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 सरकार द्वारा मा उच्चतम न्यायालय मा उच्च न्यायालय एवं सत्र न्यायालय में  सरकारी पक्ष की  पैरवी के लिए एल आर मैन्युअल 2013 के अनुसार के अनुसार अधिवक्ताओं की नियुक्ति होती 

है,जो सरकार के पक्ष से सरकारी पक्ष को रखते हैं.

 यह कहना है अधिबक्त उच्च न्यायालय डॉ मुरलीधर  शास्त्री का ।


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 सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति के लिए सरकार एवं न्याय विभाग द्वारा एक स्क्रीनिंग कमेटी बनानी चाहिए जिससे कि योग्य अधिवक्ताओं की नियुक्ति हो सके।

 तथा सरकारी अधिवक्ताओं की सरकार के प्रति पूर्ण निष्ठा होनी चाहिए


 लखनऊ :

उनका यह भी कहना है कि सामान्यतः  देखने में आता है की इधर सरकार के तरफ से नियुक्त होने वाले अधिवक्ताओं में सीनियरिटी  लार मैन्युअल का ध्यान नहीं रखा जाता अनेक अधिवक्ता नियुक्त होते हैं जो मानक पूरा भी नहीं करते है

 इसमें हमारे माननीय उच्च न्यायालय से जो न्यायिक सेवा के अधिकारी न्याय विभाग में तैनात होते हैं वही यह काम करते हैं हो सकता है और किसी दबाव में हो या सरकार भी किसी दबाव में हो नियमानुसार कार्य करना चाहिए है।


 खयड भी वह  भारतीय अधिवक्ता है तथा भारतीय जनता पार्टी के सदस्य है। उनका मानना है कि हमसे अनेक लोग मिलते रहते हैं जो बताते हैं कि हमारा कार्य नहीं हुआ उसका हो गया तो सरकार को एक इसके लिए स्क्रीनिंग कमेटी बनानी चाहिए की जो भी सरकारी वकील बनता है उसका पहला टेस्ट ले और जो सरकारी वकील बने हैं उसको न्याय विभाग की को अपने वेबसाइट पर बार में रजिस्ट्रेशन के साथ-साथ उनके तैनाती स्थान  विवरण लोड करना चाहिए जो अभी तक लोड नहीं किया गया  और तथा महीने में वह कितना काम करते है।

 बार मैनुअल के अनुसार इसकी भी परीक्षा समीक्षा होनी चाहिए क्योंकि हमारे प्रदेश में या देश में न्यायपालिका पर मुकदमों का बोझ है इस मुकदमे के निस्तारण में सरकारी वकीलों की भी प्रमुख भूमिका होती है 

यदि सरकार के तरफ से इस समय से जवाब आ जाए तो मुकदमे के जल्द निस्तारित  हो जाते हैं ।

हम लोग भी सरकारी पक्ष और विपक्षों के बातों को देखते रहते हैं छोटे-छोटे जवाब आने में विलंब होते हैं तथा सरकार के नामित सक्षम अधिकारी उश पर हस्ताक्षर नहीं करते हस्ताक्षर करने से डरते हैं नीचे के अधिकारी से हस्ताक्षर करते हैं जैसे निर्देशक की जगह उपनिदेशक सचिव की जगह अनु/संयुक्त सचिव जिलों में जिलाधिकारी की जगह उप जिलाधिकारी पुलिस अधीक्षक की जगह उप पुलिस अधीक्षक करते हैं तो सरकार को इसके लिए व्यवस्था करनी चाहिए। जिससे कि मुकदमों की समय से पर भी हो और सरकारी अधिवक्ताओं के नियुक्ति में एक सरकार को स्क्रीनिंग कमेटी बनानी चाहिए जो स्क्रीनिंग कमेटी के टेस्ट में सफल हो उसी को सरकारी अधिवक्ता नियुक्त करना चाहिए क्योंकि सरकारी अधिवक्ता का काम एक सरकारी अधिकारी के तहत तथा सरकार का पक्ष रखना अलग ढंग का होता है उसकी सत्य निष्ठा भी सरकार के प्रति होनी चाहिए.

 

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