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 रामेश्वरम पर विशेष लेख 

Dr muralidhar shastri


भगवान राम के ईश्वर अर्थात महादेव शंकर का निवास स्थान  रामेश्वरम को नमन

 यह स्थान त्रेता  युग  से जुड़ा हुआ है  यहां पर भगवान राम  द्वारा स्थापित ज्योतिर्लिंग श्री राम लिंगम 

यह केंद्र  वैष्णव एवं शिव तीर्थ के रूप में  पूरे आर्यावर्त में स्थापित है यहां शिव एवं विष्णु के अवतारों के भक्त समान रूप से आदर रखते हैं 

दक्षिण भारत के अय्यप्पा भगवान के भक्त भी अटूट आस्था रखते हैं 

रामेश्वरम का विशेष अभी तक 27 भाषाओं में रचित रामायण में विशेष उल्लेख किया गया 

ऐसा भारत के किसी तीर्थ का उल्लेख नहीं किया गया 

इस स्थान के पूजा पाठ से भगवान राम एवं शंकर में अटूट आस्था एवं दृढ़ विश्वास प्रकट होता है 

तथा सभी फलों को एवं मनोकामनाओं को देने वाला सक्षम केंद्र है

 रामेश्वरम में चर्च में एवं मस्जिद में भी समान रूप से वैष्णव पद्धति से पूजा की जाती है

 यह सौहार्द का विश्व में अनोखा केंद्र यह मंदिर मात्र 15 एकड़ में बसा है

एवं राम जी के परम भक्त हनुमान जी द्वारा स्थापित श्री विश्व लिंगम की पूजा होती है

 यहां पर श्री लक्ष्मण जी स्वयं मनीके रूप में विराजमान है जिनको मनी देव भी कहा जाता माता पार्वती जी स्वयं यहां वरदानी  देने वाली माता जी के रूप में विराजमान 

मां सीता अपने शक्तिपुंज के साथ अष्ट लक्ष्मी के रूप में विराजमान

 भगवान राम द्वारा समुद्र के खारे जल के पास स्थित 22 तीर्थ का स्वच्छ पानी का निर्माण किया गया है

 जिसमें गायत्री तीर्थ गया तीर्थ सावित्री तीर्थ प्रमुख हैं इन तीर्थ के स्पर्श मात्र से ही सभी पाप नष्ट हो जाते हैं हो जाते हैं 

तथा कोई शारीरिक बीमारी होती है उसका भी नाश हो जाता है

 भगवान शंकर के इस पूज्य ज्योतिर्लिंग पर जो कोई गंगाजल चढ़ता है वह साक्षात पूरे कुटुंब के साथ स्वर्ग धाम को जाता है


       

   डॉक्टर मुरलीधर सिंह शास्त्री         अधिवक्ता / विधि अधिकारी मा उच्च न्यायालय इलाहाबाद एवं लखनऊ पीठ 

भगवान शंकर के द्वादश ज्योतिर्लिंग है जो भारत के उत्तर में दक्षिण में पूर्व में पश्चिम में मध्य में स्थित है वास्तव में भगवान शंकर ही भारत को एक बनाने वाले हैं और राष्ट्र को मजबूत करने में उनकी भक्ति ही अमरता का संदेश देती है

 यह भी कहा गया है की जो 12  ज्योतिर्लिंगों का दर्शन कर लेता है उसको साक्षात भगवान शंकर मोक्ष देते हैं

 इस विचारधारा को मानते हुए लाखों भक्त प्रत्येक ज्योतिर्लिंगों को दर्शन करते हैं ज्योर्तिलिंग रामेश्वर रामनाथ स्वामी.सोमनाथ.मल्लिकार्जुन उज्जैन महाकाल 

ओंकारेश्वर .काशी विश्वनाथ.नागेश्वर नाथ. बैद्यनाथ भीम शंकर.केदारेश्वर घृष्णेश्वर त्रंबकेश्वर. ज्योतिर्लिंग है इसका महाशिवपुराण में भागवत पुराण में पद्म पुराण में लिंग पुराण में अधिक का अधिक  पुराणों में  उल्लेख है कुछ कुछ विद्वान इसकी गणना के दृष्टि से या महत्व की दृष्टि से प्रथम द्वितीय स्थान देते हैं पर भक्ति में साधना में प्रथम द्वितीय का कोई महत्व नहीं होता उसे स्थान और          


@संस्थापक महापुरुष का जब महत्व जुड़ जाता है तो अमरता का सिद्धांत बनता है इस सिद्धांत को भक्ति सिद्धांत के रूप में प्रतिपादित किया गया है इसी  में दक्षिण भारत का काशी कहां जाने  वाला राम के ईश्वर का स्थान रामेश्वरम है अर्थात रामकेश्वर भगवान शंकर

 रामेश्वरम तमिलनाडु के श्री रामनाथ पुरम जिला में एक परगना के रूप में स्थापित है यहां की आबादी लगभग 80000 के आसपास है यहां पर हिंदुओं के साथ-साथ ईसाइयों की मुस्लिम की आबादी है इसी स्थान पर भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे कलाम का जन्म हुआ जो सत्य के पुत्र के रूप में राष्ट्रीय एकता के सूत्र के रूप में जाने जाते हैं हम लोगों  परिवार के सदस्यों के साथ उस स्थान का भ्रमण करने का मौका मिला उनके परिवार के लोगों से भी मिला उनके जन्म स्थान एवं स्मारक पर भी गए उसे स्थान की विशेषताएं हैं 

उसे स्थान के विकास में तमिल समुदाय के भारतीय लोगों के साथ-साथ श्रीलंका के जबना( Jafana)क्षेत्र  के राजाओं का योगदान रहा है तथा भारतीय राजाओं में   पांडव panya  वंश के चोल वंश के राजाओंत्रावणकोर के राजा  विशेष योगदान रहा है तथा विशेष रूप से pujya मुथु राम लिंगम  का योगदान रहा है जो लगभग 1212 के 23ft स्तंभों द्वारा कॉरिडोर /गलियारा बनाया गया है इसमें प्रथम गलियारा है द्वितीय गलियारा है वहां पर भगवान शंकर के 108 लिंग विग्रह स्थापित है तथा गणेश जी के कार्तिकेय जी के माता पार्वती जी के भी मूर्ति विराजमान इसके अलावा इस मंदिर में अष्ट महालक्ष्मी जी के विराजमान है नवग्रह मंदिर है काल भैरव जी का मंदिर विराजमान है तथा शंकर जी के विभिन्न रूपों में मंदिर विराजमान मुख्य स्थान यहां का भगवान राम एवं माता सीता द्वारा स्थापित श्री राम लिंगम जिनको रामनाथ स्वामी भी कहा जाता है तथा विश्व लिंगम द्वितीय लिंग का स्थान है जिसकी स्थापना भगवान राम के साथ-साथ स्वयं हनुमान जी ने भी किया था जो कैलाश पर्वत से लाए थे इस मंदिर का और और महत्व बढ़ जाता है यह प्रथम ज्योतिर्लिंग है प्रथम ज्योतिर्लिंग है जहां पर समुद्र समुद्र जल से भी भगवान शंकर का अभिषेक होता है यह भारत का वह स्थान है जो प्रामाणिक रूप से भगवान  राम जी के वन गमन समय का  श्रीलंका कांड में तथा महाकाव्य बाल्मीकि/27  रामायण में विशेष रूप से उल्लेखित है  धनुषकोडी स्थान पर ही भगवान राम ने प्रथम विश्राम गंधमादन पर्वत पर किया था तथा वहीं से श्रीरामशिला का स्पर्श कर सेतु का निर्माण कर लंका पर विजय प्राप्त की थी वह स्थान जो रामायण में उल्लेखित यह स्थान परम पवित्र है तथा श्रद्धालु भी समुद्र में स्नान करके ही महादेव जी का साक्षात दर्शन करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं पर्वत पर स्थित है जहां पर भगवान माता सीता जी के लक्ष्मण जी के हनुमान जी के मूर्ति विग्रह स्थापित है जहां पर अनादि काल से पूजा हो रही इसके अलावा अनेक स्थान है जो त्रेता युग का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसमें पंचमुखी हनुमान मंदिर राज मंदिर राम तीर्थ लक्ष्मण तीर्थं आदि प्रमुख है एक वैष्णव क्षेत्र एवं  क्षेत्र की एकता का शंकर भक्तों की एकता का केंद्र है इसके जितने अर्चक एवं पुजारी हैं वह ज्यादातर श्रृंगेरी के शंकराचार्य जी पीठ द्वारा एवं कांचीपुरम के शंकराचार्य की पीठ द्वारा दीक्षित एवं वैष्णो  के उपासक  एवं शंकर के उपासक  तथा शक्ति के उपासक  समान रूप से एवं एवं सम्मान  के साथ पूजा करते हैं एवं भक्तों का मार्गदर्शन करते हैं.

 सेवा की भावना को स्वीकार किए हैं तथा लालच रहित केवल श्रद्धा के साथ भक्तों की एवं भगवान की सेवा कर रहे हैं उनकी जितनी भी तारीफ की जाए वह बहुत कम है ऐसे उत्तर भारत के मंदिरों में नहीं है और हम सरकार से मांग मांग करते हैं कि रामेश्वरम की तरह  काशी में  कॉरिडोर/ गलियारा बनाया जाए अयोध्या में भी व्यापक कॉरिडोर बनाया जाए तथा मथुरा में भी व्यापक कॉरिडोर बनाया जाए जो की भक्तों को दर्शन करने में ज्यादा से ज्यादा सुविधा मिले 

जय हिंद जय भारत 

जय सनातन धर्म 

जय महादेव जी 

जय श्री रामेश्वर धाम की जय

 लेखक:


 विभिन्न सरकारों में प्रथम श्रेणी के अधिकारी रहे हैं तथा वर्तमान में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद लखनऊ में अधिवक्ता एवं विधि अधिकारी हैं तथा वैदिक ज्योतिष के एवं प्रेस नीति के विशेष जानकार तथा (विधिक सेवा निशुल्क गरीबों  की महात्माओं एवं माता की सेवा करते हैं तथा आप अयोध्या में लखनऊ में एवं वृंदावन में साप्ताहिक प्रवास करते हैं) email:

Advmurlidharsingh@gmail.com

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