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Second day of 10th world ayurveda congress expo 2024


*वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस के प्लेनेटरी सेशन में विषय- विशेषज्ञों ने साझा किए बहुमूल्य अनुभव*


*आयुर्वेद को लोकप्रिय कैसे बनाएं और जनमानस तक इसकी पहुंच सर्वसुलभ कैसे हो*


परेड ग्राउंड में 10 वें आयुर्वेद कांग्रेस और आरोग्य एक्सपो में दूसरे दिन देश-विदेश के आयुर्वेद  विशेषज्ञों ने अलग-अलग थीम और टॉपिक पर अपने-अपने अनुभव साझा  किये।


प्लेनेटरी सेशन में *न्यू एज संहिता* विषय पर पैनलिस्ट उपेंद्र दीक्षित (गोवा) अभिजीत सराफ (नासिक) और श्री प्रसाद बावडेकर (पुणे) ने अपने विचार रखे।  आयुर्वेद के क्षेत्र में अधिक लोगों को कैसे जोड़ा जाए, इसमें अधिक शोध और अनुसंधान को कैसे बढ़ावा मिले तथा आयुष चिकित्सा को आम जनमानस के बीच कैसे लोकप्रिय बनाया जाए। बताया कि आयुर्वेद के क्षेत्र में जितने भी नए  रिसर्च हो रहे हैं और नई रचनाएं लिखी जा रही हैं उसकी भाषा बहुत ही सरल हो और डिजिटल  App (कोड) के अंतर्गत अधिक - से - अधिक स्थानीय भाषा में उसकी उपलब्धता हो ताकि देश-विदेश का हर एक नागरिक अपनी सुगम भाषा में उसकी आसानी से स्टडी कर सके।


*आयुर्वेद आहार* विषय पर केंद्रित व्याख्यान में  पैनलिस्ट ने बताया कि शरीर की प्रकृति (कफ, वात, पित) के अनुरूप आहार होना चाहिए। *फूड इज मेडिसिन, बट मेडिसिन इज नॉट फूड* के सिद्धांत का पालन करना चाहिए। इसमें सुझाव आया कि FSSI (भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण) खाद्य पदार्थों के सर्टिफिकेशन में आयुर्वेद आहार के मानक को भी सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया में शामिल करें।


*एविडेंस बेस्ड आयुर्वेद* थीम पर आधारित व्याख्यान में पैनलिस्ट ने बताया कि आयुर्वेद के क्षेत्र में नित्य  होने वाले नए शोध,अनुसंधान एवं व्यवहारिक ज्ञान को प्यूरिफाई करने के लिए एक मानक संस्था होनी चाहिए,  जिससे जनमानस तक पहुंचने से पूर्व ज्ञान,जानकारी व तकनीक को कई चरणों में  जांचा - परखा जा सके। 


आयुर्वेद की परंपरागत जानकारी रखने वाले वैद्य की गोष्ठी में देशभर से आए वैद्य ने उनके सामने आने वाली विभिन्न समस्याओं और सुझावों को साझा किया। उन्होंने कहा कि जड़ी बूटी उत्पादन से लेकर उसकी फूड प्रोसेसिंग, मार्केटिंग और विक्रय तक लागत बहुत आती है जबकि उसके अनुरूप मुनाफा नहीं मिल पाता। उन्होंने सुझाव दिया कि परंपरागत वैध की जानकारी रखने वाले लोगों को प्रमाण पत्र देकर उनका प्रमाणीकरण किया जाए। साथ ही परंपरागत ज्ञान को हर एक नागरिक तक पहुंचाने के लिए गांव-गांव तक आयुर्वेद स्कूलों की स्थापना की जाए।


NCIMS (राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग) कॉन्क्लेव में देश भर के लगभग 200 से अधिक आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने प्रतिभा किया। इसमें आयुर्वेदिक चिकित्सकों के सेवा के अवसरों, दायित्व और अधिकारों पर विस्तृत चर्चा की गई। आयुष चिकित्सा लाभ के लिए आने वाले विदेशी पर्यटकों को कैसे बेहतर सुविधा दी जा सकती है इस संबंध में प्रधानमंत्री द्वारा लांच की गई *आयुष वीजा* सेवा से संबंधित जानकारी भी साझा की गई। 


भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ जे.  एन. नौटियाल ने बताया कि आयुर्वेद चिकित्सकों को HPR (हेल्थकेयर प्रोफेशनल रजिस्ट्री) पर पंजीकृत करना चाहिए तथा आयुष अस्पताल को NABH (नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स)में पंजीकृत करना चाहिए ताकि विदेश से आयुष चिकित्सा का लाभ लेने के लिए आने वाले विदेशी पर्यटकों को सुगमता से स्वास्थ्य लाभ मिल सके। इससे मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में भी वृद्धि की संभावना बढ़ेगी।

नेशनल आयुष मिशन में उत्तराखंड का अच्छा काम

केंद्रीय आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने की उत्तराखंड की सराहना

प्राथमिक स्वास्थ्य से जुड़े नेशनल आयुष मिशन पर उत्तराखंड की प्रगति की केंद्र सरकार ने सराहना की है। केंद्र सरकार का मानना है कि उत्तराखंड दिए गए लक्ष्यों की पूर्ति के लिए बेहतर काम कर रहा है।

वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो के सिलसिले में देहरादून आए केंद्रीय आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने शुक्रवार को मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि नेशनल आयुष मिशन के तहत देश भर में प्राथमिक स्तर पर जन स्वास्थ्य को अंतिम छोर तक पहुंचाने के लिए प्रयास किया जा रहा है। इस दिशा में उत्तराखंड का अच्छा काम है। उन्होंने बताया कि इस मिशन के अंतर्गत आयुष मंत्रालय ने हाल ही में देश भर में दस हजार से अधिक ऐसे कैंप आयोजित किए, जो बुजुर्गों की स्वास्थ्य देखभाल पर केंद्रित थे। इसमें भी उत्तराखंड का काम सराहनीय रहा। 

वैद्य कोटेचा ने कहा कि पिछले दस वर्ष में देश में आयुष के संबंध में क्रांतिकारी प्रगति हुई है। उन्होंने इस संबंध में आंकड़ों के जरिये अपनी बात को पुख्ता किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से पहले आयुष की टेली मेडिसन सुविधा 19 देशों में उपलब्ध थी, जो कि अब बढ़कर 84 देशों में हो गई है। आयुष निर्यात पहले डेढ़ सौ देशों में था, जिसमें ढाई गुना की वृद्धि दर्ज हुई है।



आयुष चिकित्सालयों पर चल रहा काम

-नेशनल आयुष मिशन के तहत वर्तमान में उत्तराखंड में ठोस कार्यों की शुरूआत हुई है। 50 बेड के चार आयुष चिकित्सालयों पर काम आगे बढ़ा है, जो कि जाखनीधार-टिहरी, हल्द्वानी, टनकपुर और कोटद्वार में निर्मित किए जाने हैं। इसी तरह, दस बेड के दो आयुष चिकित्सालय पथरी-हरिद्वार व भीमताल में निर्मित होने हैं। विश्व आयुर्वेद कांग्रेस के उद्घाटन सत्र में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन चिकित्सालयों की खास तौर पर चर्चा की थी। साथ ही कहा था कि आयुष सुविधाओं के विस्तार के लिए गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं।

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