ऋषिकेश :
गर्मियाँ शुरु होते ही उत्तराखंड के जंगलों का धूं धूं कर जलना निरन्तर जारी है |यमकेश्वर विकाकखण्ड के अंतर्गत पूर्व सैनिक एव क्षेत्र पंचायत सदस्य बूंगा सुदेश भट्ट ने बताया कि प्रदेश की राजधानी के सबसे निकटतम विकासण्ड यमकेश्वर व नरेंद्रनगर के जंगलों मे वनाग्नि से करोड़ों की संपत्ति जलकर ख़ाक हो रही है |
लेकिन जहा वन सम्पदा जलकर खाक हो रही है | वही वन विभाग पूरा सिस्टम फेल नजर आता दिख रहा है . वनो मे लगी आग के कारण वन्यजीव अपनी जान बचाकर ग्रामीण क्षेत्रों की ओर रुख़ कर रहे हैं.
जिससे वन्य जीव व मानव जीवन के बीच संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो रही है.
जहा वन विभाग द्वारा अभी तक किसी तरह की कोई ठोस कदम न उठाये जाने से हर रोज़ करोड़ों की वन संपदा जलकर नष्ट हो रही है .
सुदेश भट्ट ने संबंधित विभाग व प्रशासन से माँग की है, जब चुनावी जन सभावों मे जनता को आकर्षित करने के लिये बड़े बड़े हेलीकाप्टर उतारे जा सकते हैं तो राज्य की इस बहुमूल्य संपदा को बचाने के लिये भी हेलीकाप्टर से जंगलों में जल छिड़काव क्यो नही कर सकता है ।
जिससे वन्य जीव व वन संपदा को जलने से बचाया जा सके। जगलो मे लगी आग की घटनाओं पर चिंता ब्यक्त करते हुये सुदेश भट्ट ने बताया कि आज जब सड़क किनारे या वन क्षेत्र की सीमा पर कोविड में बेरोज़गार हुये स्थानीय युवाओं द्वारा रेहडी ठेली लगाकर अपनी आजीविका के लिये प्रयास किये जाते हैं ।
तो वहा पर वन्य कर्मचारियों द्वारा वन अधिनियमों का हवाला देकर उनकी ठेली को हटाया जाता है। जहा बेरोज़गारो को गाँव से पलायन के लिये मजबू र कर दिया जाता है जहा पहले से पलायन की मार झेल रहे पहाड के काश्तकारों द्वारा यदि अपने गाँव के जंगलों से कृषि कार्य हेतु हल नासूड या टाट पल के लिये वन संपदा का इसतेमाल किया जाता है। वही प्रशासन द्वारा उन पर सख़्त कार्यवाही की जाती है।
उन्हें खेती किसानी करने से रोका जाता है |जिस कारण आज गाँव के काश्तकारों ने कृषि कार्यों से मुँह फेर लिया।पहाड में खेतों के बंजर होने का एक कारण वन्य अधिनियमों का भी हावी होना हैं ।सुदेश भट्ट का कहना है यदि आगज़नी की जगह कोई ग्रामीण अपने कृषि कार्य हेतु यहाँ से जरुरत की कोई लकड़ी उठा रहा होता तो वन विभाग उस पर अब तक कार्यवाही कर चुका होता ।
इतनी बड़ी आगज़नी के बाद भी वन विभाग गम्भीर नही दिख रहा है।जंगल भगवान के भरोसे है ।जब यह स्थिति राजधानी देहरादून के सबसे नज़दीक क्षेत्र की है। जहा वन महकमा आग पर क़ाबू पाने के लिये कोई ठोस उपाय नहीं कर पा रहा है तो वही पहाड के दूरस्थ व दुर्गम क्षेत्रों की स्थिति इससे भी भयावह व चिंता जनक होना स्वाभाविक है।
हांलाकि बाद में सीएम ने ठोस कदम उठाने के लिये वनविभाग के कर्मचारियों के साथ वनाग्नि रोकने के सम्बंध में बैठक की और कड़े निर्देश दिए ताकि बहुमूल्य वन सम्पदा को बचाया जा सके।
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