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 आजकल  देखा जा रहा है कई लोग समय समय पर सोशल मीडिया पर या अन्य सामाजिक प्लेटफार्म पर किसी जाती विशेष पर अभद्र टिप्पणी कर समाज में अराजकता का माहौल बनने का प्रयास करते है ऐसे में कानून में क्या व्यवस्था है।


 इसके लिए कानून के जानकार वरिष्ठ हाई कोर्ट के अधिवक्ता ललित मिगलानी से जानते है कि उन व्यक्तियों पर जो ऐसा प्रयास करते है उन पर कानून में क्या प्रावधान है। 

मिगलानी ने बताया भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 299 के तहत, किसी धर्म या उसकी मान्यताओं का जान-बूझकर अपमान करने पर सज़ा का प्रावधान है. इस धारा का मकसद, किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली कार्रवाइयों को रोकना है. 

बीएनएस की धारा 299 के तहत सज़ा: 

इस धारा के तहत दोषी को तीन साल तक की जेल हो सकती है.

जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

सज़ा कोर्ट की विवेक पर निर्भर करती है.

कोर्ट, अपराध की गंभीरता और परिस्थिति को देखते हुए सज़ा तय करता है.

बीएनएस की धारा 299 के तहत अपराध:

मौखिक, लिखित, डिजिटल संचार, और दृश्य प्रस्तुतियों के ज़रिए धर्म या उसकी मान्यताओं का अपमान करना. 

किसी धर्म या उसकी मान्यताओं का अपमान करने का प्रयास करना 

मिगलानी ने आगे भी बताया कि सोशल मीडिया में अगर कोई ऐसा कार्य करता है तो उसपर इस धारा के साथ आई टी एक्ट 2000 की भी गंभीर धाराएं लगाई जा सकतीं है, आई टी एक्ट में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से किये जाने वाले अपराधों को रोकने एवं उस से जुड़े अपराधों की सज़ा देने के लिए बनाया गया था। सोशल मीडिया से सम्बंधित अपराध भी आई टी एक्ट के अंतर्गत ही आते हैं।

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