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मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने नैनीताल जिला मुख्यालय के मल्लीताल स्थित गुरुद्वारे में पहुंचकर माथा टेका तथा वीर बाल दिवस के अवसर पर दशमेश पिता गुरु गोविंद सिंह जी तथा उनके चारों साहिबजादों — बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह — की  शहादत को श्रद्धापूर्वक नमन किया है।



मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी के चारों साहिबजादों का बलिदान केवल भारत के इतिहास में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व इतिहास में साहस, धर्मनिष्ठा और त्याग का एक अनुपम एवं अनोखा अध्याय है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा साहिबजादों की शहादत को सम्मान देने हेतु ‘वीर बाल दिवस’ मनाने की घोषणा उनके बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि है। यह निर्णय आने वाली पीढ़ियों तक साहिबजादों की वीरता, शौर्य और पराक्रम की गाथाओं को जीवंत बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी के वीर साहिबजादों ने अल्पायु में ही धर्म, सत्य और न्याय की रक्षा के लिए अद्भुत साहस का परिचय देते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया। उनका यह बलिदान नई पीढ़ी को साहस, शौर्य और राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा देता है तथा हमें अपने कर्तव्यों के प्रति सजग और समर्पित बने रहने की शक्ति प्रदान करता है।


इस अवसर पर विधायक नैनीताल श्रीमती सरिता आर्या, उत्तराखंड सरकार में दायित्वधारी डॉ. अनिल कपूर डब्बू, नवीन वर्मा, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रताप बिष्ट, गुरु सिंह सभा के प्रधान सरदार जोगिंदर सिंह आनंद, सचिव अमरप्रीत सिंह नोनू, संदीप सिंह, गुरप्रीत सिंह, जीत सिंह आनंद, जगजीत सिंह, गगनदीप सिंह, जसमीत सिंह, सतनाम सिंह, हरनमन सिंह, अजीत सिंह के अलावा जिलाधिकारी श्री ललित मोहन रयाल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. मंजूनाथ टी.सी. व अन्य प्रशासनिक अधिकारी आदि उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को गुरूद्वारा, श्री गुरू सिंह सभा, आढ़त बाजार, देहरादून में वीर बाल दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने गुरू सिंह सभा में माथा टेका एवं लंगर ग्रहण किया। मुख्यमंत्री ने संगत के साथ मिलकर पवित्र अरदास की और प्रदेश की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की। 


मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने वीर बाल दिवस के अवसर पर दशमेश पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह तथा उनके चारों साहिबजादों बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि गुरु गोबिंद सिंह साहब के साहिबजादों का जीवन  त्याग, शौर्य, धर्मरक्षा और देश भक्ति का जीवंत उदाहरण है। उन्होंने भारत के स्वाभिमान की रक्षा के लिए हँसते-हँसते अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।


मुख्यमंत्री ने कहा कि चारों साहिबजादों का बलिदान भारतीय इतिहास के साथ विश्व में भी वीरता और साहस का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। इतिहास में ऐसा साहस,  दृढ़ता और धर्मनिष्ठ त्याग कहीं और देखने को नहीं मिलता। उन्होंने कहा नन्हें वीरों ने धर्म परिवर्तन स्वीकार करने के बजाय मृत्यु को स्वीकार किया। इन वीर साहिबजादों ने ये सिद्ध कर दिया कि स्वधर्म और राष्ट्रीय स्वाभिमान की रक्षा के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती। उन्होंने कहा इस अमर बलिदान को आने वाली पीढ़ियाँ कभी भुला नहीं सकती।


मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने पहली बार वीर साहिबजादों को उनका वास्तविक सम्मान दिया। प्रधानमंत्री ने 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस घोषित कर पूरे राष्ट्र को सिखों के गौरवशाली इतिहास से जोड़ा है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हम अपने गौरवशाली अतीत को संजोने का कार्य कर रहे हैं। साथ ही वीर बलिदानियों के सपनों का भारत गढ़ने की दिशा में भी संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं। 


मुख्यमंत्री ने इस दौरान सभी अभिभावकों और शिक्षकों से आह्वान करते हुए कहा कि अपने बच्चों को वीर साहिबजादों की गाथा अवश्य सुनाएं, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ि भी अपने धर्म, संस्कृति और परंपराओं पर गर्व कर सके। 


इस अवसर पर अध्यक्ष श्री गुरु सिंह सभा सरदार गुरबक्श सिंह राजन, जनरल सेक्रेट्री सरदार गुलजार सिंह, उपाध्यक्ष सरदार चरणजीत सिंह, भाजपा महामंत्री श्रीमती दीप्ति रावत, श्री सिद्धार्थ अग्रवाल, अवस्थापना अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष श्री विश्वास डाबर, दायित्वधारी श्री पुनीत मित्तल, श्री श्याम अग्रवाल एवं अन्य लोग मौजूद रहे।

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