डोईवाला:
युवा टस्कर हाथी की मौत जीव प्रेमियों के लिये दुःखद खबर है।
डोईवाला, बड़कोट रेंज माजरी ग्रांट ग्राम पंचायत के रेशम माजरी गांव में आज सुबह खेत मे हाथी का शव देखकर ग्रामीणों के होश उड़ गए।
कहीं से भी घायल नही दिख रहा युवा हाथी किस कारण इस अवस्था में पंहुच गया,इसके कारणों का पता लगाना जांच का विषय है। सूचना पर घटनास्थल पर पंहुचे रेंजर धीरज रावतका कहना है कि यह हाथी 12 से 13 वर्ष के मध्य प्रतीत होता है। नर टस्कर हाथी के पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही खुलासा हो पायेगा कि इसकी मृत्यु का क्या कारण है।
ग्रामीणों का कहना है आये दिन गन्ने की फसलों को हाथियों द्वारा नुकसान पंहुचाया जाता रहा है। इसीलिये खेतों की रखवाली के लिये वे रात भर जागकर उपाय भी करते है।
परंतु आप को बता दें हाथियों का एक अपना कॉरिडोर होता है जिसका उपयोग वह सदैव करता रहता है चाहे उस स्थान पर खेत बन जाये या कोई कंक्रीट निर्माण हो जाये अथवा सड़क बन जाये। हाथी बहुत ही शांतिप्रिय, शाकाहारी और विशाल जानवर होता है। जो अपना मार्ग कभी नही बहुलता है। कमोबेश जिन स्थानों पर हाथियों के आने की शिकायत अत्ति है उनमें से अधिकतर स्थान इन जीवों का स्वयं का है जिस पर मनुष्यों द्वारा कब्जा किया गया है। मानव और जीव के संघर्ष की कहानी हाथी ही नही अन्य जानवरों पर भी लागू होती है। अकेले उत्तराखण्ड में ही मानवीय लापरवाही से प्रतिवर्ष 2-3 हाथियों की मृत्यु हो जाती है।
जीव संरक्षण के दावे धरे रह जाते है। ट्रैन इसका मुख्य कारण है इसके अतिरिक्त जंगलों में भोजन पानी की कमी इन्हें आबादी बाहुल्य अथवा खेतो की और आकर्षित करती है। जिसमे सिर्फ और सिर्फ इन्हें ही जान गंवानी पड़ती है। दूधली डोईवाला में भी आये दिन ग्रामीणों की शिकायत है कि हाथी फसलों को नुकसान पंहुच रहे है। वह विभाग द्वारा बरसों से क्षतिग्रस्त दीवार को सही नहींकिये जाने के कारण किसानों को नुकसान हो रहा है।सोलर फेंसिंग की मांग भी की जाती रही है।
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