डोईवाला:
श्री लच्छेश्वर महादेब मंदिर, डोईवाला के प्रांगण में श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिवस में श्री वृन्दावन धाम से पधारे व्यास जी श्री राम उपाध्याय जी ने भागवत जी के मंगलाचरण के 03 श्लोकों का विस्तार से वर्णन किया।
हमारे ठाकुर जी की माया कितनी प्रबल है कि कोई इनसे नहीं बच सकता है ।हम केवल माया का आश्रय लेते है और माला को छोड़ देते है
इसी कारण उन्हें अकारण दुखों का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि भागवत अमृत के समान है , जिसे पीना चाहिए। बार बार इसका पान करना चाहिए।
इसका पान वही कर सकता है जो श्री भागवत जी को प्रेम करता है। जो इस युगल किशोर के स्वरूप में रहता है।
राजा परीक्षित की कथा का श्रद्धालुओं ने श्रवण किया। साथ ही वर्णन किया कि भागवत में राधा नाम क्यों नही है।
उन्होंने बताया कि भागवत में राधा नही है क्योंकि गुरु का नाम नही लिया जाता। इसीलिये सुकदेव जी ने राधा नही लिया, अन्यथा वह 6महीने समाधि में चले जाते जबकि परीक्षित को कथा 7 दिन में सुनानी थी। श्री राधा रानी ने ही उन्हें श्री भागवत जी के प्रचार हेतु धरती पर भेज।
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