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 *मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने किया अजमेर, राजस्थान में अखिल भारतीय उत्तराखंड धर्मशाला – तीर्थराज पुष्कर के द्वितीय तल का लोकार्पण* 

 *मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आश्रम हेतु 50 लाख रुपए की  अतिरिक्त सहयोग राशि प्रदान करने की घोषणा की* 

 *आश्रम के निर्माण हेतु पूर्व में उत्तराखंड सरकार द्वारा एक करोड़ रुपए की सहयोग राशि प्रदान की गई थी* 

CM in Pushkar Ajmer


मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आज अजमेर, राजस्थान स्थित अखिल भारतीय उत्तराखंड धर्मशाला आश्रम, तीर्थराज पुष्कर के द्वितीय तल का लोकार्पण किया। इस अवसर पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रवासी उत्तराखंडी, स्थानीय नागरिक तथा विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।


कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सर्वप्रथम वे तीर्थराज पुष्कर की पवित्र भूमि पर विराजमान सृष्टि के आदि रचयिता, वेदों के प्रणेता भगवान ब्रह्माजी को साष्टांग प्रणाम करते हैं। उन्होंने कहा कि तीर्थराज पुष्कर की इस तपोमय भूमि पर उपस्थित होना उनके लिए अत्यंत सौभाग्य एवं प्रसन्नता का विषय है।


मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि धार्मिक ग्रंथों में पुष्कर, कुरुक्षेत्र, हरिद्वार, गया और प्रयाग को पंचतीर्थ के रूप में वर्णित किया गया है। इनमें भी ब्रह्माजी की यज्ञस्थली पुष्कर को समस्त तीर्थों का गुरु कहा गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुष्कर केवल एक तीर्थ नहीं बल्कि सनातन संस्कृति की अनश्वर ज्योति है जो मानवता को सदैव धर्म, तप, त्याग और सद्गुणों के पथ पर चलने की प्रेरणा देती रही है।


उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा का पुण्य तभी पूर्ण माना जाता है जब तीर्थराज पुष्कर के पावन सरोवर में स्नान किया जाए। मुख्यमंत्री ने भावुक होते हुए बताया कि संभवतः इसी आध्यात्मिक महिमा और आभा से प्रेरित होकर उनके माता-पिता ने उनका नाम ‘पुष्कर’ रखा।


मुख्यमंत्री श्री धामी ने आयोजन समिति और प्रवासी उत्तराखंडियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि वे राजस्थान में नहीं बल्कि देवभूमि के अपने परिजनों के बीच होने का अनुभव कर रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह धर्मशाला आने वाले समय में श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण आश्रय स्थल बनने के साथ-साथ उत्तराखंड और राजस्थान के बीच सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक संबंधों को और अधिक सुदृढ़ करेगी।


 *प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सांस्कृतिक पुनर्जागरण* 


मुख्यमंत्री ने कहा कि आज आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत की सनातन संस्कृति विश्व पटल पर नई पहचान बना रही है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, महाकाल लोक, केदारनाथ-बद्रीनाथ धामों के पुनर्निर्माण जैसे कार्यों ने भारतीय आध्यात्मिक धरोहर को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार भी पीएम मोदी जी के मार्गदर्शन में केदारखंड एवं मानसखंड मंदिर क्षेत्रों के सौंदर्यीकरण, श्रीकृष्ण यमुना तीर्थ सर्किट, हरिद्वार–ऋषिकेश कॉरिडोर, शारदा कॉरिडोर सहित अनेक महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर कार्य कर रही है। इसके साथ ही दून विश्वविद्यालय में ‘सेंटर फॉर हिन्दू स्टडीज’ की स्थापना भी इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


 *सांस्कृतिक स्वरूप व सामाजिक सौहार्द की रक्षा हेतु कठोर कदम* 


मुख्यमंत्री श्री धामी ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड संपूर्ण भारत की आस्था और संस्कृति का केंद्र है। इस पवित्र भूमि के मूल स्वरूप की रक्षा हेतु राज्य सरकार ने कई महत्वपूर्ण और कठोर निर्णय लिए हैं | जबरन धर्मांतरण के विरुद्ध कठोर कानून लागू किया गया। लैंड जिहाद, लव जिहाद और थूक जिहाद जैसी घृणित मानसिकताओं पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है। दंगारोधी कानून लागू कर दंगाइयों से ही क्षति की भरपाई की व्यवस्था की गई है। प्रदेश में हरा–नीला–पीला कपड़ा लगाकर सरकारी भूमि पर किए गए अवैध कब्जों को चिन्हित कर 10 हजार एकड़ से अधिक भूमि को मुक्त कराया गया। देश में सबसे पहले समान नागरिक संहिता (UCC) लागू की गई, जिससे सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून व्यवस्था सुनिश्चित हुई। प्रदेश में नया कानून लागू कर मदरसा बोर्ड समाप्त किया गया और सभी विद्यालयों में सरकारी बोर्ड मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रम अनिवार्य किया गया। 250 से अधिक अवैध मदरसों को बंद किया गया। “ऑपरेशन कालनेमि” के तहत धार्मिक स्थलों पर भेष बदलकर पाखंड फैलाने वाले तत्वों पर सख्त कार्रवाई जारी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य देवभूमि में अलगाववादी सोच नहीं बल्कि ज्ञान और संस्कार के मंदिर स्थापित करना है।


 *प्रवासी उत्तराखंडियों से आग्रह* 


मुख्यमंत्री ने उपस्थित उत्तराखंडियों से आह्वान किया कि वे जहाँ भी रहें, अपने राज्य की संस्कृति, पहचान और पूर्वजों की गौरवशाली परंपरा को सदैव गर्व के साथ आगे बढ़ाएं।उन्होंने कहा कि “हमारा संकल्प है कि उत्तराखंड को देश की आध्यात्मिक राजधानी बनाएं। ‘विकल्प रहित संकल्प’ के मंत्र के साथ हम निरंतर आगे बढ़ रहे हैं और इसमें प्रत्येक उत्तराखंडी अपनी निष्ठा एवं परिश्रम के साथ योगदान देगा।”


 *आश्रम निर्माण में सहयोग हेतु आभार* 


कार्यक्रम में यह भी उल्लेख किया गया कि आश्रम के निर्माण हेतु उत्तराखंड सरकार द्वारा एक करोड़ रुपए की सहयोग राशि प्रदान की गई थी, जिसके लिए मुख्यमंत्री श्री धामी का हार्दिक आभार व्यक्त किया गया।



 कार्यक्रम में श्री ओंकार सिंह लखावत, अध्यक्ष – राजस्थान धरोहर संरक्षण प्राधिकरण एवं वरिष्ठ भाजपा नेता,श्री सुरेश सिंह रावत, विधायक एवं माननीय मंत्री – राजस्थान सरकार,श्री लोकबंधु, जिलाधिकारी – अजमेर,

श्री एस. एस. तड़ागी, अध्यक्ष – अखिल भारतीय उत्तराखंड आश्रम, श्री राजेंद्र व्यास व बड़ी संख्या में प्रवासी उत्तराखंडी एवं स्थानीय प्रशासन के अधिकारी उपस्थित रहे |

 डोईवाला:




सॉन्ग नदी डोईवाला के नजदीक एक व्यक्ति पर हाथी ने अचानक हमला कर दिया जिससे वह बाल बाल बचे।

श्री मनीराम थापा निवासी लछीवाला जो ओएनजीसी रिटायर्ड कर्मी है ।सुबह अपने कुत्ते को घुमाने के लिये लगभग 7 बजे निकले तो हाथी ने उन पर हमला कर दिया।

किसी तरह से उनकी जान बची और उन्हें पुल के ऊपर लाया गया परंतु उनके सर और अन्य स्थानों पर शरीर में छोटे आई हैं दाएं हाथ में फ्रैक्चर हो गया है।

अन्य देखने वालों का कहना है कि यह हाथी एक दांत वाला है जो कि वार्ड नंबर 2 में कुछ दिन से दिखाई दे रहा है ।

यही नहीं खत्री श्यामपुर ऋषिकेश की तरफ भी इसी प्रकार के एक दांत वाले हाथी की वीडियो और खबरें प्रचारित प्रसारित होती रही है जो की सुबह के समय टहलने के लिए निकलताहै।


किताबें पढ़ने की आदत को बढ़ावा दें: 'बुके नहीं बुक दीजिए'—मुख्यमंत्री धामी का आह्वान* 

 *AI कितना भी उन्नत हो जाए, किताबों का कोई विकल्प नहीं: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी* 

 *स्थानीय भाषाओं के संरक्षण को सरकार की प्राथमिकता—गढ़वाली, कुमाऊँनी, जौनसारी के डिजिटलाइजेशन पर जोर* 

 *मुख्यमंत्री की अपील: घर-विद्यालयों में बढ़ाएँ अपनी बोली-भाषा का उपयोग, नई पीढ़ी को जोड़ें विरासत से* 

 *डिजिटल माध्यमों से मजबूत होंगी मातृभाषाएँ, सरकार तैयार कर रही नई पहलें* 

 *साहित्य और लोक संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी: मुख्यमंत्री धामी* 

*सीएम पुष्कर सिंह धामी ने वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत की पुस्तक "उत्तराखंड राज्य का नवीन राजनीतिक इतिहास" का किया

 *राज्य की 25 वर्ष की राजनीतिक यात्रा का तथ्यपरक संकलन—मुख्यमंत्री ने पुस्तक की सराहना की* 





 मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आज मुख्यमंत्री आवास में वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रतिष्ठित लेखक श्री जय सिंह रावत द्वारा लिखित पुस्तक “उत्तराखंड राज्य का नवीन राजनीतिक इतिहास” का विमोचन किया। यह पुस्तक उत्तराखंड राज्य के राजनीतिक, प्रशासनिक एवं क्रमिक विकास की संपूर्ण और प्रामाणिक दस्तावेज़ी यात्रा को प्रस्तुत करती है।


कार्यक्रम के शुभारंभ में मुख्यमंत्री ने उपस्थित महानुभावों, लेखकों, पत्रकारों तथा जनप्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए लेखक श्री जय सिंह रावत को इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए हार्दिक बधाई दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत जी ने राज्य के गठन के बाद की 25 वर्षों की राजनीतिक यात्रा को जिस सुसंगतता और प्रमाणिकता के साथ संकलित किया है, वह अत्यंत सराहनीय है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के इतिहास, संस्कृति और लोक परंपराओं पर कई पुस्तकें उपलब्ध हैं, लेकिन राज्य स्थापना के बाद की ढाई दशक की घटनाओं को तथ्यों, दस्तावेजों और विश्लेषण के आधार पर संग्रहित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसे लेखक ने उत्कृष्टता के साथ प्रस्तुत किया है। उन्होंने बताया कि पांच भागों में विभाजित यह पुस्तक शोधार्थियों, विद्यार्थियों और प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए विशेष रूप से उपयोगी सिद्ध होगी।


मुख्यमंत्री श्री धामी ने कहा कि राज्य बनने के बाद उत्तराखंड ने एक लंबा राजनीतिक अस्थिरता का दौर भी देखा, जिसका प्रभाव विकास की गति पर पड़ा। रावत जी ने इस संपूर्ण कालखंड का प्रामाणिक प्रस्तुतिकरण करते हुए दुर्लभ दस्तावेज़ों और प्रेस कतरनों की मदद से एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक संकलन तैयार किया है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि “इतिहास लिखना एक गंभीर दायित्व है, जिसमें तथ्य, दृष्टि और ईमानदारी का होना आवश्यक है। श्री रावत जी ने पत्रकारिता की निष्ठा और निर्भीकता के साथ इस कालखंड को सहेजने का कार्य किया है।”


पुस्तक अध्ययन पर बल देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के इंटरनेट युग में जानकारी तत्काल उपलब्ध हो जाती है, लेकिन किताबों का महत्व कभी कम नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि पुस्तकें हमारे विचारों को गहराई देती हैं और ज्ञान को स्थायी रूप से संजोती हैं।


मुख्यमंत्री ने सभी से अपील की कि—

“ किसी भी कार्यक्रम में ‘बुके नहीं, बुक दीजिए’। इससे जहां पुस्तकों के प्रति रुचि बढ़ेगी, वहीं लेखकों को भी प्रेरणा मिलेगी।


 मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के इस तेज़ी से बदलते दौर में तकनीक का उपयोग आवश्यक है, लेकिन इसके साथ ही अपनी गढ़वाली, कुमाऊँनी, जौनसारी सहित सभी क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियों को सुरक्षित रखना हम सभी का सामूहिक दायित्व है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि विद्यार्थियों को अपनी मातृभाषा में भाषा कंटेंट, साहित्य, और लोकपरंपरा से जुड़े कार्यों को बढ़ावा देना चाहिए। सरकार भी इस दिशा में गंभीरता से प्रयास कर रही है तथा नई पीढ़ी के कंटेंट क्रिएटर के लिए इस दिशा में प्रतियोगिताएं आयोजित कर रही है | उन्होंने कहा कि राज्य स्तर पर स्थानीय भाषाओं में लेखन, गीत-संग्रह, शोध और डिजिटल कंटेंट तैयार करने वाले विद्यार्थियों को प्रोत्साहन और सम्मान दिए जाने की दिशा में सरकार सतत प्रयासरत है।


उन्होंने कहा कि “ *भाषा, संस्कृति और रीति–रिवाज़ केवल अभिव्यक्ति के माध्यम नहीं, बल्कि हमारी पहचान और विरासत की नींव हैं। इसलिए आवश्यक है कि हम अपनी बोली-भाषाओं का संरक्षण करें और आने वाली पीढ़ियों में इनके प्रति गर्व की भावना विकसित करें।”* 


मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की नई पीढ़ी को यह बताना बहुत ज़रूरी है कि हमारे पूर्वजों ने कितनी कठिनाइयों और संघर्षों के बीच अपनी परंपराओं, सामाजिक मूल्यों और भाषा को बचाए रखा। उन्होंने कहा कि जब बच्चे अपनी जड़ों को समझते हैं, तो उनमें आत्मविश्वास और सांस्कृतिक चेतना मजबूत होती है।


पुस्तक पढ़ने की आदत पर बल देते हुए मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि “AI कितनी भी उन्नत क्यों न हो जाए, पुस्तकों को रिप्लेस करने का कोई अवसर नहीं है। पुस्तकें केवल ज्ञान का स्रोत नहीं, बल्कि सोचने, समझने और सीखने की एक गहरी प्रक्रिया हैं।”


मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों से अपील की कि वे अपने घरों, विद्यालयों और समुदायों में स्थानीय भाषाओं के उपयोग को बढ़ावा दें तथा साहित्य और लोक संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भाषा संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए अनेक नई पहलें प्रारंभ कर रही है और आगे भी इस दिशा में प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।


मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार स्थानीय बोली-भाषाओं, साहित्य और पारंपरिक बोलियों के डिजिटलाइजेशन पर विशेष ध्यान दे रही है, ताकि गढ़वाली, कुमाऊँनी, जौनसारी सहित सभी क्षेत्रीय भाषाओं का सांस्कृतिक खजाना सुरक्षित रहे और नई पीढ़ी आसानी से इन तक पहुँच सके। उन्होंने कहा कि डिजिटल माध्यमों पर सामग्री उपलब्ध होने से हमारी मातृभाषाएँ न केवल संरक्षित होंगी, बल्कि आधुनिक समय के अनुरूप और अधिक सशक्त रूप में आगे बढ़ेंगी।

कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री एवं महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी, पूर्व मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत, विधायक श्री बृज भूषण गैरोला, पत्रकार, साहित्यकार एवं अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।सी


सीएम पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री आवास पर IAS आधिकारियों की अनौपचारिक बैठक आयोजित* 


“ *ये दशक उत्तराखंड का दशक”—सीएम धामी ने प्रशासन को तेज़, पारदर्शी और जन-केंद्रित कार्य शैली अपनाने का आह्वान किया* 

 *फाइलों में देरी न हो, निर्णय लक्ष्य आधारित हों—मुख्यमंत्री ने IAS अधिकारियों को दी स्पष्ट हिदायत* 


“ *पद की प्रतिष्ठा कार्यकाल तक, लेकिन कार्यों का सम्मान आजीवन”—सीएम धामी ने अधिकारियों को याद दिलाई सेवा की मूल भावना* 


 *जनता के विश्वास को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की आवश्यकता—सीएम धामी का संदेश* 




 *राज्य प्रशासन को तेज, पारदर्शी और परिणाम-आधारित कार्यशैली अपनाने के लिए मुख्यमंत्री का आह्वान* 



 मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में आज मुख्यमंत्री आवास में उत्तराखंड के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की एक अनौपचारिक बैठक आयोजित की गई। बैठक में राज्य के मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन सहित सभी वरिष्ठ एवं युवा IAS अधिकारी उपस्थित रहे। यह बैठक वर्तमान में चल रहे प्रशासनिक अधिकारी सम्मेलन  (AOC) के संदर्भ में थी | 


बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह किसी औपचारिक संबोधन का अवसर नहीं है, बल्कि उनकी प्रशासन के लिए संवेदनशील और आत्मीय भावनाओं को साझा करने का अवसर है।


उन्होंने कहा कि उत्तराखंड ने अपनी 25 वर्ष की यात्रा में अनेक चुनौतियों का सामना किया है और इन उपलब्धियों के पीछे राज्य के प्रशासनिक तंत्र की कड़ी मेहनत, निष्ठा और दूरदर्शिता का महत्वपूर्ण योगदान है। मुख्यमंत्री ने कहा कि—

“आप सभी ने कठिन परिस्थितियों में भी उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता और संवेदनशील प्रशासन का परिचय दिया है। इसके लिए मैं आप सभी को हृदय से साधुवाद देता हू

 *“ये समय रुकने का नहीं, आगे बढ़ने का है”—मुख्यमंत्री* 


मुख्यमंत्री ने कहा कि यह समय अधिक गति, अधिक दृढ़ता और अधिक संकल्प के साथ काम करने का है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के शब्द—

“ये दशक उत्तराखंड का दशक है”

का उल्लेख करते हुए कहा कि इस संकल्प को साकार करना उत्तराखंड के प्रशासन का दायित्व है।




उन्होंने कहा कि आने वाले पाँच वर्ष उत्तराखंड के लिए निर्णायक होंगे और हमें राज्य को ऐसे मोड़ पर लेकर जाना है, जहाँ हर नागरिक यह महसूस करे कि राज्य निर्णायक और सकारात्मक परिवर्तन से गुजर रहा है।


मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि—प्रशासन को तेजी और पारदर्शिता के साथ काम करना होगा। हर योजना और निर्णय लक्ष्य-आधारित और जन-केंद्रित होना चाहिए। व्यवस्था ऐसी बने कि फाइलों का निस्तारण समयबद्ध हो। योजनाओं का प्रभाव जमीनी स्तर पर तुरंत दिखाई दे |हर प्रक्रिया में जवाबदेही स्पष्ट हो।

 *“ये केवल नौकरी नहीं, समाज सेवा का दायित्व है”—मुख्यमंत्री* 

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को उनकी मूल भावना का स्मरण कराते हुए कहा कि उन्होंने यह सेवा धन, पद या सुरक्षा के लिए नहीं चुनी होगी, बल्कि राष्ट्र एवं समाज के लिए कुछ करने की भावना से चुनी होगी।

उन्होंने कहा कि: “आपके निर्णय सीधे लाखों लोगों को प्रभावित करते हैं। इसलिए संवेदनशीलता, दूरदृष्टि और तथ्यपरक सोच अत्यंत आवश्यक है।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि कभी-कभी जनता की शिकायतें प्रशासन की छवि को आहत करती हैं। लालफीताशाही, शिकायत न सुने जाने और फाइलों में अनावश्यक देरी जैसी बातें व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को जनता के विश्वास को सर्वोपरि रखना चाहिए।

 *प्रेरणा के उदाहरण प्रस्तुत करते हुए मुख्यमंत्री का संबोधन* 

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रशासनिक इतिहास में सूर्यप्रताप सिंह, टी. एन. शेषन, नृपेंद्र मिश्र जैसे अनेक अधिकारी ऐसे रहे हैं जिन्होंने अपनी ईमानदारी, संकल्प और जनसेवा के माध्यम से समाज में स्थायी छाप छोड़ी।


मुख्यमंत्री ने कहा—“पद की प्रतिष्ठा आपके कार्यकाल तक है, लेकिन आपके कार्यों का सम्मान आजीवन रहता है।” उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे अपने पद को केवल नौकरी नहीं, बल्कि समाज सेवा का पवित्र अवसर समझें।

“ *उदासीनता की कोई जगह नहीं”—मुख्यमंत्री का स्पष्ट संदेश* 

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के ‘नए भारत’ में उदासीन कार्यशैली बर्दाश्त नहीं की जाती। उन्होंने निर्देश दिए कि—कोई भी कार्य अनावश्यक रूप से लंबित न रखा जाए।निर्णय तेजी और सूझबूझ से लिए जाएं। सभी योजनाओं का लाभ पात्र व्यक्तियों तक पारदर्शिता और समयबद्धता से पहुँचे। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को अपने क्षेत्रों में मासिक समीक्षा, निरंतर मॉनिटरिंग, और साइट निरीक्षण को सुनिश्चित करना चाहिए।

“ *विकल्प रहित संकल्प” के साथ कार्य करने की आवश्यकता*

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार “विकल्प रहित संकल्प” के मंत्र के साथ उत्तराखंड को देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करने के लिए कार्यरत है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि IAS अधिकारी अपनी निष्ठा, मेहनत और संकल्प के साथ इस लक्ष्य को प्राप्त करने में अग्रणी भूमिका निभाते रहेंगे।

कार्यक्रम में मुख्य सचिव ने वर्तमान में चल रहे प्रशासनिक अधिकारी सम्मेलन  (AOC) के अनुभव  साँझा किये |

श्रम संहिताओं के अनुपालन को सरकार कटिबद्ध*


*देश के कार्यबल में नए युग का शुभारंभ, दूरगामी सार्थक परिणाम निकलेंगेः सीएम धामी*


मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि श्रम सुधारों से देश के कार्यबल में नए युग का शुभारंभ हुआ है। आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के लिहाज से चार श्रम संहिताओं को लागू किया जाना एक महत्वपूर्ण फैसला है। इसके दूरगामी सार्थक परिणाम निकलेंगे। उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार श्रम संहिताओं के अनुपालन के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने श्रम सुधारों के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का आभार प्रकट किया है।मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश में नई कार्यसंस्कृति ने स्थान पाया है।नई नीतियों का निर्धारण देश को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में मिल का पत्थर साबित होगा।


मुख्यमंत्री ने कहा है कि पूर्व के श्रम कानूनों से असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का एक बड़ा वर्ग बाहर था। वहीं इनके लिए सामाजिक सुरक्षा का भी अभाव था। न्यूनतम वेतन का प्राविधान भी चुनिंदा क्षेत्रों तक ही सीमित था। इन श्रम कानूनों से व्यापारिक सुगमता भी प्रभावित हो रही थी। विदेशी निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था। इंस्पेक्टर राज की व्यवस्था से व्यापार एवं उद्योगों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था। इस दृष्टिकोण से भारत सरकार ने श्रम सुधार कर ऐतिहासिक कदम उठाया है।


उन्होंने कहा है कि नए कानून के प्रावधान श्रमिकों के हितों की मजबूती से रक्षा करते हैं। उन्होंने कहा है कि सभी के लिए न्यूनतम और समय पर वेतन, नियुक्ति पत्र की अनिवार्यता जैसे प्राविधान अभूतपूर्व हैं। श्रम सुधार 40 करोड़ श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। महिला श्रमिकों को समान अवसर और समान वेतन के साथ ही रात्रि पाली में काम करने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है, जो कि नारी शक्ति को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा फैसला है। 


मुख्यमंत्री का कहना है कि निश्चित अवधि के कर्मचारियों को एक वर्ष की सेवा के बाद ग्रेच्युटी, श्रमिकों के लिए निःशुल्क वार्षिक स्वास्थ्य जांच की अनिवार्यता, जोखिम भरे कार्य क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों के लिए सौ प्रतिशत स्वास्थ्य सुरक्षा जैसे प्राविधान बेहद अहम हैं। उन्होंने कहा है कि श्रम सुधारों से राज्य में जहां श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के साथ-साथ बेहतर कार्य वातावरण मिलेगा, वहीं व्यवसाय एवं उद्योगों में अनुकूल वातावरण मिलने से कार्य सुगमता होगी। उन्होंने कहा है कि इन श्रम कानूनों से राज्य के श्रमिक एवं उद्योग दोनों ही पक्ष लाभान्वित होंगे।


मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आज मुख्य सचिव तथा प्रमुख सचिव वन के साथ बैठक कर वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए कि भालुओं तथा अन्य वन्यजीवों के हमलों में घायल व्यक्तियों के उपचार का पूरा खर्च राज्य सरकार वहन करेगी।


इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक घायल को समय पर तथा समुचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने संबंधित विभागों को निर्देशित किया कि उपचार में किसी भी प्रकार की देरी न हो और आवश्यक संसाधन तत्काल उपलब्ध कराए जाएँ।


यह उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा वन्यजीव हमलों में मृतकों के परिजनों को प्रदत्त मुआवजा राशि 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दी गई है।



मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि घायलों को बेहतर उपचार उपलब्ध कराने के साथ-साथ प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा एवं जागरूकता उपायों को भी सुदृढ़ किया जाए।



*प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे हैं कारगर प्रयास- मुख्यमंत्री*


मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी से शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में सिडकुल इंटरप्रन्योर वेलफेयर सोसाईटी पंतनगर के प्रतिनिधि मंडल ने भेंट की। उन्होंने मुख्यमंत्री को रजत जयंती उत्सव के साथ ही मुख्यमंत्री के कुशल नेतृत्व में राज्य में बेहतर औधोगिक वातावरण के सृजन के लिए उनका आभार जताया।


मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में उद्योगों को बढावा देने के लिए उद्योगों के लिए अनुकूल नीतियां बनाई गयी हैं। उन्होंने सोसाईटी के प्रतिनिधियों से प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने में सहयोगी बनने की अपेक्षा करते हुए कहा कि, किच्छा खुरपिया पार्क के विकास के साथ ही अमृतसर कोलकता औद्योगिक गलियारा उधमसिंह नगर जनपद को उद्योग के क्षेत्र में नये आयाम स्थापित करने में मददगार होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के आर्थिक एवं समग्र विकास में सभी को सहयोगी बनना होगा। सभी के समेकित प्रयासों से ही हम उत्तरखण्ड उत्तराखण्ड को अग्रणी राज्य बनाने में सफल होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि किच्छा खुरपिया फार्म में औद्योगिक स्मार्ट सिटी व सेटेलाईट एम्स क्षेत्र के विकास को भी गति मिलेगी।


मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में उद्योग को बढ़ावा देने एवं उद्यमियों की सुविधा के लिए जिलाधिकारियों एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को उद्यमियों की सुविधाओं एवं सहयोग करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा कि प्रदेश किसी भी स्तर पर किसी का भी उत्पीड़न न होने दिया जाएगा और न ही इसकी किसी को इजाजत दी जाएगी। राज्य सरकार की भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टोलरेंस की नीति रही है। राज्य में किसी भी स्तर पर कोई गलत कार्य न हो इसके लिए भी प्रभावी प्रयास किए जा रहे है। राज्य में बेहतर कानून व्यवस्था की निरंतर समीक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा कि निवेश के लिए राज्य में बड़े औद्योगिक संस्थानों द्वारा इच्छा जताई जा रही है। अच्छे व बड़े उद्योग राज्य में स्थापित हो इसके लिए हम प्रयासरत है।


उन्होंने कहा कि किच्छा के पास पंतनगर में 700 करोड़ की लागत से अंतरराष्ट्रीय स्तर का एयरपोर्ट बनने से क्षेत्र का स्वर्णिम विकास होगा। इसके लिए लगभग 900 एकड़ भूमि एयरपोर्ट विस्तारीकरण के लिए हस्तगत कर दी गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में उधम सिंह नगर के खुरपिया में एक हजार एकड़ में एक इंडस्ट्रियल स्मार्ट सिटी स्थापित की जा रही है जिससे अरबों का निवेश होगा तथा लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा। इससे क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।


मुख्यमंत्री ने एक बार फिर सभी से अपील की कि वे किसी भी कार्यक्रम में गुलदस्ता नहीं पुस्तक भेंट करने की परंपरा को आगे बढ़ाएं इससे आम जनमानस में पुस्तकों के प्रति लगाव बढ़ेगा।


इस अवसर पर सोसाईटी के अध्यक्ष श्री धर सिन्हा, संरक्षक अजय तिवारी, महामंत्री गौरव हरीश, विनीत शर्मा आदि उपस्थित थे।


 नैनीताल/अल्मोड़ा :


शनिवार देर शाम अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे पर खैरना के पास रातीघाट में एक कार के गहरी खाई में गिरने से बड़ा हादसा हो गया। इस हादसे में तीन शिक्षकों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक शिक्षक गंभीर रूप से घायल हो गया। सभी शिक्षक हल्द्वानी में एक विवाह समारोह में शामिल होने जा रहे थे।


सूचना मिलते ही स्थानीय लोगों ने पुलिस को अवगत कराया, जिसके बाद खैरना पुलिस चौकी और SDRF की टीम तुरंत मौके पर पहुँची और रेस्क्यू अभियान शुरू किया। कठोर भू-भाग, अंधेरा और गहरी खाई होने के बावजूद SDRF टीम ने रस्सियों की मदद से घायल और मृतकों को बाहर निकाला।

वाहन महिंद्रा XUV500 बताया जा रहा है, जिसमें चार लोग सवार थे। वाहन लगभग 60 मीटर गहरी खाई में गिरा।

हादसे में मृत शिक्षक:

संजय बिष्ट, निवासी अल्मोड़ा

सुरेंद्र भंडारी, निवासी अल्मोड़ा

पुष्कर भैसोड़ा, निवासी अल्मोड़ा

गंभीर रूप से घायल शिक्षक:

मनोज कुमार, निवासी अल्मोड़ा

उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद हल्द्वानी के हायर सेंटर रेफर किया गया है।

आज का राशिफल

दिनाँक 23 नवंबर 2025

दिन रविवार

मार्गशीर्ष

rashifal today 23 nov 2025


मेष

अ, आ, चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो

रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। यात्रा मनोरंजक रहेगी। समय की अनुकूलता का लाभ लें। मित्रों के साथ अच्छा समय बीतेगा। वाणी पर नियंत्रण रखें। स्वास्‍थ्य का पाया कमजोर रहेगा। विवेक से कार्य करें। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड से लाभ होगा। स्थायी संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं।

राशि फलादेश


वृषभ

ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो

रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। मनपसंद भोजन का आनंद मिलेगा। कारोबारी वृद्धि की योजना बनेगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। समय की अनुकूलता रहेगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। जल्दबाजी से कोई भी कार्य न करें। विवाद में न पड़ें। पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बनेगा। मनोरंजन का समय मिलेगा।

राशि फलादेश

मिथुन

का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह

कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। काम में मन नहीं लगेगा। बाहर जाने की योजना बनेगी। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा। परिवार के साथ समय मनोरंजन में व्यतीत होगा। आय होगी। व्यापार ठीक चलेगा। बुरी खबर प्राप्त हो सकती है। दौड़धूप अधिक होगी। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें।


कर्क

ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो

उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। किसी प्रभावशाली व्यक्ति का मार्गदर्शन व सहयोग प्राप्त होगा। मान-सम्मान मिलेगा। मित्रों की सहायता करने का मौका मिलेगा। समय अच्छा व्यतीत होगा। प्रसन्नता रहेगी। थकान व कमजोरी रह सकती है। खान-पान पर ध्यान दें। घर-परिवार की चिंता बनी रहेगी।


सिंह

मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे

उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। आत्मसम्मान बनेगा। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। नए मित्र बनेंगे। कोई बड़ा कार्य करने की इच्छा जागृत होगी। यात्रा मनोरंजक रहेगी। व्यापार ठीक चलेगा। कुसंगति से दूर रहें। हानि संभव है। विवाद को बढ़ावा न दें। हल्की हंसी-मजाक करने से बचें।



कन्या

ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो

नवीन वस्त्राभूषण की प्राप्ति पर व्यय होगा। व्यापार लाभदायक रहेगा। कोई बड़ा कार्य होने से प्रसन्नता रहेगी। दूसरों के काम में दखल न दें। मित्रों के साथ समय मनोरंजक व्यतीत होगा। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। जल्दबाजी न करें। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। यात्रा मनोरंजक रहेगी।


तुला

रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते

व्यापार ठीक चलेगा। यात्रा में विशेष सावधानी रखें। किसी भी व्यक्ति के उकसाने में न आएं। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा। किसी मनोरंजक कार्यक्रम का हिस्सा बन सकते हैं। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। विवाद को बढ़ावा न दें। बनते काम बिगड़ सकते हैं। तनाव रहेगा।


वृश्चिक

तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू

यात्रा मनोरंजक रहेगी। सामाजिक कार्य करने की इच्छा जागृत होगी। व्यापार ठीक चलेगा। परिवार के साथ समय सुखमय व्यतीत होगा। प्रसन्नता बनी रहेगी। दूर से अच्‍छे समाचार प्राप्त होंगे। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है, प्रयास करें।


धनु

ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे

योजना फलीभूत होगी। कार्यस्थल पर परिवर्तन हो सकता है। मित्रों के साथ समय मनोरंजक बीतेगा। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। समय अनुकूल है। कोई आवश्यक वस्तु समय पर नहीं मिलने से खिन्नता रहेगी। कानूनी अड़चन दूर होगी।

मकर

भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी

लाभ के अवसर हाथ आएंगे। यात्रा मनोरंजक रहेगी। मनोरंजन के साधन प्राप्त होंगे। तीर्थदर्शन की योजना बनेगी। धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। परिवार के साथ रहने का अवसर प्राप्त होगा। लाभ होगा। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें।

कुंभ

गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा

हल्की हंसी-मजाक न करें। विवाद हो सकता है। किसी व्यक्ति की नाराजी से मन खराब होगा। मित्रों तथा रिश्तेदारों का सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी। मनोरंजन होगा। चोट व दुर्घटना से हानि संभव है। जल्दबाजी व लापरवाही भारी पड़ सकती है। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा।

मीन

दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची

किसी प्रभावशाली व्यक्ति का मार्गदर्शन व सहयोग प्राप्त होगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। मित्रों का सहयोग व साथ मिलेगा। भाइयों से मतभेद दूर होंगे। व्यापार ठीक चलेगा। समय सुखमय व्यतीत होगा। बुद्धि का प्रयोग किसी भी समस्या का



 

उपनल कर्मचारी लंबे समय से “समान कार्य-समान वेतन” और “नियमितीकरण” की पूरी तरह न्यायसंगत मांग को लेकर सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं।


 ये कर्मचारी उत्तराखण्ड के विभिन्न विभागों में वर्षों-वर्षों से कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं, कई तो 15-20 साल से अधिक समय से अपनी सेवाएँ दे रहे हैं, और अब कुछ तो रिटायरमेंट की दहलीज पर खड़े हैं।



 इनके योगदान के बावजूद इन्हें न तो स्थायी कर्मचारियों जैसा वेतन मिलता है, न ही पेंशन, ग्रेच्युटी, चिकित्सा सुविधा या अन्य कोई सामाजिक सुरक्षा। 


यह स्थिति न सिर्फ अन्यायपूर्ण है, बल्कि संवैधानिक रूप से भी असंगत है, क्योंकि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बार-बार “Equal Pay for Equal Work” के सिद्धांत को मान्यता दी है। सरकार का “नो वर्क नो पे” का नियम लागू करना इन कर्मचारियों पर और अत्याचार है। 


जो मेहनताना पहले से ही बहुत कम है, उसे भी रोककर सरकार उन्हें जीविकोपार्जन से वंचित कर रही है। यह दमनकारी कदम नहीं, बल्कि संवाद का रास्ता अपनाना चाहिए। उपनल कर्मचारियों का आंदोलन कोई नई माँग नहीं है, यह तो उनका हक़ है। 

इन्हें तत्काल प्रभाव से समान कार्य-समान वेतन दिया जाए और लंबे समय से सेवा दे रहे कर्मचारियों का चरणबद्ध तरीके से नियमितीकरण किया जाए। 

केरल, हरियाणा, पंजाब जैसे कई राज्यों ने पहले ही अपने संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित कर न्याय का उदाहरण पेश किया है। उत्तराखण्ड सरकार को भी अब पीछे नहीं हटना चाहिए। 

समाजसेवक सोवत राणा का कहना है कि वह मन से उपनल कर्मचारी साथियों के साथ खड़ा हूँ। यह संघर्ष सिर्फ़ वेतन या नौकरी का नहीं, सम्मान और न्याय का संघर्ष है। 

दो उपनल कर्मचारियों के निधन पर मैं शोक व्यक्त करता हूं और सरकार से मांग करता हूं उनके परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए।

 उत्तराखण्ड सरकार से अपील है उपनल कर्मचारियों को उनका हक़ देकर इतिहास में न्यायपूर्ण सरकार के रूप में जगह बनायें। 

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