रंगों का पर्व होली की अनेकानेक शुभकामनायें*
परमार्थ निकेतन में दिव्य गंगा आरती और पवित्र संगीत का अद्भुत संगम*
ड्रम मास्टर शिवमणि और रुणा रिजवी के साथ एक आत्म-संवेदनशील संगीतमय संध्या का अद्भुत आनंद*
शिवमणि के ड्रम की7 yu बीट्स और रुणा रिजवी के सुरों पर मंत्रमुग्ध हुये योगी*
माँ गंगा की पावन धाराओं के साथ, एक अद्वितीय और दिव्य संगीतमय यात्रा का परमार्थ निकेतन में आयोजन किया गया है, जिसमें भक्तिमय माहौल के साथ संगीत और भक्ति का अद्भुत संगम हुआ। अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की प्रत्येक संध्या संगीत की विभिन्न विधाओं को समर्पित रही परन्तु आज की इस विशेष संध्या में प्रतिष्ठित ड्रम मास्टर शिवमणि और सुरों की जादूगरी से भरपूर रुणा रिजवी ने अपनी आवाज से परमार्थ निकेतन गंगा तट पर एक नया रंग भर दिया।
योग, भक्ति और संगीत की इस संध्या ने प्रतिभागियों को आध्यात्मिक रूप से भावविभोर कर दिया। सभी के दिलों में संगीत और भक्ति का एक अद्भुत संगम हुआ। भारतीय संस्कृति और भक्ति का दिव्य प्रतीक गंगा जी की आरती व शिवमणि के संगीत और ड्रम की थाप के साथ मिलकर एक अनूठी भव्यता और दिव्यता का सभी को अहसास कराया। रुणा रिजवी की मधुर और मंत्रमुग्ध करने वाली आवाज ने इस संगीतमय यात्रा को और भी समृद्ध बना दिया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि माँ गंगा की पवित्रता और संगीत का संगम हमें जीवन के शाश्वत सत्य से जोड़ता है। जब हम माँ गंगा के तट पर भक्ति और संगीत के इस दिव्य अनुभव में सम्मिलित होते हैं, तो हम न केवल बाहरी दुनिया से, बल्कि अपने भीतर की आंतरिक शांति से भी जुड़ते हैं। यह संगीतमय यात्रा हमें याद दिलाती है कि जीवन की वास्तविक यात्रा केवल बाहरी नहीं, बल्कि आत्मिक और मानसिक शांति की ओर है।
डा साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि योग, भक्ति और संगीत के संगम ने इस संध्या को अद्वितीय बना दिया है। गंगा की आरती के साथ शिवमणि के ड्रम की थाप और रुणा रिजवी की सुरमयी आवाज ने वातावरण को दिव्यता और शांति से भर दिया।
आज अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के छटवें दिन इस अद्भुत संगीतमय यात्रा में 75 से भी अधिक देशों से आये योग जिज्ञासु और योगाचार्य हिस्सा बनें और इस पवित्र अनुभव को आत्मसात किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने शिवमणि और रूणा रिज़वी को रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट कर उनका अभिनन्दन किया।
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