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 भविष्य की आहट :‘दोस्त’ ने की ‘सिन्दूर’ में गद्दारी





‘आपरेशन सिंदूर’ से पाकिस्तान को सबक सिखाने के बाद अब उसके सहयोगियों को देश ने सबक सिखाना शुरू कर दिया है। इस श्रंखला की पहली कडी है तुर्किये। 

उल्लेखनीय है कि विगत 6 फरवरी 2023 को तुर्किये में 7.8 तीव्रता वाला सदी का सबसे शक्तिशाली भूकम्प आया था। इस आपदा में 60 हजार से अधिक लोगों के हताहत होने, लगभग 1.50 लाख भवनों के धूलधूसित होने तथा 15 लाख से ज्यादा लोगों के बेघर होने की स्थिति निर्मित हुई थी। तब मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए भारत ने ‘आपरेशन दोस्त’ चलाया था। सबसे पहले भारत ने ही सहायता पहुंचाई थी जिसमें राहत सामग्री भरकर सी-17 श्रेणी के 6 विमान तथा चिकित्सीय उपकरणों तथा दवाइयों से सुसज्जित सुपर हरक्यूलिस श्रेणी का विमान भेजे गये थे। इसके अलावा भारतीय सेना के 250 जवानों सहित एनडीआरएफ के 50 दक्ष सेवाकर्मियों के दलों को भी सहायतार्थ पहुंचाया गया था। चिकित्सा जगत के 99 भारतीय चिकित्सा विशेषज्ञों ने तुर्किये में 30 बिस्तरों का फील्ड अस्पताल बनाकर वहां के 4 हजार से अधिक मरीजों की सर्जरी, क्रिटिकल केयर, आपरेशन के साथ साथ अन्य जटिल आपातकालीन इलाज किया था। 

कपडे, टैंट, बचाव उपकरण, जनरेटर्स, एक्सरे मशीन, वैन्टिलेटर्स, ईसीजी मशीनें, कम्बल, दैनिक उपयोग की सामग्री, राशन, फल, मेवा, पौषिक आहार, शक्तिवर्धक औषधियों सहित अन्य आवश्यक सामग्री भी भारत ने भेजी थी।

 उसी देश ने अहसान फरामोशी का कीर्तिमान स्थापित करते हुए विगत 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए धर्मगत आतंकी हमले के गुनहगार पाकिस्तान पर किये गये ‘आपरेशन सिंदूर’ के दौरान उसे खुलकर समर्थन ही नहीं दिया बल्कि हथियारों का जखीरा, सैन्य उपकरण, उपकरणों के आपरेटर्स, कूटनैतिक तथा आर्थिक सहयोग तक मुहैया कराया था।

 सूत्रों के अनुसार तुर्किये ने पाकिस्तान को 350 से अधिक ड्रोन सहित बेतहाशा गोलाबरूद आदि दिये थे ताकि वह आपरेशन सिंदूर का मुंहतोड जवाब दे सके। इसी क्रम में विगत 4 मई 2025 को तुर्किये नौसेना युद्धपोत टीसीजी बुयुकडा एफ-512 भी कराची पोर्ट पर सहायतार्थ पहुंच गया था ताकि भारतीय नौसेवा के साथ खुली जंग हो सके।

 अतीत में भी अनेक अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर तुर्किये द्वारा पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाया जाता रहा है। 

अब भारत ने तुर्किये के खिलाफ आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक नाकेबंदी हेतु कूटनैतिक प्रयास तेज कर दिये हैं।

 जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, जामिया विश्वविद्यालय सहित देश के अनेक विश्वविद्यालयों तथा शिक्षण संस्थानों ने तुर्किये के साथ हुए अपने अनेक अनुबंध निलम्बित कर दिये हैं जिससे वहां विकसित हो रही शिक्षा संभावनायें एक झटके के साथ रुक गई।

 दूसरी ओर दिल्ली, किशनगढ, उदयपुर, चित्तौडगढ तथा सिलवासा के मार्बल व्यवसायियों ने पाक सहयोगी से मार्बल के आयात को पूरी तरह से बंद करने की घोषणा कर दी है। 

मालूम हो कि भारत में प्रतिवर्ष लगभग 14.5 लाख मीट्रिक टन मार्बल का आयात करता है जिसमें से 10 लाख मीट्रिक टन मार्बल केवल तुर्किये से आता था।

 इस तरह लगभग 2500 करोड रुपये का कारोबार शून्य पर पहुंच गया। 

देश के मार्बल व्यापार संगठनों की माने तो वे अब तुर्किये के स्थान पर इटली, वियतनाम, स्पेन, क्रोशिया, नामीबिया तथा ग्रीस जैसे देशों से माल मंगाकर उच्चतमस्तर के विलासतापूर्ण जीवन जीने वाले उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करेंगे। 

इसी तरह देश के फल व्यापारियों ने भी तुर्किये के सेव के आर्डर कैंसिल करना शुरू कर दिये हैं। 

भारतीय पर्यटकों ने भी इस देश की पूर्व निर्धारित यात्रायें स्थगित करना शुरू कर दीं हैं। आंकडे बताते हैं कि भारतीय पर्यटकों ने गत वर्ष तुर्किये को लगभग 4 हजार करोड का मुनाफा दिया था।

 तुर्किये के ब्रैंड्स को आनलाइन घायल करने के लिये रिलायंस तथा फ्लिपकार्ट ने भी प्रहार शुरू कर दिये हैं। 

रिलायंस के आजियो तथा फ्लिपकार्ट के मिंत्रा पर तुर्कीश बैंड्स का सामान आउट आफ स्टाक दिखने लगा है। 

ज्ञातव्य है कि तुर्किये के ई-कामर्स प्लेटफार्म ट्रेंडयाल के मार्केटिंग राइट्स भारत में खरीदे गये थे। टीओई टेक की रिपोर्ट के अनुसार मिंत्रा ने ट्रेंडयाल पर लिस्टिड सभी तुर्कीश ब्रैंड्स की सेल अस्थाई तौर पर सस्पेंड कर दी है।

 रिलायंस ने तो तुर्की में स्थापित अपने सारे आफिस बंद कर दिये हैं। भारत सरकार ने तो बडा झटका देते हुए तुर्की की ग्राउण्ड हैंडलिंग सर्विस देने वाली कम्पनी सेलेबी एविएशन की सिक्योरिटी क्लीयरेंस को राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए रद्द कर दिया है। 

बौखलायी तुर्किये की कम्पनी ने भारत में मौजूद मीर जाफरों की फौज के सहयोग से भारत सरकार के इस फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है ताकि देश के लचीले संविधान की आड में सरकार के राष्ट्रवादी कदमों को रोक जा सके।

 चुनौती में उसने मानवीय भावनाओं की आड लेते हुए कहा कि सिक्यूरिटी क्लीयरेंस पर लिया गया फैसला बिना किसी तर्क के अस्पष्ट राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर लिया गया है, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा के कारकों का स्पष्टीकरण नहीं है और न ही इस संबंध में पूर्व में कोई चेतावनी ही दी गई थी। 

इस फैसले से न केवल 3791 नौकरियों पर असर पडेगा बल्कि विदेशी निवेशकों का विश्वास भी डमगाएगा। 

इस चुनौती को आधार बनाकर एक बार फिर विपक्ष मुखरित हो उठा है।

 आधिकारिक आंकडे बताते हैं कि कच्चा पेट्रोलियम, सोना, विमान, ग्रेनाइट, संगमरमर, सेब आदि का आयात तथा एल्युमीनियम प्रोडक्ट्स, आटो कंपोनेंट, विमान,  टेलीकाम इक्विपमेंट्स आदि का निर्यात तुर्किये के साथ किया जाता है।

 अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के मध्य तुर्किये को भारत का कुल निर्यात 14.8 प्रतिशत घटकर 5.12 बिलियन डालर रहा जबकि आयात 17. 25 प्रतिशत बढकर 2.8 बिलियन डालर पहुंच गया था। गत शुक्रवार को सीएआईटी व्दारा आयोजित बिजनेस लीडर्स का एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें देश भर के 125 से अधिक प्रमुख दिग्गजों ने भाग लिया था। 

उस सम्मेलन में तुर्किये और अजरबैजान के साथ यात्रा, पर्यटन, व्यापार, वाणिज्य, तकनीक आदि सभी क्षेत्रों के जडाव का बहिष्कार करने का संकल्प लिया गया।

 सरकारी संस्थाओं से लेकर निजी संगठनों तक ने ‘आपरेशन सिंदूर’ के दौरान आतंकी देश पाकिस्तान के सहयोगी राष्ट्र तुर्किये पर प्रहार पर प्रहार करने शुरू कर दिये हैं। 

ऐसे में पाकिस्तान के आतंकी चेहरे को बेनकाब करने हेतु निकलने वाले मल्टी पार्टी डेलिगेशन के शशि धरूर (कांग्रेस), रविशंकर प्रसाद (भाजपा), संजय झा (जदयू), बैजयंत पंडा (भाजपा), कनिमोझी करुणानिधि (डीएमके), सुप्रिया सुले(एनसीपी) तथा श्रीकान्त शिन्दे (एनसीपी) का विश्वव्यापी दौरा निश्चय ही आने वाले समय में पाकिस्तान को आतंकिस्तान के रूप में स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। इस बार बस इतना ही। 

अगले सप्ताह एक नई आहट के साथ फिर मुलाकात होगी।


Dr. Ravindra Arjariya

Accredited Journalist

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