मुख्यमंत्री ने दी प्रदेशवासियों को शारदीय नवरात्रि की शुभकामनाएं।*
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को शारदीय नवरात्रि की शुभकामनाएं देते हुए सभी की सुख समृद्धि एवं मंगलमय जीवन की कामना की है। नवरात्रि पर्व की पूर्व संध्या पर जारी अपने संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि नवरात्रि में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की उपासना का विशेष महत्व है।
उन्होंने कहा कि देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का यह पर्व हमें मातृशक्ति की उपासना तथा सम्मान की प्रेरणा देता है। समाज में नारी के महत्व को प्रदर्शित करने वाला यह पर्व हमारी संस्कृति एवं परम्परा का प्रतीक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नवरात्रि में कन्या पूजन की परम्परा भी बालिकाओं के सम्मान से जुड़ा विषय है।
घट स्थापना के साथ शारदीय नवरात्रि का प्रारम्भ आज से हो रहा है।
माता के अनेक रूप है परन्तु नौ रूपों की महिमा अपरम्पार है .
शैलपुत्री देवी दुर्गाके नौ रूप में पहले स्वरूप में जानी जाती हैं। ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा।
नवरात्र-पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है। इस प्रथम दिन की उपासना में योगी अपने मन को 'मूलाधार' चक्र में स्थित करते हैं। यहीं से उनकी योग साधना का प्रारंभ होता है।
वन्दे वंछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् |
वृषारूढाम् शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ||
वृषभ-स्थिता इन माता के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है। अपने पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष की कन्या के रूप में उत्पन्न हुई थीं, तब इनका नाम 'सती' था। इनका विवाह भगवान शंकरजी से हुआ था।
एक बार प्रजापति दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ किया। इसमें उन्होंने सारे देवताओं को अपना-अपना यज्ञ-भाग प्राप्त करने के लिए निमंत्रित किया, किन्तु शंकरजी को उन्होंने इस यज्ञ में निमंत्रित नहीं किया। सती ने जब सुना कि उनके पिता एक अत्यंत विशाल यज्ञ का अनुष्ठान कर रहे हैं, तब वहाँ जाने के लिए उनका मन विकल हो उठा।
अपनी यह इच्छा उन्होंने शंकरजी को बताई। सारी बातों पर विचार करने के बाद उन्होंने कहा- प्रजापति दक्ष किसी कारणवश हमसे रुष्ट हैं। अपने यज्ञ में उन्होंने सारे देवताओं को निमंत्रित किया है। उनके यज्ञ-भाग भी उन्हें समर्पित किए हैं, किन्तु हमें जान-बूझकर नहीं बुलाया है। कोई सूचना तक नहीं भेजी है। ऐसी स्थिति में तुम्हारा वहाँ जाना किसी प्रकार भी श्रेयस्कर नहीं होगा।'
शंकरजी के इस उपदेश से सती का प्रबोध नहीं हुआ। पिता का यज्ञ देखने, वहाँ जाकर माता और बहनों से मिलने की उनकी व्यग्रता किसी प्रकार भी कम न हो सकी। उनका प्रबल आग्रह देखकर भगवान शंकरजी ने उन्हें वहाँ जाने की अनुमति दे दी।
सती ने पिता के घर पहुँचकर देखा कि कोई भी उनसे आदर और प्रेम के साथ बातचीत नहीं कर रहा है। सारे लोग मुँह फेरे हुए हैं। केवल उनकी माता ने स्नेह से उन्हें गले लगाया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव भरे हुए थे।
परिजनों के इस व्यवहार से उनके मन को बहुत क्लेश पहुँचा। उन्होंने यह भी देखा कि वहाँ चतुर्दिक भगवान शंकरजी के प्रति तिरस्कार का भाव भरा हुआ है। दक्ष ने उनके प्रति कुछ अपमानजनक वचन भी कहे। यह सब देखकर सती का हृदय क्षोभ, ग्लानि और क्रोध से संतप्त हो उठा। उन्होंने सोचा भगवान शंकरजी की बात न मान, यहाँ आकर मैंने बहुत बड़ी गलती की है।
वे अपने पति भगवान शंकर के इस अपमान को सह न सकीं। उन्होंने अपने उस रूप को तत्क्षण वहीं योगाग्नि द्वारा जलाकर भस्म कर दिया। वज्रपात के समान इस दारुण-दुःखद घटना को सुनकर शंकरजी ने क्रुद्ध होअपने गणों को भेजकर दक्ष के उस यज्ञ का पूर्णतः विध्वंस करा दिया।
सती ने योगाग्नि द्वारा अपने शरीर को भस्म कर अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इस बार वे 'शैलपुत्री' नाम से विख्यात हुर्ईं। पार्वती, हैमवती भी उन्हीं के नाम हैं। उपनिषद् की एक कथा के अनुसार इन्हीं ने हैमवती स्वरूप से देवताओं का गर्व-भंजन किया था।
'शैलपुत्री' देवी का विवाह भी शंकरजी से ही हुआ। पूर्वजन्म की भाँति इस जन्म में भी वे शिवजी की ही अर्द्धांगिनी बनीं। नवदुर्गाओं में प्रथम शैलपुत्री दुर्गा का महत्व और शक्तियाँ अनंत हैं।
*इस बार नवरात्र बढ़े हैं यह सुख समृद्धिदायक पर्व आज 6 बजे प्रातः से मध्याह्न तक कलशस्थापन जौ वापन कर सकते हैं*
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*नवरात्रि के समय देवी दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देती हैं। हर वाहन के साथ विशेष शुभ-अशुभ फल जुड़े होते हैं।*
*इस बार माता हाथी पर सवार होकर आ रही हैं।* *
*🌸 हाथी वाहन का महत्व 🌸*
*1. समृद्धि और वैभव का प्रतीक – हाथी माता लक्ष्मी का भी वाहन माना गया है। यह धन, धान्य और ऐश्वर्य प्रदान करता है।*
*2. शांति और स्थिरता – हाथी माता का वाहन बनकर इस बात का संकेत देता है कि समाज और परिवार में शांति, सौहार्द और स्थिरता बनी रहेगी।*
*3. सुख-समृद्धि का आशीर्वाद – हाथी पर आगमन का अर्थ है कि वर्षभर अन्न, धन और जल की कोई कमी नहीं होगी।*
*4. शुभ और मंगलकारी फल – हाथी को बहुत ही शुभ माना गया है। माता का हाथी पर आगमन भक्तों के लिए सुखद भविष्य और अच्छे परिणाम लेकर आता है।*
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*🪔 देवी के हाथी वाहन से मिलने वाले शुभ फल 🪔*
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*🌿 घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होगा।*
*🌿 धन-धान्य और अन्न की भरपूर प्राप्ति होगी।*
*🌿 जल की प्रचुरता और अच्छी वर्षा का संकेत।*
*🌿 व्यापार और कार्यों में सफलता का आशीर्वाद।*
*🌿 भक्तों के जीवन में शांति और सौभाग्य की प्राप्ति।*
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*🙏 नवरात्रि संदेश 🙏*
*"हे माँ दुर्गा!*
*आप हाथी पर सवार होकर* *आएँ और हम सबके जीवन में*
*शांति, सुख, समृद्धि और* *सौभाग्य का आशीर्वाद दें।" 🌸*
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*नवरात्रि के 9 दिन देवी कृपा के लिए ये रंग पहने👇आज का रंग नारंगी*
नवरात्रि में मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। देवी के नौ स्वरूपों की आराधना करने से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
नवरात्रि के प्रत्येक दिन के लिए एक विशेष रंग शुभ है प्रत्येक देवी के स्वरूप और उनकी ऊर्जा से जुड़े होते हैं। इन रंगों को धारण करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
*पहला दिन: नारंगी रंग*
पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इस दिन नारंगी रंग पहनना ऊर्जा, उमंग और नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। नारंगी रंग धारण करने से जीवन में सकारात्मकता बनी रहती है।
*आचार्य शिवप्रसाद ममगांई बदरीकाश्रम ज्योतिषपीठ व्यास पदालंकृत ।।*
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