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उत्तरकाशी:


*नवनियुक्त जिला अध्यक्ष की राजनीति व जिला भाजपा को अस्थिर करनें का षड्यंत्र तो नहीं, उपजा पोस्टर विवाद*


*पोस्टर में गंगोत्री विधायक की फोटो ढूँढनें का बहाना, कहीं पद से उतर पोस्टरों में रह जाना*


*जिला संगठन की राय लेकर बैनर पोस्टरों में क्यों लगेंगी फोटो क्या है पोस्टर विवाद*


जिद्दी कलम यशपाल बिष्ट



उत्तरकाशी। भाजपा संगठन चुनाव पर्व के बाद जहाँ नवनियुक्त भाजपा जिला अध्यक्ष नागेंद्र सिंह चौहान का स्वागत अभिनंदन कार्यक्रम जिले भर के मंडलों, नगर क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं के जोश से चल  रहा है, उन्हीं भाजपा संगठन के कार्यकर्ता द्वारा भाजपा जिलाध्यक्ष नागेंद्र सिंह चौहान के बधाई वाले पोस्टर  में गंगोत्री विधायक की तस्वीर नहीं मिलनें से जिले के ही जिम्मेदार कार्यकर्ताओं नें इस भूल को भुनाकर गाइडलाइन बनानें की बात कर डाली, वहीं से सोशल मीडिया में भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच पोस्टर विवाद तूल पकड़ता नजर आ रहा है।


कार्यकार्ताओं का कहना है कि संगठनात्मक दृष्टि से प्रत्येक कार्यकर्ता को यह स्वतंत्रता होती है, कि वह अपने पोस्टर में किन नेताओं, व राजनीतिक मार्गदर्शकों की तस्वीर लगाना चाहता है। भूल कार्यकर्ता द्वारा ही नहीं मिस प्रिंट भी हो सकता है, जो कि जल्दीबाजी में दिखता नहीं है। इस तरह की गलती को मुद्दा बनाना न केवल अनुचित है, बल्कि संगठन की एकजुटता को कमजोर करने का प्रयास भी है।

 जहाँ पोस्टर विवाद को भाजपा में गुटबाजी की ओर इशारा करते देखा जा रहा है, वहीं पद मुक्त होंनें वाले नेताओं को पोस्टरों में बने रहनें की सोची समझी चाल भी बताया जा रहा है। 


कार्यकर्ताओं नें पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष रमेश चौहान की ओर इशारा करते हुए कहा कि आश्चर्य हो रहा है, कि वही लोग आज मर्यादा और परंपरा की दुहाई दे रहे हैं, जो 2021 में गंभीर बीमार चल रहे, स्व0 पूर्व विधायक गोपाल रावत की फोटो लगाना भूल गए थे। पूर्व जिला अध्यक्ष चौहान की राजनीति पर सवाल उठाते हुए, कार्यकर्ता कहते हैं कि जब पूर्व विधायक स्व0 गोपाल रावत गंभीर बीमारी से झूझ रहे थे, तब अपनें पोस्टर से पूर्व विधायक गोपाल रावत की तस्वीर हटानें में बिल्कुल भी संकोच नहीं किया। 


सोशल मीडिया के अंदर विधायक चौहान की फोटो पोस्टर में न लगना सच में गलती का आभास कराना मकसद है, या पोस्टर विवाद को पार्टी संगठन में गुटबाजी की धार देंना, भाजपा नवनियुक्त जिला अध्यक्ष इसे विवाद समझ सुलझाते हैं, या कार्यकर्ताओं की भूल समझ भूल जाते हैं। यह शोशल मीडिया में तैरती दूसरी पोस्ट व फोटो से समझा जायेगा। 


बेशक जहाँ पार्टी, दल, संगठनों में छोटे, सहज, सरल कार्यकर्ताओं से भूल होते देखी जाती रहती हैं, लेकिन उनकी भूल में पार्टी, दल, संगठन को कमजोर करनें की भावना नजर नहीं आती, वहीं अपनों को कुर्सी तक पहुंचानें, पहुँचनें के लिए नेताओं का इस तरह का षड्यंत्र पार्टी, दल, संगठन को कमजोर जरूर करता है।

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