Halloween party ideas 2015

 मेले-थौले और पारंपरिक आयोजन उताराखंड की जीवंत सांस्कृतिक विरासत: डीएम स्वाति 

देवलेश्वर महादेव बैकुंठ चतुर्दशी मेले में उमड़ी आस्था की भीड़, ‘चक्रव्यूह’ मंचन बना आकर्षण का केंद्र 

पौड़ी:

संदीप रावत



तहसील पौड़ी के अंतर्गत गगवाड़स्यूँ घाटी के प्रसिद्ध सिद्धपीठ देवलेश्वर महादेव मंदिर बलोड़ी में बैकुंठ चतुर्दशी मेले के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में पौड़ी गढ़वाल की जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की।


स्वाति भदौरिया ने  देवलेश्वर महादेव के दर्शन व पूजन कर जिले की सुख-समृद्धि की कामना की।


मेले में उपस्थित स्थानीय जनसमुदाय ने जिलाधिकारी को अपने बीच पाकर उत्साह और हर्ष व्यक्त किया। लोगों ने पारंपरिक वेशभूषा में उनका गर्मजोशी से स्वागत किया तथा मंदिर समिति की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।


 जिलाधिकारी स्वाति ने उपस्थित स्थानीय जनसमुदाय को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि देवलेश्वर महादेव मंदिर इस घाटी के 34 से अधिक गाँवों की आस्था का केंद्र होने के साथ-साथ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखता है। 


उन्होंने कहा कि यह मंदिर न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि लोक परंपरा, लोककला और सामाजिक एकता का प्रतीक भी है।


समिति की मांग पर जिलाधिकारी ने आश्वस्त किया कि मंदिर के ऊपरी भाग पर टाइल्स की जगह शिल्प सम्बन्धी कार्य के अलावा इतिहास, स्थापत्य और विरासत को सहेजने के लिए आवश्यक प्रयास किए जाएंगे तथा मंदिर परिसर में सूचना-पट्ट (साइनेज) लगाए जाएंगे, ताकि इस तीर्थ की पहचान केवल घाटी तक सीमित न रहे, बल्कि पूरे जनपद और प्रदेश तक पहुँचे।


उन्होंने कहा कि देवलेश्वर महादेव मंदिर हमारी लोक संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। यहां के मेले-थौले और पारंपरिक आयोजन इस क्षेत्र की जीवंत सांस्कृतिक विरासत हैं। हमें इन्हें सहेजने और नयी पीढ़ी तक पहुँचाने की सामूहिक जिम्मेदारी निभानी चाहिए।


इस अवसर पर मंदिर की आरती एवं स्तुति पुस्तिका का विमोचन किया गया। जनसमुदाय के बीच प्रस्तुत ‘चक्रव्यूह’ नाट्य मंचन मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा। 


 इस अवसर पर तहसीलदार दीवान सिंह राणा, ग्राम प्रधान बलोड़ी पूजा देवी, मंदिर समिति के अध्यक्ष केसर सिंह कठैत,समिति के सचिव जगत किशोर बड़थ्वाल, संचालक नागेंद्र जुगराण सहित क्षेत्र के गणमान्य नागरिक एवं बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे

 लापता सूचना



नाम – सुमन

आज सुबह 9:00 बजे ढलवाला से लापता हैं।

जो भी व्यक्ति इनको देखे या इनके बारे में कोई जानकारी दे सके, कृपया नीचे दिए गए नंबर पर तुरंत संपर्क करें –


📞 7505037953, 9458962040


कृपया इस सूचना को ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें ताकि सुमन जल्दी से मिल सकें।


women cricket world cup 2025 India won

विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट में  भारत की महिला टीम ने इतिहास र

रचते हुए, विश्व कप अपने नाम कर लिया।



दीप्ति शर्मा और शैफाली वर्मा हीरो बनकर उभरीं। इंडियन विमेंस टीम ने फाइनल में साउथ अफ्रीका को 52 रन से हराकर पहली बार वर्ल्ड चैंपियन बनकर इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया।

प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट दीप्ति को मिला!

जबकि प्लेयर ऑफ़ द मैच का अवॉर्ड शैफाली को मिला!

‘मैं अभी भी इसे समझ नहीं पा रही हूँ’ – मंधाना का कहना था कि उन्हें अभी तक इस पर यकीन नही हो रहा है। ऋचा ने भरोसे को कायम रखने के लिये टीम के धन्यवाद किया।


 विधानसभा परिसर में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के आगमन पर  राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) , मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी,

विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती ऋतु खंडूडी भूषण एवं नेता प्रतिपक्ष श्री यशपाल आर्य  एवं मंत्रीगणों ने उनका स्वागत किया।

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज (3 नवंबर, 2025) उत्तराखंड राज्य के गठन की रजत जयंती के अवसर पर देहरादून, उत्तराखंड में उत्तराखंड विधानसभा को संबोधित किया।



इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि विधान सभाएं हमारी संसदीय प्रणाली का एक प्रमुख स्तंभ हैं। बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने संसदीय प्रणाली को अपनाकर निरंतर जवाबदेही को अधिक महत्व दिया। जनता के प्रति निरंतर जवाबदेही संसदीय प्रणाली की एक ताकत और एक चुनौती दोनों है।

राष्ट्रपति ने कहा कि विधायक जनता और सरकार के बीच सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होते हैं। अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से जुड़ने और जमीनी स्तर पर उनकी सेवा करने का अवसर मिलना बड़े सौभाग्य की बात है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर विधायक जनता की समस्याओं के समाधान और उनके कल्याण के लिए सक्रिय रूप से काम करते रहें तो जनता और उनके प्रतिनिधियों के बीच विश्वास का बंधन अटूट रहेगा।

राष्ट्रपति ने उत्तराखंड विधानसभा के सदस्यों से विकास और जनकल्याण के कार्यों को पूरी लगन से करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्य दलगत राजनीति से ऊपर उठकर होने चाहिए। उन्होंने समाज के वंचित वर्गों के कल्याण और विकास के लिए विशेष संवेदनशीलता के साथ कार्य करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को विकास के अवसर प्रदान करना भी उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए।




राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 के अंतर्गत, हमारे संविधान निर्माताओं ने सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता का प्रावधान किया था। उन्होंने संवैधानिक निर्देशों के अनुरूप समान नागरिक संहिता विधेयक को लागू करने के लिए उत्तराखंड विधानसभा के सदस्यों की सराहना की। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि उत्तराखंड विधानसभा में 550 से अधिक विधेयक पारित हो चुके हैं, जिनमें उत्तराखंड लोकायुक्त विधेयक, उत्तराखंड जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार विधेयक और नकल-निरोधक विधेयक शामिल हैं। उन्होंने पारदर्शिता, नैतिकता और सामाजिक न्याय से प्रेरित होकर ऐसे विधेयक पारित करने के लिए विधायकों की सराहना की।


राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड अद्वितीय प्राकृतिक संपदा और सौंदर्य से भरपूर है। राज्य को प्रकृति के इन उपहारों को संरक्षित करते हुए विकास के पथ पर आगे बढ़ना चाहिए। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि पिछले 25 वर्षों में, उत्तराखंड के लोगों ने विकास की प्रभावशाली उपलब्धियां हासिल की हैं। राज्य ने पर्यावरण, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के क्षेत्रों में सराहनीय प्रगति की है। डिजिटल और भौतिक कनेक्टिविटी तथा बुनियादी ढांचे के विकास में भी प्रगति हुई है। व्यापक विकास प्रयासों के परिणामस्वरूप, उत्तराखंड ने मानव विकास सूचकांक के कई मानकों पर सुधार किया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि 'राष्ट्र प्रथम' की भावना के साथ, उत्तराखंड विधानसभा के सदस्य राज्य और देश को तीव्र विकास के पथ पर आगे ले जाते रहेंगे।

 *जनपद नैनीताल- ज्योलिकोट, आम पड़ाव के पास एसडीआरएफ उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा देर रात्रि वाहन दुर्घटना में रेस्क्यू ऑपरेशन*


दिनांक 01 नवम्बर 2025 की रात्रि को SDRF पोस्ट नैनीताल को आपदा प्रबंधन नैनीताल द्वारा सूचना प्राप्त हुई कि ज्योलीकोट आमपड़ाव के पास एक टेम्पो ट्रैवलर वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया है।


उक्त सूचना पर एसडीआरएफ पोस्ट नैनीताल से सब-इंस्पेक्टर मनीष भाकुनी के नेतृत्व में रेस्क्यू टीम तत्काल घटनास्थल के लिए रवाना हुई।


मौके पर पहुंचने पर पाया गया कि वाहन अनियंत्रित होकर सड़क से लगभग 15 मीटर नीचे गिरा हुआ था, जिसमें कुल 18 व्यक्ति सवार थे। टीम द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए 15 घायलों को सुरक्षित निकालकर उपचार हेतु हल्द्वानी अस्पताल भिजवाया गया।


दुर्भाग्यवश, 2 व्यक्तियों की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गयी थी जिनके शवों को स्थानीय पुलिस के सुपुर्द किया गया जबकि 1 व्यक्ति लापता पाया गया, जिसकी खोज के प्रयास जारी हैं।


सुरक्षा, परंपरा और हिमालयी वास्तुकला के संगम से समृद्ध हुआ राष्ट्रपति निकेतन परिसर

देहरादून:

president Draupadi murmu CM Dhami
उपराष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उत्तराखंड में 


माननीय राष्ट्रपति ने आज देहरादून स्थित राष्ट्रपति निकेतन में दो नई आगंतुक- केंद्रित सुविधाओं- पैदल पार पुल (फुट ओवर ब्रिज) और घुड़सवारी क्षेत्र का लोकार्पण किया। इन दोनों परियोजनाओं ने राष्ट्रपति निकेतन परिसर को आधुनिकता, सुरक्षा और विरासत के अद्भुत संगम के रूप में स्थापित कर दिया है।



राजपुरा रोड पर बने 105 फीट लंबे पैदल पार पुल ने अब राष्ट्रपति निकेतन और आगामी राष्ट्रपति उद्यान (132 एकड़ परिसर) के बीच निर्बाध संपर्क स्थापित कर दिया है। उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा ₹9 करोड़ की लागत से निर्मित यह पुल स्थानीय हिमालयी वास्तुकला का सुंदर उदाहरण है। रैंप और रेलिंग के साथ यह पूरी तरह सुगम पहुँच (universal access) प्रदान करता है। यह पुल अब व्यस्त राजपुरा रोड पर पैदल यात्रियों की सुरक्षा के लिए एक सुरक्षित विकल्प बन गया है।


वहीं, परिसर में विकसित 0.7 एकड़ का घुड़सवारी क्षेत्र, राष्ट्रपति के अंगरक्षकों (PBG) की ऐतिहासिक परंपरा का प्रतीक है। सीपीडब्ल्यूडी द्वारा निर्मित इस अत्याधुनिक क्षेत्र में 8 घोड़ों की क्षमता वाला अस्तबल, उपचार कक्ष, स्नान व चारा कक्ष, और आगंतुकों के लिए देखने का विशेष गलियारा तैयार किया गया है।


यह नई सुविधा अब आम आगंतुकों के लिए सोमवार को छोड़कर प्रतिदिन सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुली रहेगी। यहाँ आगंतुकों को राष्ट्रपति सर्किट का समृद्ध अनुभव देने के लिए निर्देशित भ्रमण (Guided Tours) की भी व्यवस्था की गई है।


राष्ट्रपति निकेतन में इन दो नई परियोजनाओं के लोकार्पण के साथ, यह परिसर अब न केवल सुरक्षा और संरचना के दृष्टिकोण से उन्नत हुआ है, बल्कि हिमालयी विरासत और राष्ट्रीय गौरव का भी नया प्रतीक बन गया है।


 

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second convocation of patanjali

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने पतंजलि विश्वविद्यालय हरिद्वार के द्वितीय दीक्षांत समारोह में स्वर्ण पदक प्राप्त विद्यार्थियों को सम्मानित किया। रविवार को आयोजित इस कार्यक्रम में कुल 1454 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई। 62 शोधार्थियों को विद्या वारिधि और 3 शोधार्थियों को विद्या वाचस्पति की उपाधि प्रदान की गई, जबकि 615 विद्यार्थियों को परास्नातक और 774 विद्यार्थियों को स्नातक की उपाधि प्रदान की गई। इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि.) ने राष्ट्रपति को राष्ट्रपति भवन की विविध वनस्पतियों पर आधारित दो पुस्तकें ‘फ्लोरा ऑफ राष्ट्रपति भवन’ एवं ‘मेडिसिनल प्लांट्स ऑफ राष्ट्रपति भवन’ की प्रतिलिपियाँ भी भेंट कीं।


राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई एवं आशीर्वाद प्रदान किया। उन्होंने पदक प्राप्त विद्यार्थियों की सराहना करते हुए कहा कि विद्यार्थियों के जीवन-निर्माण में योगदान देने वाले अध्यापकों और अभिभावकों का भी विशेष अभिनंदन किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि इस वर्ष उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों में 64 प्रतिशत बेटियाँ हैं तथा पदक प्राप्त करने वाली छात्राओं की संख्या छात्रों की तुलना में चार गुना अधिक है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि विकसित भारत के उस स्वरूप का परिचायक है जिसमें महिलाएँ नेतृत्व की भूमिका निभा रही हैं।


राष्ट्रपति ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय महर्षि पतंजलि की तप, साधना और ज्ञान परंपरा को आधुनिक समाज के लिए सुलभ बना रहा है। विश्वविद्यालय योग, आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में शिक्षा और अनुसंधान के माध्यम से स्वस्थ भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उन्होंने विश्वविद्यालय की भारत-केन्द्रित शिक्षा-दृष्टि की सराहना करते हुए कहा कि इसमें विश्व बंधुत्व की भावना, वैदिक ज्ञान एवं आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण का समन्वय और वैश्विक चुनौतियों के समाधान जैसी विशेषताएँ निहित हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से वसुधैव कुटुंबकम् की भावना पर आधारित जीवन-मूल्यों को अपनाने का आह्वान किया।


राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान-प्राप्ति नहीं है, बल्कि सदाचार, तपस्या, सरलता और कर्तव्यनिष्ठा जैसे जीवन-मूल्यों को आत्मसात करना भी है। उन्होंने विद्यार्थियों को न केवल आत्म-विकास बल्कि राष्ट्र-निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया। गंगा तट पर स्थित हरिद्वार की सांस्कृतिक महत्ता पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि ये पवित्र स्थल ज्ञान और अध्यात्म का संगम है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि पतंजलि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी स्वाध्याय और तपस्या जैसे आदर्शों का पालन करते हुए स्वस्थ, संस्कारित और समरस समाज के निर्माण में योगदान देंगे।


राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि.) ने राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन करते हुए उनके देवभूमि आगमन को गर्व का क्षण बताया। राज्यपाल ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड केवल एक राज्य नहीं, बल्कि योग, आयुर्वेद और अध्यात्म का प्राण-केंद्र है। इस पवित्र धरती से प्रचलित योग और आयुर्वेद की परंपरा ने न केवल भारत को, बल्कि समूचे विश्व को स्वास्थ्य, संतुलन और सद्भाव का संदेश दिया है। उत्तराखंड की यह ऋषि-परंपरा आज भी हमें यह प्रेरणा देती है कि ज्ञान का सर्वोच्च उद्देश्य केवल आत्म-विकास नहीं, बल्कि विश्व-कल्याण है।


राज्यपाल ने उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को हार्दिक शुभकामनाएँ दीं और आशा व्यक्त की कि वे दीक्षांत समारोह के पश्चात आने वाली चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करेंगे। उन्होंने कहा कि आज उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थी अपने राष्ट्र, प्रदेश और समाज की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे तथा अपनी शिक्षा, प्रतिभा एवं प्रशिक्षण का उपयोग मानव-कल्याण के लिए करेंगे।


राज्यपाल ने कहा कि हमारे ऋषि-मुनियों ने जो ज्ञान अर्जित किया, वह केवल हमारे लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड के कल्याण के लिए था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को स्वीकृति दिलाकर योग के विज्ञान पर किए गए हजारों वर्षों के कार्य को वैश्विक मंच प्रदान किया। विगत कुछ वर्षों में योग और आयुर्वेद के माध्यम से स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति आई है, और आज करोड़ों लोग इनके माध्यम से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं।


मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का देवभूमि उत्तराखंड की सवा करोड़ देवतुल्य जनता की ओर से स्वागत किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने सदैव अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के कल्याण को प्राथमिकता देते हुए समाज के वंचित, शोषित एवं पिछड़े वर्गों के सशक्तिकरण के लिए कार्य किया है। हाल ही में जब उन्होंने लड़ाकू विमान ‘राफेल’ में उड़ान भरी, तो पूरे देश ने उनके अदम्य साहस, राष्ट्रभक्ति और दृढ़ संकल्प का प्रेरक उदाहरण देखा। उनके व्यक्तित्व में मातृत्व की ममता, सेवा का संकल्प और राष्ट्र के प्रति अटूट समर्पण का अद्भुत संगम निहित है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हम सभी उत्तराखंडवासियों का सौभाग्य है कि राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण होने के इस ऐतिहासिक अवसर पर हमें राष्ट्रपति का सान्निध्य और मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है।


मुख्यमंत्री ने दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों से अपेक्षा की कि वे अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग करके अपने बेहतर भविष्य के साथ ही अपने परिवार की सुख-समृद्धि और समाज के कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे। उन्होंने कहा कि स्वामी रामदेव के मार्गदर्शन में पतंजलि विश्वविद्यालय आधुनिक शिक्षा को भारतीय संस्कारों और परंपराओं से जोड़ने का अतुलनीय कार्य कर रहा है। यहाँ विज्ञान और अध्यात्म का अद्भुत संगम देखने को मिलता है, जहाँ विद्यार्थी केवल ज्ञान ही नहीं, बल्कि भारतीय जीवन-मूल्यों की भी शिक्षा प्राप्त करते हैं। पतंजलि विश्वविद्यालय ने आधुनिक विज्ञान और भारतीय ज्ञान परंपरा के समन्वय से ऐसी शिक्षा पद्धति विकसित की है, जो योग, आयुर्वेद, विज्ञान और प्रौद्योगिकी को एक सूत्र में पिरोने का कार्य कर रही है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार अनेक नवाचार कर रही है। राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू करने के साथ ही प्रदेश के विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और बिग डेटा जैसे कोर्स संचालित करने की पहल की गई है। भारतीय संस्कृति, दर्शन और इतिहास के गहन अध्ययन के लिए दून विश्वविद्यालय में ‘सेंटर फॉर हिंदू स्टडीज’ की स्थापना भी की गई है। देहरादून में साइंस सिटी, हल्द्वानी में एस्ट्रो पार्क और अल्मोड़ा में साइंस सेंटर के निर्माण के माध्यम से राज्य में वैज्ञानिक अनुसंधान को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।


कार्यक्रम में पतंजलि विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलाधिपति स्वामी रामदेव, कुलपति आचार्य बालकृष्ण, सांसद श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, डॉ. कल्पना सैनी एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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