● *पहाड़ के माल्टे नारंगी और सिट्रस फलों के समर्थन में हरेला गाँव-धाद इस वर्ष फिर माल्टे का महीना अभियान चलाएगा*
● *अभियान में शासन को मांगपत्र सौंपने के साथ माल्टा मोबाइल वैन और होम डिलिवरी के माध्यम से जन समर्थन मूल्य पर पहाड़ के माल्टे को समाज तक पहुँचाया जाएगा*
● *इसके साथ आम समाज की सहभागिता के साथ माल्टा का मेला,माल्टा फ़ूड फेस्टिवल,माल्टा मकरैंण और विभिन्न सामाजिक विमर्श का आयोजन भी किया जाएगा*
इस सर्दी में धाद ने आम समाज से पहाड़ के माल्टे नारंगी का अपने आहार में शामिल करने की अपील की है। क्यूंकि यह फल अपने उत्पादन व्यवहार के कारण शुद्ध और ऑर्गेनिक है और पहाड़ में इसका नैसर्गिक रूप से बड़ी मात्रा में उत्पादन होता रहा है। लेकिन यह सही मार्केटिंग के अभाव में बाजार से लगभग गायब है इसके व्यापक उपभोग से उन किसानों को बाजार मिलेगा और आर्थिक आधार भी।इस सवाल के पक्ष में हरेला गाँव-धाद की पहल पर इस वर्ष फिर माल्टे का महीना अभियान प्रारम्भ किया जाएगा जिसमे पहाड़ के फल उत्पादकों के सवालों और उनके उत्पादन को सम्मानजनक खरीद कीमत दिलवाने के लिए विभिन्न सार्वजनिक गतिविधियां की जाएंगी। धाद की केंद्रीय समिति ने इसकी सूचना जारी की है।
अभियान पहाड़ के माल्टे की जन समर्थन मूल्य पर सार्वजनिक बिक्री और मांगपत्र शासन को सौंपन के साथ 19 नवम्बर को प्रारम्भ होगा जिसका समापन माल्टा मकरैंण के साथ 11 जनवरी को होगा।
मालूम हो कि पिछले तीन वर्षों में धाद ने निरंतर पहाड़ी फलों और उनके उत्पादकों के समर्थन में नागरिक पहल करते हुए इस सवाल को उठाने के साथ ही आम समाज से इनका खरीददार बनते हुए सम्मानजनक मूल्य देने की अपील की थी।
*सरकार के आंकड़ों के अनुसार उत्तराखण्ड में गत वर्ष 11 हजार हेक्टेयर में 36900 मेट्रिक टन नींबू प्रजाति ( माल्टे, नारंगी, गलगल) का उत्पादन हुआ है। सरकारी खरीद और समर्थन मूल्य लागत से कहीं कम होने के कारण अव्यवहारिक है और उसमे उत्पादकों की हिस्सदारी न के बराबर है। वहीं बाजार तक जाने की उचित व्यवस्था के अभाव के चलते उसका अधिकांश हिस्सा खराब हो रहा है। इसलिए इस सवाल पर आम समाज और शासन का ध्यान आकृष्ट करने के लिए हम एक बार फिर पहाड़ी फलों के पक्ष में माल्टे का महीना सामाजिक अभियान प्रारम्भ करेंगे। जिसकी रूप रेखा इस तरह से है।*
■ हम 19 नवम्बर को माल्टे और नारंगी के ज़न समर्थन मूल्य पर बिक्री के साथ शासन को मांगपत्र सौंपेंगे।
■ इसके साथ जन समर्थन मूल्य पर माल्टे को बिक्री के लिए आम समाज के बीच माल्टा मोबाइल वैन और होम डिलीवरी के माध्यम से पहुँचाया जाएगा।
■ माल्टे का महीना पहाड़ के फल और उनके बाजार के सवाल पर सार्वजनिक विमर्श के साथ होगा जिसमे इसके विशेषज्ञ और किसान शामिल होंगे।
■ 7 दिसम्बर को सतपुली में स्थानीय माल्टा उत्पादकों के साथ माल्टा का मेला आयोजित किया जाएगा
■ 14 दिसम्बर सिट्रस फलों पर आधारित कल्यो फ़ूड फेस्टिवल का सुक्ष्म आयोजन धाद स्मृतिवन मालदेवता में होगा।
■ 29 दिस्मबर,5 जनवरी को विभिन्न स्थानों पर पहाड़ी फलों के स्वैच्छिक फेस्टिवल आयोजित किये जायेंगे।
■ हर शनिवार को पहाड़ के फलों बागवानी पर ओनलाइन विमर्श का आयोजन धाद के फेसबुक पेज पर होगा।
■ 11 जनवरी को अभियान का समापन माल्टा मकरैंण और सांस्कृतिक आयोजन के साथ होगा।
वार्ता को धाद के अध्यक्ष लोकेश नवानी, सचिव तन्मय,और उद्यान विशेषज्ञ डॉ आर पी खुकसाल,के साथ पूर्व अध्यक्ष एच एम व्यास,प्रो विनय आनंद बैड़ाई,उत्तम सिंह रावत ने भी सम्बोधित किया. इस अवसर पर मेज महाबीर रावत, सुरेश कुकरेती, हिमांशु आहूजा,नीलेश,शुभम और संजय भी मौजूद थे.
*माल्टे का मांगपत्र*
*पहाड़ के फलोत्पादन और विपणन की दीर्घकालीन नीति बने*
पहाड़ के फलों और जैविक सब्ज़ियों के उत्पादन और विपणन के लिए लिये एक दीर्घकालिक नीति बनाई जाए जिसमें सरकार द्वारा उनके संरक्षण और विपणन की गारंटी देने की व्यवस्था हो ताकि पहाड़ के किसान को प्रोत्साहन मिले। इसलिए हम मांग करते हैं कि --
1. औद्यानिक विपणन परिषद की भूमिका को विस्तार दिया जाए और सेब के अतिरिक्त माल्टा कीवी, आडू, प्लम, खुवानी के Packaging material उपलब्ध कराये जाएँ।
2. पहाड़ी क्षेत्रों में उत्पादित फल-सब्ज़ियों की रोडवेज की बसों की छत पर न्यूनतम दर पर ढुलान व्यवस्था विचार किया जाए।
3. पहाड़ के बाज़ारों में बिक्री हेतु निःशुल्क क्रय विक्रय केन्द्र स्थापित करने पर विचार किया जाए यानी फल और सब्जी उत्पादक क्षेत्रों में इनके खरीद केन्द्रों की व्यवस्था की जाए।
4. फलों के लिए समय पर व्यवहारिक (कम से कम उत्पादन लागत) समर्थन मूल्य MSP समय पर घोषित हो।
5. सरकारी स्कूलों व सरकारी आयोजनों के भोजन में इनकी खपत की व्यवस्था।
6. फलों की उत्पादकता एवं गुणवत्ता में वृद्धि तथा फल निर्यात सूची में यहां के फलों के निर्यात की योजना भी बनाई जाए।
7. स्थानीय उत्पादन को भंडारण हेतु पैक हाउस छोटे कोल्डस्टोरेज निर्माण में पर्वतीय क्षेत्रों में अतिरिक्त अनुदान की सुविधा।
8. उत्तराखंड राज्य की जारी कृषि उत्पाद सूची में कीवी फल को विक्रय हेतु सम्मिलित किया जाय।
9. वर्तमान में सेब व आड़ू फल छोड़ कर अन्य फलों यथा कीवी प्लम खुवानी माल्टा आदि अन्य फल फसल के लिए व्यक्तिगत क्षति व अन्य कारकों के आंकलन का प्रवधान नहीं है इन फल फसलों में भी यही प्रावधान किए जायं।
10. राज्य के कई जनपद व विकास खण्ड जैविक घोषित किए गए हैं इन क्षेत्रों के कृषि/औद्यानिक उत्पाद को जैविक उत्पाद प्रमाणीकरण का प्रमाण पत्र उत्पादकों को निर्गत किए जायें।
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