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 भारत सरकार ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 (2) में10 साल की सज़ा तथा जुर्माने के प्रावधान के बारे में वाहन चालकों की चिंता का संज्ञान लिया तथा ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के प्रतिनिधियों से आज विस्तृत चर्चा की।


 सरकार यह बताना चाहती है कि ये नए कानून एवं प्रावधान अभी लागू नहीं हुए हैं। हम यह भी बताना चाहते हैं कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 (2) को लागू करने से पहले ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस से विचार-विमर्श करने के बाद ही निर्णय लिया जाएगा। 


हम ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस तथा सभी वाहन चालकों से अपील करते हैं कि आप अपने-अपने कामों पर वापस लौट जाएं।


उत्तराखंड में मोटर वाहनों द्वारा हिट एण्ड रन के मामलों के सम्बन्ध में भारतीय न्याय संहिता में प्रस्तावित सजा के प्राविधान पर प्रदेश के परिवहन व्यवसायियों द्वारा की जा रही हड़ताल के सम्बन्ध में सचिव परिवहन की अध्यक्षता में प्रदेश के महत्त्वपूर्ण परिवहन संघों के पदाधिकारियों के साथ एक बैठक आयोजित की गई। 



बैठक में परिवहन संघों के पदाधिकारियों द्वारा भारतीय न्याय संहिता की धारा 104 में हिट एण्ड रन के मामलों में प्रस्तावित 10 साल की सजा तथा जुर्माने का विरोध किया गया। परिवहन व्यवसायियों का कहना था कि वाहन दुर्घटनाओं के अनेक कारण हैं जिनमें खराब सड़कें, चौराहों का उपयुक्त न होना तथा निजी वाहन के चालकों का अप्रशिक्षित होना आदि सम्मिलित हैं। कोई भी चालक किसी भी दशा में जानबूझ कर कोई दुर्घटना कारित नहीं करता है। अतः इस तरह की कठोर सजा का प्राविधान करना न्यायसंगत नहीं है। परिवहन व्यवसायियों का यह कथन भी था कि दुर्घटना की दशा में कई बार छोटे वाहन चालक की अथवा पैदल यात्री की भी गलती होती है, ऐसी दशा में भी यदि बड़े वाहन का चालक दुर्घटना स्थल पर रूकेगा तो उसे भीड़ की हिंसा का शिकार होने का भय रहता है। इसलिए सामान्यतया वाहन चालक दुर्घटना के पश्चात दुर्घटना स्थल से भाग जाने के लिए विवश हो जाते हैं।

बैठक में सचिव, परिवहन श्री अरविन्द सिंह ह्याँकी ने परिवहन व्यवसायियों को अवगत कराया कि भारतीय न्याय संहिता के प्रश्नगत प्रस्ताव विषयक अभी न तो अधिसूचना जारी हुई है और न ही उसे लागू किया गया है। इसके अतिरिक्त सचिव परिवहन ने कहा कि उत्तराखण्ड के परिवहन व्यवसायियों में अपनी बात को संविधान और कानून सम्मत तरीके से उचित फोरम तक पहुँचाने की स्वस्थ परम्परा विद्यमान रही है, अतः यदि प्रस्तावित कानून पर परिवहन व्यवसायियों अथवा चालकों को किसी प्रकार की आपत्ति अथवा भ्रम की स्थिति है तो वह कानून के दायरे में रहते हुए प्रतीकात्मक तरीके से अपना पक्ष रख सकते हैं जिसे भारत सरकार तक शीघ्र पहुँचाया जाएगा। परिवहन व्यवसाय जन सरोकार से जुड़ा हुआ व्यवसाय है, अतः उक्त व्यवसाय के ठप होने से न केवल लोगों को आवागमन में असुविधा उत्पन्न होती है बल्कि आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति भी प्रभावित हो जाती है। अतः परिवहन व्यवसायियों को वाहनों का संचालन निर्बाध रूप से जारी रखते हुए ही अपना पक्ष रखना चाहिए।

उत्तराखण्ड परिवहन निगम से सम्बन्धित संघों सहित कुछ परिवहन संघों द्वारा अवगत कराया गया कि वे इस हड़ताल में सम्मिलित नहीं हैं परन्तु उनके संगठनों से जुड़े वाहनों को कुछ अन्य चालकों द्वारा संचालित करने में बाधा उत्पन्न की जा रही है। इस सम्बन्ध में परिवहन संघों को आश्वासन दिया गया कि जो परिवहन व्यवसायी अपने वाहन का संचालन करना चाहते हैं उन्हें आवश्यकतानुसार पूर्ण सुरक्षा प्रदान की जाएगी और किसी भी व्यक्ति को कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस सम्बन्ध में समस्त जनपदों के जिलाधिकारियों तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों / अधीक्षकों को निर्देश जारी कर दिये गये हैं। पेट्रोल, डीज़ल, गैस इत्यादि की आपूर्ति के सम्बन्ध में सचिव परिवहन द्वारा तेल गैस कम्पनियों के प्रबन्धकों को आपूर्ति निर्बाध बनाए रखने के निर्देश दिये गये ।

बैठक में सचिव, मुख्यमंत्री तथा मण्डलायुक्त गढ़वाल श्री विनय शंकर पाण्डेय, पुलिस उपमहानिरीक्षक कानून व्यवस्था सुश्री पी. रेणुका देवी, प्रबन्ध निदेशक उत्तराखण्ड परिवहन निगम श्री आनन्द श्रीवास्तव, संयुक्त परिवहन आयुक्त श्री सनत कुमार सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून श्री अजय सिंह के अतिरिक्त विभिन्न परिवहन संघों की ओर से श्री सूर्यकांत धस्माना, संरक्षक, उत्तराखण्ड परिवहन निगम कर्मचारी परिषद, श्री जितेन्द्र सिंह नेगी, अध्यक्ष, टी.जी.एम.ओ.यू. श्री अनुसूया प्रसाद उनियाल व श्री आदर्श सैनी सम्राट, ऑल इण्डिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस, श्री हरेन्द्र बाल्यान, देव भूमि ट्रक ऑपरेटर एसोसिएशन, श्री सुधीर राय, अध्यक्ष, उत्तराखण्ड परिवहन महासंघ, श्री मनोज ध्यानी, यातायात कंपनी, ऋषिकेश, श्री दिनेश बहुगुणा, अध्यक्ष, गढ़वाल ट्रक यूनियन, ऋषिकेश, श्री अशोक चौधरी, महामंत्री, उत्तराखण्ड रोडवेज कर्मचारी यूनियन, श्री दिनेश पंत, महामंत्री, रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद, उत्तराखण्ड आदि सम्मिलित हुए ।


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