*सनातन की शक्ति और घायल हिंदुओं की हिम्मत व धैर्य की परीक्षा न लें कट्टरपंथी!*
बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले, हत्या, लूट, आगज़नी व महिलाओं पर हो रहे अमानवीय अत्याचार बेहद चिंताजनक हैं!
इतना ही नहीं इस्कॉन के संन्यासी चिन्मय कृष्णदास को अन्यायपूर्ण कारावास रखा जाना पूरे विश्व के लिए चुनौती है! अगर इस तरह से संत, संयासी, महात्मा, धर्म गुरुओं को बेवजह किसी भी देश में धर्म के नाम पर प्रताड़ित किया जाता रहेगा!
अंतर्राष्ट्रीय भगवा सनातन के संयोजक यशपाल विद्रोही का कहना है कि वर्तमान की बांग्लादेश सरकार तथा अन्य एजेंसियां इसे रोकने की जगह केवल मूकदर्शक बनी हुई है। वर्तमान में इस प्रकार एजेंसियां हिंदूओ के साथ अन्याय और अनैतिकता पर मौन रहते हैं तो भविष्य में हिंदू आक्रामक होगा जिसे संभाल पाना मुश्किल भी होगा! हिंदुओं के धैर्य की परीक्षा कोई भी देश कोई भी सरकार न लें! विद्रोही नें वैश्विक शांति को सनातन से ही संभव बताया!
इस्कॉन के संन्यासी की अनैतिक्, अमानवीय कारावास की कार्यवाही की घोर निंदाकर बांग्ला देश की सरकार को मुक्त करनें की चेतावनी भी दी!
अपना वजूद मिटता देख वेवश दुखी, घायल बांग्लादेश का हिन्दू अपनीं रक्षा के लिए लोकतांत्रिक पद्धति से उठाता आवाज़ बांग्लादेश की सरकार उस कराहते स्वर को सुननें की वजाय दबा रही है! अन्याय अत्याचार का नया दौर वैश्विक पटल पर साफ–साफ दिख रहा है।
ऐसे ही शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में हिन्दुओं का नेतृत्व ही नहीं मरते, कटते, लूटते, और घटते हिंदुओं की पीड़ा पर मानवता की दृष्टि से आगे आना इस्कॉन के संन्यासी चिन्मय कृष्णदास को बांग्लादेश सरकार द्वारा कारावास भेजना अन्यायपूर्ण है।
भारत का हिंदू ही नहीं प्रवासी भारतीय हिंदू भी इस बात को समझ रहा है! उत्तराखंड के उत्तरकाशी ही नहीं पूरे देश में इस तरह की हिंदू महापंचायतें इस प्रकार के कुकृत्यों से सामना करनें और एक होनें रहने की सीख है!
जो मानवता से प्रेम नहीं बल्कि महज उपभोग करनें की वस्तु समझते हैं! ऐसी कट्टरपंथी विचारधारा विश्वभर में इस्लाम को लाना चाहती हैं! जो हिंदुओं से काट–मार कर रहे हैं! वह आज भी अफगनिस्तान, ईरान, इजराइल का आईना उठाकर देख लें!
जिसमें इस्लाम की क्रूर हिंसक तस्वीर दिखाई देती है!
बेशक बांग्ला देश की पूर्व प्रधानमन्त्री शेख हसीना इस्कान संयासी चिन्मय कृष्णदास के समर्थन में क्यों न उतरी हो लेकिन वह महज एक खेल ही हो सकता है! जिसे वहाँ की कट्टरपंथी विचारधारा नें 5अगस्त को इस्तीफा देकर खुद का देश छोड़ जाने पर मजबूर किया गया था वह कैसे संयासी चिन्मय कृष्णदास का समर्थन कर सकती हैं!
बिना रैली आक्रोश के शांति पूर्ण तरीके से हिंदू महापंचायत पर देवभूमि विचार मंच द्वारा ली गई अनुमति के बाद भी प्रशासन द्वारा भारी संख्या में पुलिस बल तैनात करना हिंदू संगठनों के अंदर डर पैदा करना था! या कट्टर पंथियों के द्वारा उपद्रव फैलानें का डर था!
इन दोनों के बीच सड़क मार्ग को परिवर्तन कर शांति पूर्ण तरीके से सम्पन्न हिंदू महापंचायत में जनता पिसती नजर आई!
बांग्लादेश की घटना हिंदू समाज के लिए बहुत बड़ी सीख है! पुलिस, प्रशासनिक तंत्र सब पिटते, मिटते, मरते नजर आयेंगे! अभी से इस नफरत को हिंदू आपसी एकजुटता से खत्म कर सकते हैं!
यशपाल बिष्ट उत्तरकाशी की कलम से
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