कट्टरता की कटार से मानवता की छाती भेदने की तैयारी
तीसरे विश्व युध्द की दस्तक होने लगी है। इजराइल का हमास के साथ हो रहे युध्द का विस्तार अब ईरान तक पहुंच गया है जिसमें दुनिया के देश दो खेमों में बटते जा रहे हैं। दुश्मन के दुश्मनों ने भी दोस्त बनकर कमर कसना शुरू कर दी है। इजराइल के पक्ष में जहां अमेरिका, ब्रिटेन सहित अन्य पश्चिमी देश एक जुट हो रहे हैं वहीं ईरान के साथ सीरिया, लेबनान, कतर, जार्डन, तेहरान, ईराक, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिल्कान जैसे मुस्लिम देशों के अलावा रूस, चीन तथा उत्तरी कोरिया भी खडे हो सकते हैं। इस संभावित युध्द की तैयारी में यहूदियों और मुसलमानों का अलग-अलग ध्रुवीकरण होने लगा है। इजराइल-लेबनान सीमा पर अनगिनत मिसाइलें इंटरसेप्ट कर दी गई हैं। लेबनान के आतंकवादी गिरोह हिजबुल्लाह ने इजराइल पर राकेट दागने शुरू कर दिये हैं। इजराइल डिफेंस फोर्स के मुखिया लेफ्टिनेन्ट जनरल हेरजी हवेली तथा अनेरिका की सेन्टर कमांड के मुखिया माइकल एरिक कुरिला के मध्य महात्वपूर्ण बैठक में भावी रणनीतियां तय कर ली गईं हैं। ऐसे में भारत की अगुवाई तले अनेक देश तटस्थ रहने की शान्तिप्रिय नीतियों का अनुपालन करते भी दिख सकते हैं जो विश्व युध्द को टालने की कोशिश में ही लगे रहे हैं। अमेरिका, फ्रांस, भारत सहित 6 देशों ने अपने नागरिकों के लिए यात्रा सलाह यानी ट्रैवल एडवाइजरी जारी कर दी है जिसमें इजराइल और ईरान देशों के वर्तमान हालातों की समीक्षा की गर्ई है। अमेरिका के अधिकारियों के हवाले से सीबीएस न्यूज तथा गुप्त सूत्रों को रेखांकित करते हुए वाल स्ट्रीट जर्नल सहित अनेक संवाद संप्रेषिण माध्यमों ने विगत दिनों संभावित युध्द की घोषणा की थी। इजराइल पर हुए आतंकी हमले के जबाब में गाजा पर किये गये प्रहार का विस्तार निरंतर होता जा रहा है। आतंकी संगठनों की कट्टरपंथी जमातें एक साथ इजराइल और यहूदियों पर टूट पडना चाहती हैं। गाजा के आम नागरिकों व्दारा मौत की कीमत पर भी हमास को संरक्षण दिया जा रहा है। चिकित्सालयों, मस्जिदों, मदरसों, स्कूलों, आस्था स्थलों सहित विश्व स्वस्थ्य संगठन जैसी संवेदनशील जगहों से आतंक की पाठशालायें निरंतर संचालित होती रहीं हैं। भूमिगत सुरंगों के जाल फैलाने के साथ-साथ हमास ने कट्टरता के क्रूर हथियारों से निरीह आवाम को जेहादी बना दिया है। वहां के आम नागरिकों ने अपनी आंखों के सामने मासूमों की मौत देखना कुबूल किया, भूख की तडफ स्वीकारी और मंजूर किया हमास का आदेश। जमीर की आवाज कहीं दूर दफन हो चुकी थी, ईमान का जज्वा कहीं गुमनामी के अंधेरे में खो गया था और कफन ओढकर ताबूत में लेट गई थी इंसानियत। खुदा के पैगाम का मनमाना तर्जुमा करने वाले खुद के जिस्मानी आराम तलाशने में जुटे है, जीते जी रूह की रुक्सती कर दी है और दुनिया का सुल्लतान बनने की ख्वाइश को सातवें आसमान तक पहुंचा दिया। ऐसे में गाजा का एक बडा भाग इजराइल के प्रतिशोध की भेंट चढने लगा। हमलों पर हमले होते चले गये। हमास के साथ मिलकर लडने वाले देशों ने इस प्रतिशोध पर प्रतिशोध लेने का षडयंत्र करना शुरू कर दिया। समुद्री लुटेरे बनकर आतंक फैलाने वालों ने जहाजों पर आक्रमण तेज कर दिये। इंसाफ के नाम पर नाइंसाफी करने के सिलसिलों ने तेजी पकड ली। चन्द मुसलमानों ने पूरी कौम को संदेह के दायरे में खडा कर दिया। वर्तमान हालातों के लिए जिस घटना को उत्तरदायी ठहराया जा रहा है वह 1 अप्रैल को सीरिया की राजधानी दमिश्क में स्थित ईरानी के वाणिज्य दूतावास पर घटित हुई थी जिसमें इजराइली हमले में ईरान के टाप कमांडर सहित 13 सैन्य अधिकारियों की मौत हुई थी। इस घटना के बाद से ईरान ने खुली चुनौती देते हुए बदला लेने की घोषणा की थी। इसी मध्य हिजबुल्लाह, हमास, हूती जैसे क्रूर आतंकी संगठनों अब अपना कुनवा बढाने की कोशिशों को चरम पर पहुंचे में जुट गये हैं। आतंकवाद को अप्रत्यक्ष में जायज ठहराने वाले देश तो लम्बे समय से अपनी धरती पर उन्हें केवल फलने-फूलने का मौका ही नहीं दे रहे हैं बल्कि सैन्य साज-ओ-सामान भी मुहैया करा रहे हैं। हैलीकाप्टर, स्पीड वोट, मिनी जहाज, आधुनिकतम अग्नेय शस्त्र, विस्फोटक, भारी-भरकम धनराशि जैसे संसाधनों की भरमार करके षडयंत्रकारी देशों के सत्ताधारी लोग अब अन्य देशों पर कब्जा करने, काबिज होने तथा गुलाम बनाने के लिए अपनी गैर संवैधानिक सैन्य शाखायें स्थापित करने में लगे हैं। तभी तो समुद्री लुटेरे, आतंकी संगठन और उनके रहनुमा अब खुलेआम अपनी गैरइंसानियत वाली क्रूरता को बेझिझक कुबूल करते हैं ताकि उनके नाम से दहशत का डंका बजने लगे। इन घटनाओं को बढावा देने का काम हथियारों के सौदागर, इंसानियत के दुश्मन और जेहाद के नाम पर जुल्म करने वाले मिलकर कर रहे हैं। कट्टरता की कटार से मानवता की छाती भेदने की तैयारी में लगे देशों को एक बार फिर सोचना चाहिए कि लाशों पर चलकर उखडी सांसों को गुलाम बनाने का मंसूबा दीन और दुनिया में कहीं भी कुबूल नहीं होगा फिर भी धमकियों, षडयंत्रों और हमलों की तिपाई पर बैठने वाले षडयंत्रकारी दुनिया भर में अपनी हुकूमत चलाने की ख्वाइश पूरी करने में जुटे हैं। जेहाद के नाम पर जुल्म, जुल्म के साथ बरबरता और बरबरता के आगोश में छुपी मंशा को नकाब में छुपाया जा रहा है। ऐसे में दुनिया के दरवाजे पर दस्तक देता विश्व युध्द किसी भी हालत में खुशहाली या सुकून नहीं दे सकेगा। इसे टालने के लिए अब जिस्मानी कोशिशों के अलावा रूहानी इबादत भी जरूरी हो गई है। तो आइये हम सब मिलकर अपने-अपने इबादतगाह में अपने-अपने ढंग से दुनिया को इस जंग-ए-दौर से बचाने के लिए दुआयें करें। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नई आहट के साथ फिर मुलाकात होगी।
Dr. Ravindra Arjariya
Accredited Journalist
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dr.ravindra.arjariya@gmail.com
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