ऋषिकेश:
परमार्थ निकेतन में विश्व के कई देशों यथा यमन, ईरान, इजरायल, टर्की, नीदरलैण्ड, यूरोप, अमेरिका, सिंगापुर सहित विश्व के अनेक देशों से आये संगीतज्ञों ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज से मिलकर आशीर्वाद लिया। यह बैंड विश्व के अनेक देशों में जाकर अपनी संस्कृति का प्रचार-प्रसार करते है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती . महाराज से गिल रोन शामा बैंड के प्रमुख श्री गिल रोन ने अपनी पूरी टीम के साथ भेंट की।
स्वामी जी महाराज ने उन्हें संगीत के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण एवं स्वच्छता का संदेश प्रसारित करने की शिक्षा दी।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा, "संगीत, लोगों की अन्तरात्मा को छूने का सबसे श्रेष्ठ माध्यम है। संगीत हमें जीवंत बनाये रखता है और स्वच्छ पर्यावरण हमें स्वस्थ जीवन प्रदान करता है। संगीत को आत्मसात करते हुये हम बेहतर तरीके से प्रकृति के साथ प्रेम और संवेदना से परिपूर्ण व्यवहार कायम कर सकते है। स्वामी जी ने कहा कि संगीत यदि हमें मन को शान्ति देता है तो स्वच्छ पर्यावरण हरियाली भरा वातावरण हमारे मन और तन दोनों को शान्ति प्रदान करते है। गीत-संगीत मनोरंजन के साथ सौन्दर्यानुभूति का प्रमुख साधन है अतः संगीत को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ दिया जाये तो हम हमारी परम्परा, कला, संस्कृति के साथ-साथ भावी पीढ़ियों के लिये बेहतर वातावरण तैयार कर सकते है।"
स्वामी जी महाराज ने कहा कि पर्यावरण संरक्षित होगा तो पेड़ लगेंगे, पानी भी बचेगा तो झरनों का संगीत भी मन को शान्ति प्रदान करता है इसलिये पर्यावरण का संगीत भी बजता रहे; गूंजता रहे उसके लिये स्वामी जी महाराज ने पर्यावरण संरक्षण का संकल्प कराया साथ ही उसका महत्व भी समझाया।
गिल रोन सामा ने कहा कि स्वामी . महाराज की प्रेरणा से हम अपने संगीत के साथ पर्यावरण की धुन भी जरूर बजायेंगे और अगला कार्यक्रम जार्डन नदी के किनारे आयोजित किया जायेगा।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती . महाराज एवं जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती . के सान्निध्य में गील रोन शामा बैंड के सदस्यों को परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने शिवत्व का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।
स्वामी जी . ने दल के सभी सदस्यों नदियों एवं पर्यावरण संरक्षण का संकल्प कराया।इस अवसर पर इजरायल से आये इतायी इलीयासी, अमीर साजर, इदयी अरमोरी, गिल रोन सामा, मोसे टो क्रेप्स, यायर जाबरी, ऐनल सीर, मायन लिनिक, टर्की से आयी म्यूमिन सेसनर, एवोनोडेम, सेली जाफरानी लोहेन, डेविड कोहेन इराकी, अरहेली जुटाचमन, नीदरलैण्ड से आयी मैग्जीम बेन तथा यमन, ईरान यूरोप, अमेरिका, सिंगापुर आदि देशों के संगीत विशेषज्ञ उपस्थित थे।