Halloween party ideas 2015

 देहरादून:


theft in dispensry road to paltan market


 अगर आप पलटन बाजार में घूमने या अथवा सामान खरीदने के लिए जा रहे हैं तो कृपा कर सावधान हो जाइए क्योंकि वहां पर चोरियों की वारदात बढ़ती जा रही है।

 किसी का पर्स किसी का जरूरी दस्तावेज और किसी का खरीदा हुआ सामान तक भी चोर नहीं छोड़ रहे हैं ।

 कोई भी व्यक्ति  या महिला चुपके से से भी चोरी कर चला जाता है आम जनता इधर-उधर देखती रह जाती है ।

यही नहीं उन्हें कोई भी संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता है ।दुकानदारों का यहां तक कहना है कि सभी सामान निकालने के बाद  पर्स रात को कूड़े के देर में फेंक दिए जाते हैं और सुबह सब दिखते है। 

सवाल यह उठता है कि चोरी करने वाले कोई भी चोर क्यों कैमरे की नजर में नहीं आते ?

क्यों, मित्र पुलिस की नजर में नहीं आते? इसका जवाब सिर्फ  पुलिस और प्रशासन के पास है।

 ऐसी ही घटना रविवार को पलटन बाजार में हुई कल 21 दिसंबर को दोपहर दो- ढाई बजे के करीब ग्राम दूधली से भूतपूर्व सैनिक के परिजन खरीदारी करने पहुंचे जहां खरीदारी करते हुए अचानक डिस्पेंसरी रोड की तरफ उनका पर्स चोरी कर कर लिया जाता है।

 जिसमें  उनके  आधार कार्ड दस्तावेज और जरूरी सामान रूपए पैसे  यहां तक कि कैंटीन कार्ड भी थे। महिला होने के नाते उन्होंने इधर-उधर खड़े हुए पुलिसकर्मियों से गुहार लगाई । जिससे उन्हें संतोषजनक उत्तर नहीं मिला।

 तब उन्होंने  लगभग 20 मिनट  बाद एक  शिकायती पत्र पुलिस निकटतम पुलिस चौकी में दिया जिस पर अभी तक कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है. उनके यहां तक कहना है कि इस समय पर अनेक लोग अपना सामान चोरी हो जाने की शिकायत कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि सिर्फ उन्हें यह आश्वासन देकर की कर भेज दिया गया कि समान मिलने पर  तो आपको बता  देंगे। 

 




आईएसबीटी निकासी गेट पर बने निर्माण ध्वस्त; चौकी शिफ्ट करने के निर्देश

आईएसबीटी; दिल्ली जाने वाला गेट मिला बंद; नपे एआरएम; डीएम ने दिए कड़ी कार्यवाही के निर्देश

फ्लाईओवर के नीचे अतिरिक्त कट होंगे बंद; बनेगा क्रासओवर व व्यवस्थित कलर कोड पार्किंग

हरिद्वार बाईपास रोड आईएसबीटी के समीप सड़क किनारे टाइल्स पार्किंग विकसित करने को मौके पर ही एनएच को धन की स्वीकृति

आईएसबीटी क्षेत्र में किसी भी प्रकार की अव्यवस्था; अतिक्रमण;यातायात बाधा बर्दाश्त नही; अधिकारियों की जिम्मेदारी तय


देहरादून:


DM  Dehradun public hearing,


जिलाधिकारी  सविन बंसल ने आज अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल (आईएसबीटी) क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने यातायात व्यवस्था, पार्किंग, निकासी मार्ग एवं अव्यवस्थित गतिविधियों का गहन जायजा लिया तथा संबंधित विभागों को मौके पर ही आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने हरिद्वार बाईपास की तरफ आईएसबीटी फ्लाई ओवर के समीप सड़क किनारे खाली बड़ी खाली जगह पर टाइल्स लगाकर सुव्यवस्थित पार्किंग विकसित करने के निर्देश दिए, जिससे यात्रियों एवं आमजन को जाम की समस्या से राहत मिल सके। दिल्ली जाने वाली बसों के लिए बनाए गए निकासी गेट के बंद पाए जाने पर जिलाधिकारी ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की तथा एमडीडीए को तत्काल गेट खोलने के निर्देश दिए। पूर्व में दिए गए निर्देशों का अनुपालन न होने पर उन्होंने संबंधित एआरएम के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए।

जिलाधिकारी ने फ्लाईओवर के नीचे अवैध कट बंद करते हुए सुरक्षित क्रॉसओवर बनाए जाने के निर्देश दिए। साथ ही फ्लाईओवर के नीचे व्यवस्थित पार्किंग विकसित करने तथा निकासी गेट के समीप बनी पुलिस चौकी को अन्यत्र स्थानांतरित करने के निर्देश दिए। उन्होंने आईएसबीटी गेट के पर किए गए निर्माण को ध्वस्त कर निकासी गेट को पूर्ण रूप से सुचारू करने के निर्देश भी दिए गए। ताकि यातायात सुचारू रूप से संचालित हो सके। जिलाधिकारी ने आरटीओ को सड़क किनारे अवैध रूप से खड़े वाहनों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। 

जिलाधिकारी ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएच) के अधिकारियों को आईएसबीटी के समीप राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे टाइल्स लगाकर पार्किंग विकसित करने के निर्देश दिए। इसके लिए जिलाधिकारी द्वारा मौके पर ही आवश्यक धनराशि की स्वीकृति भी प्रदान की गई।

जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि आईएसबीटी क्षेत्र में किसी भी प्रकार की अव्यवस्था, अतिक्रमण अथवा यातायात बाधा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और निर्देशों के अनुपालन में लापरवाही पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।

निरीक्षण के दौरान मुख्य नगर आयुक्त नगर निगम नमामी बंसल, पुलिस अधीक्षक नगर प्रमोद कुमार, नगर मजिस्टेªट प्रत्युष सिंह, उप जिलाधिकारी सदर हरिगिरि, संभागीय परिवहन अधिकारी अनिता चमोला, एमडीडीए, एनएच के अधिकारी उपस्थित रहे। 



शहर की सफाई व्यवस्था देखने निकले डीएम; अधिकारियों को निर्देश सड़क किनारे न दिखे कूड़े का ढेर 

सड़क किनारे झोपड़ी बना निवास कर रहे लोग किए जाएंगे अनयंत्र शिफ्ट; डीएम ने दिए निर्देश

शहर अवैध गार्बेज प्वाइंट को शीघ्र  हो जाएं साफ भविष्य में पुनः कचरा न हो जमा 


देहरादून:


जिलाधिकारी सविन बंसल ने शहर की स्वच्छता व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से आज रिस्पना पुल से आईएसबीटी एवं लालपुल तक विभिन्न क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने सड़क, नालों, नदियों तथा सार्वजनिक स्थलों की सफाई व्यवस्था का जायजा लिया और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने कारगी चौक के समीप नाले एवं बिन्दाल नदी में गंदगी पाए जाने पर नगर निगम को तत्काल सफाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने क्षेत्र में जगह-जगह बने अवैध गार्बेज प्वाइंट को शीघ्र हटाने तथा भविष्य में पुनः कचरा न जमा हो, इसके लिए सतत निगरानी के निर्देश नगर निगम के अधिकारियों को दिए।

जिलाधिकारी ने कारगी क्षेत्र में स्थित पुराने डम्पिंग जोन की पूर्ण रूप से सफाई कराते हुए उसे सुव्यवस्थित करने तथा डम्पिंग जोन के समीप सड़क किनारे चूहों द्वारा क्षतिग्रस्त कच्ची भूमि को मरम्मत कर सुरक्षित बनाने के निर्देश भी दिए। आईएसबीटी के समीप सड़क किनारे झोपड़ियां बनाकर रह रहे लोगों के कारण उत्पन्न स्वच्छता एवं यातायात अवरोध को देखते हुए जिलाधिकारी ने एमडीडीए एवं नगर निगम के अधिकारियों को ऐसे लोगों को नियमानुसार अन्यत्र स्थान पर शिफ्ट करने के निर्देश दिए, ताकि सड़क किनारे सफाई व्यवस्था सुचारू रहे एवं यातायात व्यवस्था बाधित न हो।

जिलाधिकारी ने नगर निगम अधिकारियों को नालों एवं नालियों की नियमित एवं गहन सफाई सुनिश्चित करने, कचरा उठान व्यवस्था को प्रभावी बनाने तथा शहर को स्वच्छ एवं सुंदर बनाए रखने हेतु निरंतर अभियान चलाने के निर्देश दिए। 

निरीक्षण के दौरान मुख्य नगर आयुक्त नगर निगम नमामी बंसल, पुलिस अधीक्षक नगर प्रमोद कुमार, नगर मजिस्ट्रेट प्रत्युष सिंह, उप जिलाधिकारी सदर हरिगिरि, संभागीय परिवहन अधिकारी अनिता चमोला सहित एमडीडीए एवं राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) के अधिकारी उपस्थित रहे।


मुख्यमंत्री की जननीतियों से प्रेरित डीएम जनदर्शनः सुनवाई से समाधान तक भरोसे का सफर,*


*गरीबी आड़े नहीं आएगी शिक्षा में, डीएम के निर्देश पर ममता के मूक-बधिर बच्चे का स्पेशल स्कूल में निःशुल्क दाखिला*


*स्कूल फीस न होने से दो बच्चों की पढ़ाई पर आया संकट, मां की गुहार पर प्रशासन का संबल,*


*जन सुनवाई में छलका 70 वर्षीय बुजुर्ग का दर्द, परिवार के सदस्यों पर भरण पोषण में वाद दर्ज*


*भूमि सौदे में जालसाजी पर डीएम सख्त, 07 लाख की धोखाधड़ी में मौके पर एफआईआर दर्ज*


*जल जीवन मिशन में अनियमितता, सीडीओ को जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश,*

*सहसपुर-कोटडा मार्ग पर आवागमन संकट, रोडवेज को तत्काल बस संचालन के आदेश*

*जनता दर्शन में डीएम ने 171 लोगों की सुनी समस्या, कई मामले मौके पर निपटाए।*


देहरादून :



जिलाधिकारी सविन बसंल ने सोमवार को ऋषिपर्णा सभागार में आयोजित जनता दर्शन कार्यक्रम के दौरान  जन समस्याएं सुनी। जनता दरबार में दूर दराज से बडी संख्या में पहुंचे लोगों ने भूमि विवाद, भूमि का पट्टा निर्गत करने, आपसी विवाद, मारपीट, ऋण माफी, मुआवजा, आर्थिक सहायता, स्कूल फीस, भरण पोषण आदि से जुड़ी 171 समस्याएं जिलाधिकारी के समक्ष रखी। जिलाधिकारी ने बारी बारी से सबकी समस्याएं सुनी और कई मामलों का मौके पर ही निस्तारण किया और विभागों से संबंधित कुछ प्रकरणों को इससे जुड़े विभागों को अग्रसारित करते हुए विधि सम्मत त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश दिए।  


गरीब, असहाय बिहार निवासी महिला रीना देवी ने डीएम को अपनी व्यथा सुनाते हुए बताया कि उनका 11 वर्ष का बेटा कुछ बोल और सुन नहीं पाता है। अपने पुत्र को पढ़ाना चाहती हूॅ। मजदूरी करके किसी तरह परिवार का पालन पोषण हो रहा है। स्कूल की फीस देने में सक्षम नहीं हूॅ। इस पर जिलाधिकारी ने जिला प्रोबेशन एवं समाज कल्याण अधिकारी को बालक का स्पेशल चाइल्ड विद्यालय में निःशुल्क दाखिला करवाने के निर्देश दिए।


आर्थिक संकट से जूझ रही बंजारावाला निवासी रश्मि चौहान ने अपने दो बच्चों की फीस माफ करने की गुहार पर जिला शिक्षा अधिकारी को प्रश्नगत प्रकरण पर संबंधित विद्यालयों से वार्ता करते हुए फीस का समाधान करने और बच्चों की पढ़ाई हर हाल में जारी रखवाने के निर्देश दिए।    


जन सुनवाई में पहुंचे 70 वर्षीय बुजर्ग बीमार एवं दिव्यांग मदन सिंह ने अपनी पीडा सुनाते हुए कहा कि मेरे बच्चों एवं पत्नी द्वारा मेरे साथ धोखा करके फर्जी तरीके से मुझे मेरी ही संपत्ति से बेदखल कर दिया है। उन्होंने जीवन यापन हेतु सुरक्षा देने और जमीन पर कब्जा दिलाने की मांग पर डीएम ने मौके पर ही भरण पोषण में वाद दर्ज कराया।  


पति द्वारा प्रताड़ित पत्नी मंगला सिंह ने बताया कि उनके पति ने मारपीट कर उनको दो वर्ष पूर्व घर से निकाल दिया है। पूर्व में मुकदमे के बाद पति द्वारा भरण पोषण भत्ता मिलता था, जिससे वो गुजारा करती थी। लेकिन पिछले 05 महीनों से पति द्वारा भरण पोषण भत्ता न दिए जाने और जान से मारने की धमकी दी जा रही है। इस पर एसडीएम और सीओ प्रेम नगर को पीडित महिला को त्वरित न्याय दिलाने के निर्देश दिए।  


गाजियाबाद निवासी विकास ने बताया कि भूमि के एवज में अनुबंध पत्र पर जालसाजी करके उनके साथ 07 लाख की धोखाधड़ी की गई है। अपने पैसे वापस मांगने पर अब जान से मारने की धमकी दे रहे है। इस पर जिलाधिकारी मौके पर दूसरे पक्ष के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करवाई।


सहसपुर से होरावाला-कोटडा तक तीन वर्ष पहले बसों का संचालन बंद होने पर कुछ समय पहले से टाटा मैजिकों का संचालन भी बंद होने से इलाके में ग्रामीणों को आवागमन में हो रही परेशानी की शिकायत पर रोडवेज परिवहन को तत्काल बसों के संचालन हेतु आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए।  


सेलाकुई नगर पालिका के पर्यावरण मित्र सौरभ ने विगत पांच महीनों से वेतन न मिलने की ईओ नगर पालिका को संबंधित ठेकेदार के विरुद्ध एक्शन लेते हुए पर्यावरण मित्रों का मानदेय भुगतान कराने के निर्देश दिए।  


शाकुम्भरी गौ रक्षा सेवा समिति के पदाधिकारियों ने निराश्रित गौवंश के आश्रय के लिए भूमि उपलब्ध कराने की मांग पर एसडीएम और सीवीओ को भूमि चयन करते हुए गौवंश संचालन हेतु तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए।  

ग्राम पंचायत कांडी च्यामा गाता के अंतर्गत ग्राम गाता में जल जीवन मिशन के तहत स्वीकृत पेयजल योजना के टैंक व चौंबर का निर्माण न होने के बावजूद पेयजल लाइन का भुगतान करने की शिकायत पर सीडीओ को जल जीवन मिशन के नोडल अधिकारी से 05 जनवरी तक रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। ग्राम भट्ोवाला ऋषिकेश में बिला जल कनेक्शन के पानी के बिल जारी किए जाने शिकायत पर सीडीओ को जांच सौंपी।

 

ग्राम धनपौ से लोहारी तक दैवीय आपदा से क्षतिग्रस्त पैदल मार्ग की मरम्मत न होने की शिकायत पर एसडीमए चकराता को पैदल मार्ग की मरम्मत का प्रस्ताव शीघ्र उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।  


ग्राम भट्ोवाला में लोक निर्माण विभाग द्वारा निर्मित सार्वजनिक मार्ग पर अवैध कब्जा करते हुए दीवार निर्माण करने तथा मार्ग को निजी भूमि बताने की शिकायत पर एसडीएम ऋषिकेश एवं एक्शन लोनिवि को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। अजबपुर कलां में सरकारी भूमि पर कब्जा करने की शिकायत पर उप नगर आयुक्त को तत्काल अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए।  


जन सुनवाई में मोहना निवासी मोहन सिंह, सुशीला देवी, कालू राम आदि ने बताया कि 50-60 वर्षाे से मजदूरी करते हुए मोहना में निवास करते है। उन्होंने भूमि का पट्टा दिलाए जाने की गुहार लगाई। इस दौरान पीडित लोगों ने भूमि का सीमांकन, रजिस्ट्री, अवैध कब्जा हटवाने से जुड़ी तमाम शिकायतें और समस्याएं जिलाधिकारी के समक्ष रखी। जनता दरबार में एसडीमए स्मृता परमार, एसडीएम अपूर्वा सिंह, एसडीएम विनोद कुमार, परियोजना निदेशक विक्रम सिंह, जिला प्रोबेशन अधिकारी मीना बिष्ट, जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्डियाल सहित विभिन्न विभागों के जिला स्तरीय अधिकारी मौजूद थे।  

   



* मुख्यमंत्री संकल्प का ग्राउंड एक्शनः ग्राम पंचायत दुधली में जिला प्रशासन ने सुनी जन समस्याएं,*

*दुधली बहुउद्देशीय शिविरः 430 लाभार्थियों को मिला सेवाओं का लाभ*

*जन कल्याण शिविर कारगरः 35 की जांच, 05 श्रमिक कार्ड, 35 पात्र लोगों की पेंशन मौके पर स्वीकृत*

*शिविर में उठीं 53 शिकायतें, 15 का मौके पर समाधान,


देहरादून :

Doddhli multipurpose camp jan jan ke dwar


मा0 मुख्यमंत्री की पहल पर संचालित जन-जन की सरकार, जन-जन के द्वार, प्रशासन गांव की ओर अभियान के अंतर्गत विकासखंड डोईवाला के राजकीय इंटर कॉलेज दुधली में सोमवार को एसडीएम अपर्णा ढ़ौडियाल की अध्यक्षता में बहुउदेशीय शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान मा0 विधायक बृजभूषण गौरोला, प्रमुख क्षेत्र पंचायत डोईवाला, जिला अध्यक्ष भाजपा सहित अन्य जन प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।


शिविर में बड़ी संख्या में ग्रामीण, वरिष्ठ नागरिक, महिलाएं और स्थानीय जन प्रतिनिधियों ने अपने क्षेत्र से जुड़ी 53 समस्याएं एसडीएम के समक्ष रखी। जिसमें से 15 समस्याओं का मौके पर निस्तारण किया गया और विभागों से संबंधित  समस्याओं के समाधान हेतु त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए गए। शिविर में ग्रामीणों को जन कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी गई और कुल 430 लाभार्थियों को विभिन्न योजनाओं के तहत लाभ प्रदान किया गया।

 

बहुउद्देशीय शिविर में पंचायतीराज विभाग द्वारा 25 परिवार रजिस्टर की नकल, 03 जन्म-मृत्यु, 07 राशन कार्ड से समस्या का निस्तारण किया गया। समाज कल्याण विभाग द्वारा 35 पात्र लाभार्थियों के किसान, विधवा, दिव्यांग और वृद्धावस्था पेंशन स्वीकृत की गई। होम्योपैथिक चिकित्सा 34, पशुपालन 16, कृषि 28, उद्यान 07 लाभार्थियों को निःशुल्क सेवाएं प्रदान की गई। विद्युत विभाग द्वारा 06 बिजली के बिल संबंधी समस्याओं का निस्तारण किया गया। वही श्रम विभाग द्वारा 05 श्रमिकों के श्रम कार्ड बनाए गए।

 

बहुउदेशीय शिविर में कुल 53 समस्याएं प्राप्त हुई, जिसमें से सबसे अधिक 12 समस्याएं वन विभाग से संबंधित थी। वही लोक निर्माण विभाग की सड़कों से संबंधित 09, सिंचाई व लघु सिंचाई विभाग की सुरक्षा दीवार एवं नहरों से जुड़ी 12, ग्राम्य विकास की 05 सहित पेयजल, विधुत, राजस्व, परिवहन, स्वास्थ्य एवं शिक्षा की एक-एक शिकायत मिली। जिसमें 15 शिकायतों का मौके पर निराकरण किया गया। जबकि विभागों से जुड़ी शिकायतों के लिए अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई के निर्देशित दिए गए। इस अवसर पर न्याय पंचायत के ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।  

   


 

डोईवाला :



 डोईवाला विधानसभा के दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्र स्थित शेरा गोदी–बड़ेरना मार्ग की हालत बीते कई महीनों से बदहाल बनी हुई है। यह मार्ग थानों होमगार्ड प्रशिक्षण केंद्र से लगभग चार किलोमीटर आगे पड़ता है। स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि सिंचाई विभाग द्वारा किए गए कार्य के दौरान सड़क को क्षतिग्रस्त कर दिया गया, जिसे आज तक ठीक नहीं किया गया।

जानकारी के अनुसार कुछ माह पूर्व इस मार्ग पर सिंचाई विभाग द्वारा पाइपलाइन बिछाने का कार्य किया गया था। इस दौरान विभाग ने लगभग 8 इंच तक सड़क को तोड़ दिया, साथ ही पुरानी पाइपलाइन उखाड़ दी गई। कार्य के बाद सड़क और खुदाई किए गए गड्ढों को वैसे ही छोड़ दिया गया। बरसात के दौरान विभाग की लापरवाही के चलते मार्ग का एक हिस्सा बह गया, वहीं सुरक्षा दीवार भी क्षतिग्रस्त हो गई, जिसे अब तक पुनः निर्मित नहीं किया गया है।

स्थानीय निवासी आदर्श राठौर ने बताया कि उन्होंने इस समस्या को लेकर कई बार सिंचाई विभाग को अवगत कराया, लेकिन हर बार केवल आश्वासन देकर मामले को टाल दिया गया। उन्होंने कहा कि विभागीय लापरवाही के कारण ग्रामीणों को आवागमन में भारी परेशानी झेलनी पड़ी, खासकर बरसात के मौसम में स्थिति और भी भयावह हो गई।

इस संबंध में ग्राम पंचायत हल्द्वाडी की प्रधान शीला कठैत एवं उनके प्रतिनिधि अनिल कठैत ने भी बताया कि उन्होंने कई बार सिंचाई विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर मार्ग की मरम्मत और सुरक्षा दीवार निर्माण की मांग की, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। ग्राम प्रधान ने बताया कि उन्होंने इस मामले को लेकर सिंचाई विभाग के एई सुरेश चंद्र तिवारी को भी कई बार अवगत कराया, परंतु समस्या जस की तस बनी हुई है।

वहीं ज्येष्ठ उप प्रमुख रायपुर संजय सिंधवाल ने कहा कि सिंचाई विभाग का कार्य समाप्त हुए 5 से 6 महीने बीत चुके हैं, लेकिन न तो सड़क की मरम्मत की गई है और न ही क्षतिग्रस्त सुरक्षा दीवार का पुनर्निर्माण किया गया है, जो विभागीय उदासीनता को दर्शाता है।

आदर्श राठौर ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि शीघ्र ही सिंचाई विभाग द्वारा अपने बजट से क्षतिग्रस्त मार्ग और सुरक्षा दीवार का निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया, तो समस्त ग्रामीण सिंचाई विभाग के मुख्यालय पर आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द इस मामले का संज्ञान लेकर क्षेत्रवासियों को राहत दिलाई जाए, ताकि भविष्य में किसी बड़े हादसे से बचा जा सके।



आज दिनांक 22 दिसम्बर 2025 को मध्य रात्रि डिस्ट्रिक्ट कंट्रोल रूम (DCR) पौड़ी गढ़वाल से सूचना प्राप्त हुई कि मिरचोड़ नामक स्थान पर एक वाहन गहरी खाई में गिर गया है। 

vehicle fall down in deep ditch


उक्त सूचना पर SDRF टीम पोस्ट सतपुली से हेड कांस्टेबल महावीर रावत के हमराह तत्काल घटनास्थल के लिए रवाना हुई। 


उक्त घटना में वाहन संख्या UK12 CB 0607 लगभग 300 मीटर गहरी खाई में गिरा हुआ है, जिसमें एक व्यक्ति सवार था। SDRF टीम द्वारा त्वरित एवं सुसंगठित रेस्क्यू कार्रवाई करते हुए खाई में उतरकर उक्त व्यक्ति के शव को बरामद किया गया तथा मुख्य मार्ग तक लाया गया। इसके पश्चात शव को आवश्यक विधिक कार्रवाई हेतु जिला पुलिस के सुपुर्द किया गया।


*मृतक का विवरण निम्नवत है—*

नाम : सरदार सिंह

पिता का नाम : वीर सिंह

उम्र : 55 वर्ष

निवासी : ग्राम मरगांव, जिला पौड़ी गढ़वाल।

 

राष्ट्रपति ने विकसित भारत - रोज़गार और आजीविका के लिए गारंटी मिशन (ग्रामीण) : वीबी–जी राम जी (विकसित भारत- जी राम जी) विधेयक, 2025 को अपनी स्वीकृति प्रदान की

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अधिनियम से रोज़गार की वैधानिक गारंटी 125 दिनों तक बढ़ी

भविष्य की अगुवाई पंचायतें करेंगी - योजना बनाने की शक्ति ग्राम सभा और पंचायतों के पास


विकसित भारत–जी राम जी विधेयक, विकसित भारत@2047 के विज़न के अनुरूप

प्रविष्टि तिथि: 21 DEC 2025 4:30PM by PIB Delhi

राष्ट्रपति ने विकसित भारत-रोज़गार और आजीविका के लिए गारंटी मिशन (ग्रामीण) : वीबी–जी राम जी (विकसित भारत-जी राम जी) विधेयक, 2025 को आज अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है, जो ग्रामीण रोज़गार नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव है। यह अधिनियम ग्रामीण परिवारों के लिए प्रति वित्तीय वर्ष मज़दूरी रोज़गार की वैधानिक गारंटी को 125 दिनों तक बढ़ाता है और सशक्तिकरण, समावेशी विकास, योजनाओं के अभिसरण (कन्वर्जेस) तथा परिपूर्ण (सेचूरेशन) तरीके से सेवा–प्रदाय को आगे बढ़ाने का प्रयास करता है, जिससे समृद्ध, सक्षम और आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत की नींव मजबूत होती है।


इससे पूर्व, संसद ने विकसित भारत-रोज़गार और आजीविका के लिए गारंटी मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025 पारित किया था, जिसने भारत के ग्रामीण रोज़गार और विकास ढांचे में एक निर्णायक सुधार का मार्ग प्रशस्त किया है। 


यह अधिनियम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, 2005 (महात्मा गांधी नरेगा) को प्रतिस्थापित करते हुए आजीविका सुरक्षा को सुदृढ़ करने वाला एक आधुनिक वैधानिक ढांचा प्रदान करता है, जो विकसित भारत@2047 के राष्ट्रीय विज़न के अनुरूप है।


सशक्तिकरण, विकास, कन्वर्जेंस और परिपूर्णता (सेचूरेशन) के सिद्धांतों पर आधारित यह अधिनियम ग्रामीण रोज़गार को केवल एक कल्याणकारी योजना से आगे बढ़ाकर विकास का एक एकीकृत माध्यम बनाता है। यह ग्रामीण परिवारों की आय सुरक्षा को सुदृढ़ करता है, शासन और जवाबदेही को आधुनिक बनाता है तथा मज़दूरी रोज़गार को टिकाऊ और उत्पादक ग्रामीण परिसंपत्तियों के सृजन से जोड़ता है, जिससे समृद्ध एवं सक्षम ग्रामीण भारत की नींव और अधिक मजबूत होती है।


अधिनियम की प्रमुख विशेषताएं


रोज़गार की वैधानिक गारंटी में वृद्धि


यह अधिनियम प्रत्येक वित्तीय वर्ष में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को कम से कम 125 दिनों के मज़दूरी रोज़गार की वैधानिक गारंटी प्रदान करता है, बशर्ते परिवार के वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक हों। (धारा 5(1))

पूर्व में उपलब्ध 100 दिनों के रोजगार के अधिकार की तुलना में यह वृद्धि ग्रामीण परिवारों की आजीविका को सुरक्षा प्रदान करती है, काम को पहले से अनुमानित करती है और उनकी आय को अधिक स्थिर बनाती है। इसके साथ ही उन्हें राष्ट्रीय विकास में अधिक प्रभावी और सार्थक योगदान देने में सक्षम बनाती है।

कृषि और ग्रामीण श्रम के बीच संतुलित प्रावधान


बुवाई और कटाई के चरम सीजन के दौरान कृषि से संबंधित गतिविधियों हेतु कृषि श्रम की उपलब्धता आसान करने के लिए, यह अधिनियम राज्यों को एक वित्तीय वर्ष में कुल 60 दिनों की समेकित विराम अवधि अधिसूचित करने का अधिकार प्रदान करता है। (धारा 6)

श्रमिकों को मिलने वाले कुल 125 दिनों के रोज़गार के अधिकार यथावत बनी रहेगी, जिसे शेष अवधि में प्रदान किया जाएगा, जिससे कृषि उत्पादकता और श्रमिकों के हितों की सुरक्षा के मध्य संतुलित समायोजन सुनिश्चित होता है।

समय पर मज़दूरी भुगतान


यह अधिनियम मज़दूरी का भुगतान साप्ताहिक आधार पर अथवा किसी भी स्थिति में कार्य की समाप्ति के पंद्रह दिनों के भीतर किए जाने को अनिवार्य करता है (धारा 5(3))। निर्धारित अवधि से अधिक विलंब होने की स्थिति में, अनुसूची–II में उल्लिखित प्रावधानों के अनुसार विलंब मुआवज़ा देय होगा, जिससे मज़दूरी सुरक्षा को सुदृढ़ किया जाता है और श्रमिकों को विलंब से संरक्षण प्रदान किया जाता है।

टिकाऊ और उपयोगी ग्रामीण अवसंरचना से जुड़ा रोजगार


इस अधिनियम के अंतर्गत मज़दूरी रोज़गार को चार प्राथमिक विषयगत क्षेत्रों में टिकाऊ सार्वजनिक परिसम्पत्तियों के सृजन के साथ स्पष्ट रूप से जोड़ा गया है (धारा 4(2), अनुसूची–I के साथ पठित):


जल सुरक्षा एवं जल से संबंधित कार्य

मुख्य ग्रामीण अवसंरचना

आजीविका से संबंधित अवसंरचना

प्रतिकूल मौसमीय घटनाओं के प्रभाव को कम करने वाले कार्य

सभी कार्य बॉटम-अप एप्रोच यानि गाँव स्तर से प्रस्तावित किए जाते हैं, तथा सृजित सभी परिसंपत्तियों को विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना स्टैक में समेकित किया जाता है, ताकि सार्वजनिक संसाधनों का कंवर्जेंस, विखंडन से बचाव और स्थानीय ज़रूरत के अनुसार आवश्यक ग्रामीण अवसंरचना के निर्माण सेचूरेशन लक्ष्य के आधार पर परिणाम-आधारित योजना सुनिश्चित हो सके।  


राष्ट्रीय स्तर पर अभिसरण के साथ विकेन्द्रीकृत योजना निर्माण


सभी कार्य ‘विकसित ग्राम पंचायत योजनाओं’ से प्रारंभ होते हैं, जिन्हें ग्राम पंचायत स्तर पर सहभागितापूर्ण प्रकियाओं के माध्यम से तैयार किया जाता है तथा ग्राम सभा द्वारा अनुमोदित किया जाता है। (धाराएँ 4(1) से 4(3))

इन योजनाओं को पीएम गति शक्ति सहित राष्ट्रीय प्लेटफार्मों के साथ डिजिटल एवं स्थानिक रूप (spatially integrated) से एकीकृत किया जाता है, जिससे संपूर्ण-सरकार दृष्टिकोण के अंतर्गत कन्वर्जेंस संभव होता है, जबकि स्थानीय स्तर पर विकेन्द्रीकृत निर्णय निर्माण को यथावत बनाए रखा जाता है।

यह एकीकृत योजना निर्माण का फ्रेमवर्क, मंत्रालयों और विभागों को कार्यों की अधिक प्रभावी योजना बनाने और क्रियान्वयन करने में सक्षम बनाएगा, दोहराव से बचाव और सार्वजनिक संसाधनों की अपव्यय रोकने में सहायक होगा, तथा सेचूरेशन-आधारित परिणामों के माध्यम से विकास की गति को तेज़ करेगा।

 


सुधारित वित्तीय संरचना


यह अधिनियम एक केन्द्रीय प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जाएगा, जिसे राज्यों द्वारा अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार अधिसूचित और क्रियान्वित किया जाएगा।

व्यय-साझेदारी का पैटर्न केंद्र और राज्यों के बीच 60:40, पूर्वोत्तर एवं हिमालयी राज्यों के लिए 90:10, तथा विधानसभारहित केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100 प्रतिशत केंद्रीय वित्तपोषण का है।

निधि राज्यवार मानकीकृत आवंटनों के माध्यम से प्रदान की जाएगी, जो नियमों में निर्दिष्ट वस्तुनिष्ठ मानकों पर आधारित होगी (धाराएँ 4(5) एवं 22(4)), जिससे पूर्वानुमेयता, वित्तीय अनुशासन और सुदृढ़ योजना निर्माण सुनिश्चित होगा, साथ ही रोज़गार तथा बेरोज़गारी भत्ते से संबंधित वैधानिक अधिकारों का पूर्ण संरक्षण बना रहता है।

प्रशासनिक क्षमता की सुदृढ़ता


प्रशासनिक व्यय की अधिकतम सीमा को 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 9 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे बेहतर मानव संसाधन उपलब्धता, प्रशिक्षण, तकनीकी क्षमता तथा मैदानी स्तर पर सहायता सुदृढ़ होती है और संस्थानों की परिणामों को प्रभावी रूप से प्रदान करने की क्षमता मज़बूत होती है।

विकसित भारत - रोज़गार और आजीविका के लिए गारंटी मिशन (ग्रामीण) अधिनियम, 2025, विकसित भारत@2047 के विजन के अनुरुप भारत की ग्रामीण रोज़गार व्यवस्था को नया और मज़बूत रूप प्रदान करने की दिशा में एक निर्णायक कदम का प्रतिनिधित्व करता है। प्रति वित्तीय वर्ष मज़दूरी रोज़गार की वैधानिक गारंटी को 125 दिनों तक बढ़ाकर, यह अधिनियम काम मांगने के अधिकार को और मजबूत करता है, साथ ही विकेन्द्रीकृत और सहभागितापूर्ण शासन को बढ़ावा देता है। यह पारदर्शी, नियम-आधारित वित्तपोषण, जवाबदेही तंत्र, प्रौद्योगिकी (टेक्नालजी)-सक्षम समावेशन तथा कंवर्जेंस आधारित विकास को एकीकृत करता है, ताकि ग्रामीण रोज़गार न केवल आय सुरक्षा प्रदान करे, बल्कि टिकाऊ आजीविकाओं, सुदृढ़ परिसंपत्तियों और दीर्घकालिक ग्रामीण समृद्धि में भी योगदान दे।


रोज़गार की गारंटी और रोज़गार की मांग का अधिकार


यह अधिनियम रोज़गार की मांग के अधिकार को कमज़ोर नहीं करता है। इसके विपरीत, धारा 5(1) सरकार पर पात्र ग्रामीण परिवारों को कम से कम 125 दिनों के गारंटीकृत मज़दूरी रोज़गार प्रदान करने का स्पष्ट वैधानिक दायित्व निर्धारित करती है। गारंटीकृत दिनों में की गई यह वृद्धि, सुदृढ़ की गई जवाबदेही और शिकायत निवारण तंत्र के साथ मिलकर, इस अधिकार की प्रवर्तनीयता को और मज़बूत करती है।


मानक आधारित वित्तपोषण और रोज़गार प्रावधान


मानक आधारित (नॉर्मेटिव) आवंटनों की ओर किया गया परिवर्तन बजट निर्धारण और निधि प्रवाह की व्यवस्थाओं से संबंधित है और इससे रोज़गार के कानूनी अधिकार पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता। धाराएँ 4(5) और 22(4) नियम-आधारित और पूर्वानुमेय आवंटन सुनिश्चित करती हैं, जबकि रोज़गार अथवा बेरोज़गारी भत्ता प्रदान करने का वैधानिक दायित्व यथावत बना रहता है।


विकेन्द्रीकरण और पंचायतों की भूमिका


यह अधिनियम योजना बनाने या क्रियान्वयन का केंद्रीकरण नहीं करता है। धाराएँ 16 से 19 तक, पंचायतों, कार्यक्रम अधिकारियों और जिला प्राधिकारियों में, उपयुक्त स्तरों पर योजना, क्रियान्वयन और निगरानी की शक्तियाँ निहित करती हैं। राष्ट्रीय स्तर पर केवल दृश्यता, कन्वर्जेंस और समन्वय किया जाएगा, न कि स्थानीय निर्णय लेने के अधिकार लिए जाएंगे।


रोज़गार और परिसंपत्ति सृजन


यह अधिनियम 125 दिनों की बढ़ी हुई आजीविका की वैधानिक गारंटी को स्थापित तो करता ही है, साथ ही यह भी सुनिश्चित करता है कि रोज़गार उत्पादक, टिकाऊ और जलवायु-अनुकूल परिसंपत्तियों के निर्माण में योगदान दे। रोज़गार सृजन और परिसंपत्ति निर्माण को परस्पर पूरक उद्देश्यों के रूप में परिकल्पित किया गया है, जो दीर्घकालिक ग्रामीण विकास और अनुकूलन को समर्थन प्रदान करते हैं (धारा 4(2) एवं अनुसूची–I)।


प्रौद्योगिकी और समावेशन


अधिनियम के अंतर्गत प्रौद्योगिकी को एक बाधा नहीं, बल्कि एक सक्षम माध्यम के रूप में परिकल्पित किया गया है। धाराएँ 23 और 24, बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण, जियो-टैगिंग और रियल-टाइम डैशबोर्ड के माध्यम से प्रौद्योगिकी (टेक्नालजी)-सक्षम पारदर्शिता का प्रावधान करती हैं, जबकि धारा 20 ग्राम सभाओं द्वारा सोशल ऑडिट को सुदृढ़ करती है, जिससे सामुदायिक निगरानी, पारदर्शिता और समावेशन सुनिश्चित होता है।


बेरोज़गारी भत्ता


यह अधिनियम, बेरोजगारी भत्ते के संबंध में पहले के अयोग्य ठहराए (निरर्हता) जाने वाले प्रावधानों को हटाता है और इसे एक अर्थपूर्ण वैधानिक सुरक्षा उपाय के रूप में पुनर्स्थापित करता है। जहां निर्धारित अवधि के भीतर रोज़गार उपलब्ध नहीं कराया जाता है, वहां पंद्रह दिनों के पश्चात बेरोज़गारी भत्ता देय हो जाता है।


निष्कर्ष


विकसित भारत - रोज़गार और आजीविका के लिए गारंटी मिशन (ग्रामीण) अधिनियम, 2025 का पारित होना भारत की ग्रामीण रोज़गार गारंटी व्यवस्था के एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। वैधानिक रोज़गार को 125 दिनों तक विस्तारित कर, विकेन्द्रीकृत एवं सहभागितापूर्ण योजना को अंतर्निहित कर, जवाबदेही को सुदृढ़ कर तथा कन्वर्जेंस एवं परिपूर्णता (सेचूरेशन) आधारित विकास को संस्थागत रूप देकर, यह अधिनियम ग्रामीण रोज़गार को सशक्तिकरण, समावेशी विकास और समृद्ध एवं सक्षम ग्रामीण भारत के निर्माण के लिए एक रणनीतिक साधन के रूप में पुनः स्थापित करता है, जो विकसित भारत@2047 के विज़न के पूर्णतः अनुरूप है।

साभार पीआइबी

 


उत्तरकाशी:


Bear-terror-in-Bhatwadi uttarkashi


 जनपद के भटवाड़ी विकासखंड में भालुओं के बढ़ते विचरण तथा बीते दिनों ग्रामीणों पर हुए हमलों को गंभीरता से लेते हुए गंगोत्री विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण ने वन विभाग से तत्काल प्रभावी कार्रवाई की मांग की थी। पूर्व विधायक द्वारा स्थानीय वन अधिकारियों को पिंजरे लगाए जाने तथा निरंतर गश्त बढ़ाने के स्पष्ट निर्देश दिए गए थे।


वन विभाग ने पूर्व विधायक की मांग को संजीदगी से लेते हुए भटवाड़ी प्रखंड के मल्ला डांग गांव में भालुओं को पकड़ने हेतु पिंजरे स्थापित किए हैं। उल्लेखनीय है कि हाल ही में इसी गांव में भालुओं का झुंड सीसीटीवी कैमरे में कैद हुआ था, जिससे ग्रामीणों में भय का माहौल बना हुआ था।


पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण के निर्देशानुसार स्थानीय वन कर्मियों द्वारा क्षेत्र में लगातार गश्त बढ़ाई जा रही है तथा जंगली जानवरों के भय से आशंकित ग्रामीणों को हर संभव सहयोग एवं सुरक्षा का भरोसा दिया जा रहा है। वन विभाग द्वारा भालुओं को सुरक्षित पकड़ने के लिए सतत प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि क्षेत्र में जन-सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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