती है।


अधिनियम की प्रमुख विशेषताएं


रोज़गार की वैधानिक गारंटी में वृद्धि


यह अधिनियम प्रत्येक वित्तीय वर्ष में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को कम से कम 125 दिनों के मज़दूरी रोज़गार की वैधानिक गारंटी प्रदान करता है, बशर्ते परिवार के वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक हों। (धारा 5(1))

पूर्व में उपलब्ध 100 दिनों के रोजगार के अधिकार की तुलना में यह वृद्धि ग्रामीण परिवारों की आजीविका को सुरक्षा प्रदान करती है, काम को पहले से अनुमानित करती है और उनकी आय को अधिक स्थिर बनाती है। इसके साथ ही उन्हें राष्ट्रीय विकास में अधिक प्रभावी और सार्थक योगदान देने में सक्षम बनाती है।

कृषि और ग्रामीण श्रम के बीच संतुलित प्रावधान


बुवाई और कटाई के चरम सीजन के दौरान कृषि से संबंधित गतिविधियों हेतु कृषि श्रम की उपलब्धता आसान करने के लिए, यह अधिनियम राज्यों को एक वित्तीय वर्ष में कुल 60 दिनों की समेकित विराम अवधि अधिसूचित करने का अधिकार प्रदान करता है। (धारा 6)

श्रमिकों को मिलने वाले कुल 125 दिनों के रोज़गार के अधिकार यथावत बनी रहेगी, जिसे शेष अवधि में प्रदान किया जाएगा, जिससे कृषि उत्पादकता और श्रमिकों के हितों की सुरक्षा के मध्य संतुलित समायोजन सुनिश्चित होता है।

समय पर मज़दूरी भुगतान


यह अधिनियम मज़दूरी का भुगतान साप्ताहिक आधार पर अथवा किसी भी स्थिति में कार्य की समाप्ति के पंद्रह दिनों के भीतर किए जाने को अनिवार्य करता है (धारा 5(3))। निर्धारित अवधि से अधिक विलंब होने की स्थिति में, अनुसूची–II में उल्लिखित प्रावधानों के अनुसार विलंब मुआवज़ा देय होगा, जिससे मज़दूरी सुरक्षा को सुदृढ़ किया जाता है और श्रमिकों को विलंब से संरक्षण प्रदान किया जाता है।

टिकाऊ और उपयोगी ग्रामीण अवसंरचना से जुड़ा रोजगार


इस अधिनियम के अंतर्गत मज़दूरी रोज़गार को चार प्राथमिक विषयगत क्षेत्रों में टिकाऊ सार्वजनिक परिसम्पत्तियों के सृजन के साथ स्पष्ट रूप से जोड़ा गया है (धारा 4(2), अनुसूची–I के साथ पठित):


जल सुरक्षा एवं जल से संबंधित कार्य

मुख्य ग्रामीण अवसंरचना

आजीविका से संबंधित अवसंरचना

प्रतिकूल मौसमीय घटनाओं के प्रभाव को कम करने वाले कार्य

सभी कार्य बॉटम-अप एप्रोच यानि गाँव स्तर से प्रस्तावित किए जाते हैं, तथा सृजित सभी परिसंपत्तियों को विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना स्टैक में समेकित किया जाता है, ताकि सार्वजनिक संसाधनों का कंवर्जेंस, विखंडन से बचाव और स्थानीय ज़रूरत के अनुसार आवश्यक ग्रामीण अवसंरचना के निर्माण सेचूरेशन लक्ष्य के आधार पर परिणाम-आधारित योजना सुनिश्चित हो सके।  


राष्ट्रीय स्तर पर अभिसरण के साथ विकेन्द्रीकृत योजना निर्माण


सभी कार्य ‘विकसित ग्राम पंचायत योजनाओं’ से प्रारंभ होते हैं, जिन्हें ग्राम पंचायत स्तर पर सहभागितापूर्ण प्रकियाओं के माध्यम से तैयार किया जाता है तथा ग्राम सभा द्वारा अनुमोदित किया जाता है। (धाराएँ 4(1) से 4(3))

इन योजनाओं को पीएम गति शक्ति सहित राष्ट्रीय प्लेटफार्मों के साथ डिजिटल एवं स्थानिक रूप (spatially integrated) से एकीकृत किया जाता है, जिससे संपूर्ण-सरकार दृष्टिकोण के अंतर्गत कन्वर्जेंस संभव होता है, जबकि स्थानीय स्तर पर विकेन्द्रीकृत निर्णय निर्माण को यथावत बनाए रखा जाता है।

यह एकीकृत योजना निर्माण का फ्रेमवर्क, मंत्रालयों और विभागों को कार्यों की अधिक प्रभावी योजना बनाने और क्रियान्वयन करने में सक्षम बनाएगा, दोहराव से बचाव और सार्वजनिक संसाधनों की अपव्यय रोकने में सहायक होगा, तथा सेचूरेशन-आधारित परिणामों के माध्यम से विकास की गति को तेज़ करेगा।

 


सुधारित वित्तीय संरचना


यह अधिनियम एक केन्द्रीय प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जाएगा, जिसे राज्यों द्वारा अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार अधिसूचित और क्रियान्वित किया जाएगा।

व्यय-साझेदारी का पैटर्न केंद्र और राज्यों के बीच 60:40, पूर्वोत्तर एवं हिमालयी राज्यों के लिए 90:10, तथा विधानसभारहित केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100 प्रतिशत केंद्रीय वित्तपोषण का है।

निधि राज्यवार मानकीकृत आवंटनों के माध्यम से प्रदान की जाएगी, जो नियमों में निर्दिष्ट वस्तुनिष्ठ मानकों पर आधारित होगी (धाराएँ 4(5) एवं 22(4)), जिससे पूर्वानुमेयता, वित्तीय अनुशासन और सुदृढ़ योजना निर्माण सुनिश्चित होगा, साथ ही रोज़गार तथा बेरोज़गारी भत्ते से संबंधित वैधानिक अधिकारों का पूर्ण संरक्षण बना रहता है।

प्रशासनिक क्षमता की सुदृढ़ता


प्रशासनिक व्यय की अधिकतम सीमा को 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 9 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे बेहतर मानव संसाधन उपलब्धता, प्रशिक्षण, तकनीकी क्षमता तथा मैदानी स्तर पर सहायता सुदृढ़ होती है और संस्थानों की परिणामों को प्रभावी रूप से प्रदान करने की क्षमता मज़बूत होती है।

विकसित भारत - रोज़गार और आजीविका के लिए गारंटी मिशन (ग्रामीण) अधिनियम, 2025, विकसित भारत@2047 के विजन के अनुरुप भारत की ग्रामीण रोज़गार व्यवस्था को नया और मज़बूत रूप प्रदान करने की दिशा में एक निर्णायक कदम का प्रतिनिधित्व करता है। प्रति वित्तीय वर्ष मज़दूरी रोज़गार की वैधानिक गारंटी को 125 दिनों तक बढ़ाकर, यह अधिनियम काम मांगने के अधिकार को और मजबूत करता है, साथ ही विकेन्द्रीकृत और सहभागितापूर्ण शासन को बढ़ावा देता है। यह पारदर्शी, नियम-आधारित वित्तपोषण, जवाबदेही तंत्र, प्रौद्योगिकी (टेक्नालजी)-सक्षम समावेशन तथा कंवर्जेंस आधारित विकास को एकीकृत करता है, ताकि ग्रामीण रोज़गार न केवल आय सुरक्षा प्रदान करे, बल्कि टिकाऊ आजीविकाओं, सुदृढ़ परिसंपत्तियों और दीर्घकालिक ग्रामीण समृद्धि में भी योगदान दे।


रोज़गार की गारंटी और रोज़गार की मांग का अधिकार


यह अधिनियम रोज़गार की मांग के अधिकार को कमज़ोर नहीं करता है। इसके विपरीत, धारा 5(1) सरकार पर पात्र ग्रामीण परिवारों को कम से कम 125 दिनों के गारंटीकृत मज़दूरी रोज़गार प्रदान करने का स्पष्ट वैधानिक दायित्व निर्धारित करती है। गारंटीकृत दिनों में की गई यह वृद्धि, सुदृढ़ की गई जवाबदेही और शिकायत निवारण तंत्र के साथ मिलकर, इस अधिकार की प्रवर्तनीयता को और मज़बूत करती है।


मानक आधारित वित्तपोषण और रोज़गार प्रावधान


मानक आधारित (नॉर्मेटिव) आवंटनों की ओर किया गया परिवर्तन बजट निर्धारण और निधि प्रवाह की व्यवस्थाओं से संबंधित है और इससे रोज़गार के कानूनी अधिकार पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता। धाराएँ 4(5) और 22(4) नियम-आधारित और पूर्वानुमेय आवंटन सुनिश्चित करती हैं, जबकि रोज़गार अथवा बेरोज़गारी भत्ता प्रदान करने का वैधानिक दायित्व यथावत बना रहता है।


विकेन्द्रीकरण और पंचायतों की भूमिका


यह अधिनियम योजना बनाने या क्रियान्वयन का केंद्रीकरण नहीं करता है। धाराएँ 16 से 19 तक, पंचायतों, कार्यक्रम अधिकारियों और जिला प्राधिकारियों में, उपयुक्त स्तरों पर योजना, क्रियान्वयन और निगरानी की शक्तियाँ निहित करती हैं। राष्ट्रीय स्तर पर केवल दृश्यता, कन्वर्जेंस और समन्वय किया जाएगा, न कि स्थानीय निर्णय लेने के अधिकार लिए जाएंगे।


रोज़गार और परिसंपत्ति सृजन


यह अधिनियम 125 दिनों की बढ़ी हुई आजीविका की वैधानिक गारंटी को स्थापित तो करता ही है, साथ ही यह भी सुनिश्चित करता है कि रोज़गार उत्पादक, टिकाऊ और जलवायु-अनुकूल परिसंपत्तियों के निर्माण में योगदान दे। रोज़गार सृजन और परिसंपत्ति निर्माण को परस्पर पूरक उद्देश्यों के रूप में परिकल्पित किया गया है, जो दीर्घकालिक ग्रामीण विकास और अनुकूलन को समर्थन प्रदान करते हैं (धारा 4(2) एवं अनुसूची–I)।


प्रौद्योगिकी और समावेशन


अधिनियम के अंतर्गत प्रौद्योगिकी को एक बाधा नहीं, बल्कि एक सक्षम माध्यम के रूप में परिकल्पित किया गया है। धाराएँ 23 और 24, बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण, जियो-टैगिंग और रियल-टाइम डैशबोर्ड के माध्यम से प्रौद्योगिकी (टेक्नालजी)-सक्षम पारदर्शिता का प्रावधान करती हैं, जबकि धारा 20 ग्राम सभाओं द्वारा सोशल ऑडिट को सुदृढ़ करती है, जिससे सामुदायिक निगरानी, पारदर्शिता और समावेशन सुनिश्चित होता है।


बेरोज़गारी भत्ता


यह अधिनियम, बेरोजगारी भत्ते के संबंध में पहले के अयोग्य ठहराए (निरर्हता) जाने वाले प्रावधानों को हटाता है और इसे एक अर्थपूर्ण वैधानिक सुरक्षा उपाय के रूप में पुनर्स्थापित करता है। जहां निर्धारित अवधि के भीतर रोज़गार उपलब्ध नहीं कराया जाता है, वहां पंद्रह दिनों के पश्चात बेरोज़गारी भत्ता देय हो जाता है।


निष्कर्ष


विकसित भारत - रोज़गार और आजीविका के लिए गारंटी मिशन (ग्रामीण) अधिनियम, 2025 का पारित होना भारत की ग्रामीण रोज़गार गारंटी व्यवस्था के एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। वैधानिक रोज़गार को 125 दिनों तक विस्तारित कर, विकेन्द्रीकृत एवं सहभागितापूर्ण योजना को अंतर्निहित कर, जवाबदेही को सुदृढ़ कर तथा कन्वर्जेंस एवं परिपूर्णता (सेचूरेशन) आधारित विकास को संस्थागत रूप देकर, यह अधिनियम ग्रामीण रोज़गार को सशक्तिकरण, समावेशी विकास और समृद्ध एवं सक्षम ग्रामीण भारत के निर्माण के लिए एक रणनीतिक साधन के रूप में पुनः स्थापित करता है, जो विकसित भारत@2047 के विज़न के पूर्णतः अनुरूप है।

साभार पीआइबी

 


उत्तरकाशी:


Bear-terror-in-Bhatwadi uttarkashi


 जनपद के भटवाड़ी विकासखंड में भालुओं के बढ़ते विचरण तथा बीते दिनों ग्रामीणों पर हुए हमलों को गंभीरता से लेते हुए गंगोत्री विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण ने वन विभाग से तत्काल प्रभावी कार्रवाई की मांग की थी। पूर्व विधायक द्वारा स्थानीय वन अधिकारियों को पिंजरे लगाए जाने तथा निरंतर गश्त बढ़ाने के स्पष्ट निर्देश दिए गए थे।


वन विभाग ने पूर्व विधायक की मांग को संजीदगी से लेते हुए भटवाड़ी प्रखंड के मल्ला डांग गांव में भालुओं को पकड़ने हेतु पिंजरे स्थापित किए हैं। उल्लेखनीय है कि हाल ही में इसी गांव में भालुओं का झुंड सीसीटीवी कैमरे में कैद हुआ था, जिससे ग्रामीणों में भय का माहौल बना हुआ था।


पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण के निर्देशानुसार स्थानीय वन कर्मियों द्वारा क्षेत्र में लगातार गश्त बढ़ाई जा रही है तथा जंगली जानवरों के भय से आशंकित ग्रामीणों को हर संभव सहयोग एवं सुरक्षा का भरोसा दिया जा रहा है। वन विभाग द्वारा भालुओं को सुरक्षित पकड़ने के लिए सतत प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि क्षेत्र में जन-सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

 

30 दिसंबर को धरना, 16 जनवरी 2026 को सचिवालय घेराव का ऐलान


देहरादून :  



रविवार को राज्य आंदोलनकारी मंच की एक महत्वपूर्ण बैठक कचहरी स्थित शहीद स्मारक में संपन्न हुई। बैठक में राज्य स्थापना दिवस के रजत वर्ष के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा राज्य आंदोलनकारियों के हित में की गई घोषणाओं पर अब तक शासनादेश जारी न होने को लेकर सरकार और सचिवालय के प्रति कड़ा आक्रोश व्यक्त किया गया। बैठक सुबह 11 बजे शुरू होकर दोपहर डेढ़ बजे तक चली। अध्यक्षता सत्या पोखरियाल ने की, जबकि संचालन पूर्ण सिंह लिंगवाल ने किया।

बैठक को संबोधित करते हुए उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष  जगमोहन सिंह नेगी ने कहा कि रजत वर्ष के अवसर पर मुख्यमंत्री ने पेंशन वृद्धि, विकलांग आंदोलनकारियों की पेंशन में बढ़ोतरी, अटेंडेंट की व्यवस्था तथा चिन्हीकरण की तिथि छह माह बढ़ाने सहित कई अहम घोषणाएं की थीं, लेकिन डेढ़ माह बीतने के बावजूद उनका कोई शासनादेश जारी नहीं हुआ। यह सचिवालय के अधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री के आदेशों की अवहेलना है।

अध्यक्षता कर रहीं सत्या पोखरियाल ने कहा कि राज्य आंदोलन में शामिल रहे सभी लोगों का चिन्हीकरण होना चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि वर्ष 2010 में जिला स्तर पर गठित चिन्हीकरण समितियों द्वारा चयनित लोगों को आंदोलनकारी मानने का निर्णय लिया गया था, लेकिन अब भी कई पात्र लोग इससे वंचित हैं।

प्रदेश महासचिव रामलाल खंडूरी ने कहा कि विधानसभा से सर्वसम्मति से पारित कानून के तहत सभी चिन्हित आंदोलनकारियों के आश्रितों को 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिए जाने का प्रावधान है, लेकिन सचिवालय के अधिकारियों ने नौकरीपेशा आंदोलनकारियों के आश्रितों को इससे वंचित करने का आदेश जारी कर मूल अधिनियम का उल्लंघन किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप कर शीघ्र सुधारात्मक आदेश जारी करने की मांग की।

प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती ने प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार और पर्वतीय क्षेत्रों में जंगली जानवरों के बढ़ते आतंक से मुक्ति की मांग उठाई। पुष्पलता सिलमाना और द्वारिका बिष्ट ने आयु सीमा में पांच वर्ष की छूट देने, आंदोलनकारी चिन्हीकरण में पांचवें मानक को शामिल करने तथा आगामी धरना-प्रदर्शनों में मातृशक्ति की अधिकतम भागीदारी का आह्वान किया।

बैठक के अंत में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सचिवालय द्वारा शासनादेश जारी करने में बरती जा रही लापरवाही के विरोध में 30 दिसंबर को प्रथम चरण में दीन दयाल पार्क में धरना दिया जाएगा। यदि इसके बाद भी सुधार नहीं हुआ तो 16 जनवरी 2026 को सचिवालय का घेराव किया जाएगा।

बैठक में प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन नेगी, प्रदेश महासचिव रामलाल खंडूरी, प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती, केशव उनियाल, पुष्पलता सिलमाना, द्वारिका बिष्ट, अरुणा थपलियाल, राधा तिवारी, संचालक पूर्ण सिंह लिंगवाल सहित अनेक पदाधिकारी व बड़ी संख्या में राज्य आंदोलनकारी मौजूद रहे।

 

उपनगरीय और मासिक सीज़न टिकट के किराए में कोई बढ़ोतरी नहीं

train fair clarification byunion govt


सामान्य श्रेणी में 215 किमी. तक कोई बढ़ोतरी नहीं


सामान्य श्रेणी में 215 किमी. से अधिक 1 पैसा प्रति किमी. की बढ़ोतरी


• मेल/एक्सप्रेस में नॉन एसी - 2 पैसे प्रति किमी. की बढ़ोतरी

• एसी श्रेणी में 2 पैसे प्रति किमी. की बढ़ोतरी

• रेलवे किराए को तर्कसंगत बनाकर इस वित्त वर्ष के बचे हुए महीनों में लगभग 600 करोड़ रुपये अर्जित करेगा। • यात्रियों को नॉन एसी कोच में 500 किमी. की यात्रा के लिए केवल 10 रुपये अधिक देने होंगे।


• रेलवे ने पिछले एक दशक में अपने नेटवर्क और परिचालन का बहुत विस्तार किया है। रेलवे अधिक परिचालन की आवश्यकताओं को पूरा करने और सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए अपने कर्मचारियों की संख्या बढ़ा रहा है।

• परिणामस्वरूप स्टाफ कॉस्ट कर्मचारियों पर होने वाला खर्चा बढ़कर 1,15,000 करोड़ रुपये हो गया है। पेंशन का खर्चा बढ़कर 60,000 करोड़ रुपये हो गया है। 2024-25 में परिचालन खर्च बढ़कर 2,63,000 करोड़ रुपये हो गया है।


• कर्मचारियों पर बढ़े हुए खर्च को पूरा करने के लिए रेलवे ज़्यादा कार्गो लोडिंग कर रहा है और यात्री किराए में मामूली बढ़ोतरी कर रहा है।

• सुरक्षा और बेहतर परिचालन के लिए इन प्रयासों के कारण, रेलवे सुरक्षा में काफी सुधार कर पाया है। भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कार्गो ले जाने वाला रेलवे बन गया है।


• त्यौहारों के मौसम में 12,000 से अधिक ट्रेनों का हालिया सफल संचालन भी बेहतर परिचालन दक्षता का एक उदाहरण है।

• रेलवे अपने सामाजिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अधिक दक्षता और लागत को नियंत्रित करने के लिए निरंतर प्रयास करता रहेग

 देहरादून

उत्तम सिंह  मन्द्रवाल     :

सत्यवाणी ब्यूरो चीफ ऋषिकेश




 गढ़वाल हो या कुमाऊँ, उत्तराखंड के पहाड़ों में शादी अब सामाजिक परंपरा नहीं, बल्कि कठिन प्रतियोगी परीक्षा बनती जा रही है। पहले सरकारी नौकरी, फिर देहरादून में अपना मकान और अब सोशल मीडिया के दौर में प्रतीकात्मक रूप से एक नई शर्त जुड़ गई है धनुर्धारी पति। नतीजा यह है कि पहाड़ों में अविवाहित युवाओं का बंडल लगातार भारी होता जा रहा है और यह मुद्दा अब केवल चिंता का नहीं, बल्कि तंज और व्यंग्य का विषय भी बन चुका है।

लोक गायिका एवं शिक्षिका डॉ. पम्मी नवल द्वारा गाए गए पारंपरिक जागर की कुछ पंक्तियां इन दिनों सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हैं। द्रौपदी के स्वयंवर पर आधारित यह जागर मूल रूप से सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, लेकिन रील्स और शॉर्ट वीडियो की दुनिया ने इसे आज के वैवाहिक यथार्थ से जोड़कर पेश कर दिया है। युवतियां इस ऑडियो पर रील्स बनाकर “धनुर्धारी पति” की कल्पना कर रही हैं, जबकि पहाड़ के हजारों युवा इस वायरल तंज को अपनी हकीकत से जोड़कर देखने को मजबूर हैं।

विडंबना यह है कि जिन लोक परंपराओं और जागरों को कभी सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक माना जाता था, वही आज सोशल मीडिया के मंच पर पहाड़ी युवाओं की विफल वैवाहिक स्थिति पर कटाक्ष का माध्यम बनते जा रहे हैं। पांडव नृत्य जैसे आयोजनों में डीजे पर बजते जागर अब संस्कृति से ज्यादा कंटेंट बन चुके हैं।

असल तस्वीर इससे कहीं गंभीर है। रोजगार की कमी, पलायन, सीमित संसाधन और बढ़ती आर्थिक अपेक्षाओं ने पहाड़ी युवाओं को पहले ही हाशिये पर खड़ा कर दिया है। ऐसे में विवाह को लेकर लगातार बढ़ती शर्तें—नौकरी, मकान और सामाजिक हैसियत—युवाओं के मनोबल को तोड़ रही हैं। हजारों युवा शादी योग्य उम्र पार कर चुके हैं और पहाड़ों का सामाजिक संतुलन धीरे-धीरे बिगड़ता जा रहा है।

डॉ. पम्मी नवल का कहना है कि उन्होंने यह जागर दो वर्ष पहले सांस्कृतिक संरक्षण के उद्देश्य से गाया था, न कि किसी वर्ग पर तंज कसने के लिए। वह पहाड़ों में बढ़ती अविवाहित युवाओं की संख्या को चिंताजनक मानती हैं और युवाओं से अपनी संस्कृति व पहाड़ से जुड़े रहने की अपील करती हैं। उनका कहना है कि हमारी लोक परंपराएं हमारी विरासत हैं, जिन्हें मज़ाक नहीं, समझ और संवेदनशीलता की ज़रूरत है।

कुल मिलाकर, सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रही ‘धनुर्धारी पति’ की मांग केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि पहाड़ के युवाओं की उस चुप पीड़ा की तस्वीर है, जिसे समाज अक्सर हंसी में उड़ा देता है। यदि यही सोच बनी रही, तो पहाड़ों में अविवाहित युवाओं की यह बढ़ती संख्या आने वाले समय में एक गंभीर सामाजिक संकट बन सकती है—जिसकी जिम्मेदारी केवल युवाओं की नहीं, बल्कि पूरे समाज की होगी।


Rashifal today 21 December 2025


मेष

अ, आ, चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो

भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। बेरोजगारी दूर होगी। लाभ होगा। मान-प्रतिष्ठा में कमी आएगी। कामकाज में बाधाएं आ सकती हैं। कर्मचारियों पर व्यर्थ संदेह न करें। आर्थिक तंगी रहेगी। पारिवारिक तनाव से मन परेशान रहेगा। शत्रु सक्रिय रहेंगे। स्वास्थ्य कमजोर होगा।

वृषभ

ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो

पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। पारिवारिक उन्नति होगी। सुखद यात्रा के योग बनेंगे। स्वविवेक से कार्य करना लाभप्रद रहेगा।


मिथुन

का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह

पुराना रोग उभर सकता है। शोक समाचार मिल सकता है। भागदौड़ रहेगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। अधूरे कामों में गति आएगी। व्यावसायिक गोपनीयता भंग न करें। गीत-संगीत में रुचि बढ़ेगी। आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी।


कर्क

ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो

यात्रा सफल रहेगी। प्रयास सफल रहेंगे। वाणी पर नियंत्रण रखें। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। लाभ होगा। व्यापार-व्यवसाय में उन्नति के योग हैं। वाणी पर संयम आवश्यक है। जीवनसाथी से मदद मिलेगी। सामाजिक यश-सम्मान बढ़ेगा। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।


सिंह

मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे

पुराने मित्र व संबंधियों से मुलाकात होगी। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। मान बढ़ेगा। स्वजनों से मेल-मिलाप होगा। नौकरी में ऐच्छिक पदोन्नति की संभावना है। किसी की आलोचना न करें। खानपान का ध्यान रखें। आर्थिक संपन्नता बढ़ेगी।


कन्या

ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो

रोजगार मिलेगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। नौकरी में अधिकार बढ़ेंगे। व्यावसायिक समस्या का हल निकलेगा। नई योजना में लाभ की संभावना है। घर में मांगलिक आयोजन हो सकते हैं। जीवनसाथी से संबंध घनिष्ठ होंगे।


तुला

रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते

ऐश्वर्य पर व्यय होगा। स्वास्थ्‍य कमजोर रहेगा। विवाद को बढ़ावा न दें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। राजकीय कार्य में परिवर्तन के योग बनेंगे। आलस्य का परित्याग करें। आपके कामों की लोग प्रशंसा करेंगे। व्यापार लाभप्रद रहेगा। नई कार्ययोजना के योग प्रबल हैं।

वृश्चिक

तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू

लेन-देन में सावधानी रखें। बकाया वसूली के प्रयास सफल रखें। व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल रहेगी। कानूनी मामले सुधरेंगे। धन का प्रबंध करने में कठिनाई आ सकती है। आहार की अनियमितता से बचें। व्यापार, नौकरी में उन्नति होगी।


धनु

ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे

राजमान प्राप्त होगा। नए अनुबंध होंगे। नई योजना बनेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। कार्य में व्यय की अधिकता रहेगी। दांपत्य जीवन में भावनात्मक समस्याएँ रह सकती हैं। व्यापार में नए अनुबंध आज नहीं करें। जल्दबाजी व भागदौड़ से कार्य करने की प्रवृत्ति पर रोक लगाएँ।


मकर

भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी

पूजा-पाठ में मन लगेगा। कोर्ट व कचहरी के काम निबटेंगे। लाभ के अवसर मिलेंगे। प्रसन्नता रहेगी। कुछ मानसिक अंतर्द्वंद्व पैदा होंगे। पारिवारिक उलझनों के कारण मानसिक कष्ट रहेगा। धैर्य एवं संयम रखकर काम करना होगा। यात्रा आज न करें।

कुंभ

गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा

पुराना रोग उभर सकता है। चोट व दुर्घटना से बचें। वस्तुएं संभालकर रखें। बाकी सामान्य रहेगा। व्यापार-व्यवसाय सामान्य रहेगा। दूरदर्शिता एवं बुद्धि चातुर्य से कठिनाइयां दूर होंगी। राज्य तथा व्यवसाय में सफलता मिलने के योग हैं। पठन-पाठन में रुचि बढ़ेगी।


मीन

दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची

बेचैनी रहेगी। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी। धनार्जन होगा। संतान के स्वास्थ्य पर ध्यान दें। परिवार के सहयोग से दिन उत्साहपूर्ण व्यतीत होगा। योजनानुसार कार्य करने से लाभ की संभावना है। आर्थिक सुदृढ़ता रहेगी।



 अभियान के चौथे दिन भी हजारों ग्रामीण हुए लाभान्वित*

4th day jan jan ke dwar


मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशानुसार संचालित ‘जन-जन की सरकार, जन-जन के द्वार‘ अभियान के चौथे दिन शनिवार को राज्य की विभिन्न न्याय पंचायतों में शिविरों का आयोजन कर हजारों ग्रामीणों को जन-कल्याणकारी योजनाओं एवं विभिन्न सरकारी सेवाओं से लाभान्वित किया गया। शनिवार को अभियान के तहत उत्तरकाशी जिले के हिमाचल से सटे आराकोट से लेकर सीमांत पिथौरागढ़ जिले तक राज्य में अनेक दूरस्थ न्याय पंचायतों में शिविर आयोजित हुए। अभियान के तहत अब तक पन्द्रह हजार से अधिक लोगों को लाभान्वित कर चार हजार से अधिक जन शिकायतों का निस्तारण किया जा चुका है। 


*चंपावत*

“जन-जन की सरकार, जन-जन के द्वार” अभियान के तहत चंपावत जिले में शनिवार को चौड़ीराय तथा खर्ककार्की में बहुउद्देशीय शिविरों को आयोजन हुआ। लोहाघाट ब्लॉक की न्याय पंचायत भुमलाई के अंतर्गत चौड़ीराय में आयोजित शिविर में जिलाधिकारी मनीष कुमार ने ग्रामीणों के साथ जमीन पर बैठकर संवाद किया तथा जन-समस्याओं का निस्तारण सुनिश्चित कराया। इस दौरान 500 से अधिक शिकायतें एवं समस्याओं को दर्ज किया गया।  शिविर में पंचेश्वर में आहत हुए स्व. लक्ष्मण चन्द पुत्र श्री प्रकाश चन्द के परिजनों को मुख्यमंत्री राहत कोष से ₹4 लाख की सहायता के अतिरिक्त ₹1 लाख की अतिरिक्त आर्थिक सहायता भी प्रदान की गई। रा.उ.प्राथमिक विद्यालय खर्ककार्की में आयोजित शिविर के दौरान रमेला निवासी 75 वर्षीय श्रीमती चंचला देवी के आवास की समस्या आमने आने पर जिलाधिकारी ने मौके पर पर ही औपाचारिकताएं पूरी कराते हुए आवास स्वीकृति की कार्रवाई प्रारंभ कराई। शिविर में 557 से अधिक शिकायतें एवं मांगें प्रस्तुत की गईं, जिनमें से 450 से मामलों का मौके पर ही निस्तारण किया गया। इस दौरान दायित्वधारी श्री श्याम नारायण पांडे, ब्लॉक प्रमुख चम्पावत श्रीमती अंचला बोहरा, सहित अनेक जन प्रतिनिधि, विभिन्न विभागों के अधिकारी-कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे।


*अल्मोड़ा*

अल्मोड़ा जिले में अभियान में तहत न्याय पंचायत लिंगुड़ता और बासोट में शिविरों का आयोजन कर 1476 ग्रामीणों को लाभान्वित किया गया। डीएम अंशुल की अध्यक्षता मे आयोजित इस शिविर  न्याय पंचायत लिंगुड़ता के अंतर्गत रा.इ.का. नौगांव  में आयोजित शिविर में में 858 लोगो को लाभन्वित किया गया। जबकि बासोट में आयोजित शिविर से 618 नागरिकों को विभिन्न विभागीय सेवाओं एवं योजनाओं का लाभ मिला। 


*नैनीताल*

नैनीताल जिले में विकास खण्ड बेतालघाट में बहुद्देशीय शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में 340 से अधिक ग्रामीण लाभान्वित हुए तथा 75 जनसमस्याएं दर्ज कर 55 मामलों का मौके पर ही निस्तारण किया गया। शिविर में  दायित्वधारी मंत्री दिनेश, प्रमुख अंकित साह सहित अनेक जनप्रतिनिधि, विभिन्न विभागों के  कार्मिक एवं बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित रहे।


*बागेश्वर*

बागेश्वर जिले में न्याय पंचायत देवलधार के रा. कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चौंगांव छीना तथा न्याय पंचायत गुरना के जूनियर स्कूल में शिविर आयोजित किए गए। इस दौरान 800 से अधिक लोगों ने विभिन्न विभागीय योजनाओं का लाभ प्राप्त किया।


*पिथौरागढ*

पिथौरागढ जिले में शनिवार को चार न्याय पंचायतों में अभियान चला। जिसके तहत पिथौरागढ ब्लॉक की न्याय पंचायत नैनी व सटगल (मलान) में तथा मूनाकोट ब्लॉक की न्याय पंचायत गाड़गांव का शिविर रा.इ.का. मड़मानले एवं न्याय पंचायत कुमलतानाघर पंचायतघर विपुल में आयोजित किए गए। अभियान के तहत जिलाधिकारी आशीष भटगांई की अध्यक्षता में पंचायतघर मलान में आयोजित कार्यक्रम में प्रशासन और जनता के बीच सीधा संवाद स्थापित हुआ और लगभग 700 ग्रामीणों को लाभान्वित किया गया। 


*ऊधमसिंहनगर*

ऊधमसिंहनगर जिले के गदरपुर ब्लॉक के न्याय पंचायत बराखेड़ा में आयोजित शिविर में प्रशासन और जनता के बीच सीधा संवाद हुआ और ामीणों को मिली एक ही छत के नीचे सभी सेवाएं उपलब्ध हुई। लगभग 673 लोगों ने इस शिविर का लाभ उठाया। शिविर में कुल 490 लोगो का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। विभिन्न विभागों से संबंधित कुल 50 शिकायते प्राप्त हुई जिनमे से 26 का निस्तारण मौके पर ही करते हुए शेष 24 शिकायतो को विभागों को निस्तारण हेतु दिया गया।


*उत्तरकाशी*

उत्तरकाशी जिले में शनिवार को सुदूरवर्ती विकास खंड मोरी के हिमाचल प्रदेश से लगे सीमावर्ती गांव आराकोट में जिलाधिकारी प्रशांत आर्य की अध्यक्षता में शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में विभिन्न योजनाओं एवं सुविधाओं से 800 से अधिक लोगों को लाभन्वित किया गया। स्वास्थ्य एवं आयुष विभाग द्वारा 126 लोगो का स्वास्थ्य परीक्षण करने के साथ ही सेवायोजन विभाग द्वारा 110 लोगो को कैरियर काउंसलिंग व रोजगार संबंधित जानकारी प्रदान की गई। 10 प्रगतिशील किसानों को कृषि उपकरण देने के साथ ही आगजनी के प्रति संवेदनशील जागटा, मौंडा, ओडाटा, बामसू, सरांश और पेतड़ी गांवों को अग्निशमन  हेतु में 18 अग्निशामक उपकरण वितरित किए। इस मौके पर जिला पंचायत अध्यक्ष रमेश चौहान, ब्लॉक प्रमुख रणदेव सिंह राणा भी उपस्थित रहे।


*हरिद्वार*

हरिद्वार जिले में आज चौथे दिन विकास खंड रुड़की के न्याय पंचायत भौरी तथा विकास खण्ड लक्सर की न्याय पंचायत सुल्तानपुर आदमपुर के अंतर्गत महतोली में शिविरों का आयोजन हुआ।


*रुद्रप्रयाग*

रुद्रप्रयाग जिले में फलई, मनसूना व चोपड़ा न्याय पंचायतों में बहुउद्देशीय शिविर आयोजित कर मौके पर ग्रामीणों को जनकल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित कर उनकी विभिन्न समस्याओं का समाधान किया गया। फलई में 83 , मनसूना में 20 तथा चोपड़ा में 136 समस्याएं अधिकारियों के समक्ष रखी गईं, जिनमें से अधिकांश समस्याओं का समाधान मौके पर ही कर दिया गया।

www.satyawani.com @ All rights reserved

www.satyawani.com @All rights reserved
Blogger द्वारा संचालित.