मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने शुक्रवार को सचिवालय में अवैध खनन की रोकथाम के सम्बन्ध में जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की। मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों से अवैध खनन को रोक जाने के लिए उनके स्तर से किए जा रहे प्रयासों की जानकारी भी ली।
मुख्य सचिव ने कहा कि अवैध खनन को पूर्णतः रोके जाने हेतु हर संभव प्रयास किए जाएं। इसके लिए साप्ताहिक अथवा मासिक रूप से वीडियोग्राफी करवाई जाए। उन्होंने कहा कि पूर्व के प्रकरणों में लगाए गए जुर्माने वसूलने के लिए अभियान चलाया जाए, साथ ही इसकी मासिक रिपोर्ट मुख्य सचिव कार्यालय को भी प्रेषित की जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि अवैध खनन के लिए गठित जनपद स्तरीय एवं तहसील स्तरीय टास्क फोर्स द्वारा लगातार अवैध खनन पर कार्रवाई की जाए। साथ ही की गई कार्रवाई को डाटा लेक पोर्टल पर अपलोड किया जाए। उन्होंने खनन विभाग को डाटा लेक पर इसके लिए फॉर्मेट शीघ्र उपलब्ध कराए जाने के भी निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने खनन विभाग को अवैध खनन रोकने हेतु सभी आवश्यक प्रशिक्षण शीघ्र उपलब्ध कराए जाने के भी निर्देश दिए। कहा कि पुलों के आसपास खनन को रोकने हेतु आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। उन्होंने राजस्व भूमि पर नए लॉट्स चिन्हित किए जाने के भी निर्देश दिए, कहा कि इससे वैध तरीके से खनन किए जाने पर अवैध तरीके से खनन की कम संभावनाएं होती हैं।
इस अवसर पर सचिव डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय एवं अन्य उच्चाधिकारियों सहित जनपदों से जिलाधिकारी उपस्थित थे।
मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने शुक्रवार को सचिवालय में वन पंचायतों के अन्तर्गत जड़ी-बूटी उत्पादन, प्रसंस्करण एवं ईको टूरिज्म पार्क विकसित किए जाने के सम्बन्ध में अधिकारियों के साथ बैठक की। मुख्य सचिव ने जड़ी-बूटी उत्पादन और प्रसंस्करण को बढ़ावा दिये जाने हेतु हितधारकों के सुझावों को शामिल किए जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि ड्राफ्ट पॉलिसी तैयार कर पब्लिक डोमेन में डाल कर आम जन की राय ली जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि यह कार्य वन विभाग के अन्तर्गत होना है इसलिए इसके लिये समर्पित अधिकारी नियुक्त किया जाए। उन्होंने कहा कि वन क्षेत्र में वन पंचायतों के माध्यम से और स्थानीय समुदायों के सामूहिक प्रयासों से हर्बल और जड़ी-बूटी को बढ़ावा दिये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ईको टूरिज्म पार्क तैयार करते समय पर्यटकों के फुटफॉल का भी ध्यान रखा जाए ताकि पर्यटक आएँ तो स्थानीय लोगों को रोज़गार मिल सके।
मुख्य सचिव ने कहा कि जड़ी-बूटी का उत्पादन क्लस्टर आधारित हो, साथ ही वैल्यू एडिशन यूनिट आदि के लिए भी वैल्यू चैन क्लस्टर तैयार किए जाएँ। उन्होंने कहा कि इसमें नई एमएसएमई पॉलिसी के तहत् 4 करोड़ तक के अनुदान आदि का प्रावधान रखा जाए। उन्होंने कहा कि वाइब्रेंट विलेज योजना में सम्मिलित क्षेत्रों के अन्तर्गत पात्रता पूर्ण कर रही वन पंचायतों को भी शामिल किया जा सकता है।
इस अवसर पर प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) श्री अनूप मलिक, निदेशक सेंटर फॉर एरोमैटिक प्लांट डॉ. निर्पेन्द्र चौहान, अपर सचिव श्री विनीत कुमार, डॉ. पूजा गर्ब्याल सहित अन्य अधिकारी रहे।
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