नौंवे दिन यानि नवमी तिथि को मां के सिद्धीदात्री का पूजन और आराधना की जाती है। मां का यह स्वरूप सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाला है।
भगवती सिद्धिदात्री का ध्यान, स्तोत्र व कवच का पाठ करने से 'निर्वाण चक्र' जाग्रत हो जाता है।
आज 11 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजे तक अष्टमी तत्पश्चात नवमी नवरात्रि लगेगी।
वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम।
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम॥
स्वर्णावर्णा निर्वाणचक्रस्थितां नवम दुर्गा त्रिनेत्राम।
शख, चक्र, गदा, पदम, धरां सिद्धीदात्री भजेम॥
पटाम्बर,परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल मण्डिताम॥
प्रफुल्ल वदना पल्लवाधरां कातं कपोला पीनपयोधराम।
कमनीयां लावण्यां श्रीणकटि निम्ननाभि नितम्बनीम॥
एक टिप्पणी भेजें