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ऋषिकेश: 



एम्स ऋषिकेश में संविदा कर्मचारियों का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। केंद्रीय औद्योगिक श्रम न्यायालय, दिल्ली में नियमितकरण को लेकर विचाराधीन 11 संविदा कर्मचारियों का कार्यकाल एम्स प्रबंधन ने 2 सितंबर को समाप्त कर दिया था। यह निर्णय अदालत के आदेशों के विपरीत माना गया है।

गौरतलब है कि न्यायालय ने पहले ही आदेश दिया था कि जब तक अंतिम निर्णय नहीं हो जाता, तब तक कर्मचारियों के पद सुरक्षित रखे जाएं। इसके बावजूद एम्स प्रबंधन ने इन पदों पर विज्ञप्ति भी जारी कर दी थी, जिस पर कोर्ट ने नाराज़गी जताई थी।

19 सितंबर को हुई सुनवाई में न्यायालय ने एम्स विधि अधिकारी की मौजूदगी में कार्यकारी निदेशक को कड़ी फटकार लगाई और स्पष्ट आदेश दिया कि 11 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से पूरे वेतन सहित पुनः नियुक्त किया जाए। कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि अगर आदेश का पालन नहीं हुआ तो कार्यकारी निदेशक को व्यक्तिगत रूप से अदालत में तलब किया जाएगा।


कर्मचारियों ने बताया कि कुल 56 संविदा कर्मचारियों में से 24 को पहले ही पुनः नियुक्त किया जा चुका है और अब 11 और कर्मचारियों को राहत मिली है। लेकिन शेष कर्मचारियों को न्यायालय जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जबकि यह निर्णय संस्थान स्तर पर लिया जा सकता था।


कर्मचारियों का कहना है कि एम्स प्रबंधन नियम विरुद्ध तरीके से कर्मचारियों को निकाल रहा है और आदेशों की अवहेलना कर रहा है। उन्होंने मांग की है कि शेष सभी संविदा कर्मचारियों को भी तत्काल प्रभाव से नियुक्त किया जाए ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके।


कोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई तक आदेशों के अनुपालन की रिपोर्ट 30 सितंबर तक प्रस्तुत करने को कहा है।

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