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   देश के सम्मान पर कैम्ब्रिज में चोट



दुनिया में भारत का डंका बजना शुरू हो गया है। जी 20 से लेकर क्वाड तक की बैठकों का दौर चल रहा है। समूचा विश्व आज भारत की मेजबानी में हो रहे आयोजनों पर नजरें गडाये है। रूस-यूक्रेन युध्द के आक्रामक माहौल ने जब संसार को दो भागों में विभाजित कर दिया है तब भारत के तटस्थ और सकारात्मक दृष्टिकोण ने अपनी अलग पहचान स्थापित की है। अमेरिका और रूस आपसी विरोधाभाषी नीतियों के बाद भी भारत के हितों पर सहयोगात्मक रुख अपना रहे हैं। ऐसे में जी 20 तथा क्वाड के वर्तमान आयोजनों हेतु संतुलित वातावरण का निर्माण करके वैश्विक संगठनों को उनके स्वरूप के अनुसार तीव्रता प्रदान करना असम्भव नहीं तो कठिन अवश्य है। दो धारी तलवार के मध्य महात्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करने में अभी तक देश, देश का नेतृत्व और आम आवाम सफल ही रहा है। ऐसे में कांग्रेस के सर्वमान्य नेता राहुल गांधी का विदेशी धरती पर देश की आलोचना करना आश्चर्यजनक होने के साथ-साथ हास्यास्पद भी बन गया है। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में उनके उद्बोधन ने उनकी सोच को उजागर कर दिया है। वे कभी चीन को शान्ति का पक्षकार निरूपित करते हैं तो कभी भारत में लोकतंत्र को खतरा बताते हैं। कश्मीर को इंसर्जेसी प्रोन स्टेट के रूप में परिभाषित करते हुए उसे कथित हिंसक जगह बताते हैं। गोरों की धरती पर भारत की मनगढन्त आलोचना करके आखिर वे हासिल क्या करना चाहते हैं, यह दुनिया की समझ से परे है। वैश्विक संगठनों के सदस्य देशों आज भारत की धरती पर प्यार लुटाते नहीं थक रहे हैं। इन संगठनों की गरिमा जानने हेतु उनके इतिहास पर संक्षिप्त दृष्टि डालना आवश्यक है ताकि वास्तविकता पर प्रकाश और विवेचना को दिशा मिल सके। क्वाड की स्थापना सन 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिजो आबे ने अमेरिका के उप राष्ट्रपति डिक चेनी, आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री जान हावर्ड तथा भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ मिलकर की थी। क्वाड का पूरा नाम क्वाड्रीलेटरल सिक्यूरिटी डायलाग यानी कि चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता है। इस संगठन का उद्देश्य इंडो पैसिफिक रीजन में समुद्री रास्तों से आपसी व्यापार को सरल बनाना था जिसका मुख्यालय बेल्जियम के ब्रूसेल्स शहर में स्थापित किया गया। यह संगठन उभरती प्रौद्योगिकियों, कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे, साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा, मानवीय सहायता, आपाद राहत, जलवायु परिवर्तन, महामारी और शिक्षा जैसे समकालीन वैश्विक मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान करता है। मार्च 2021 में अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने आभासी प्रारुप में क्वाड देशों के पहले शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी। उसमें भारत के प्रशान्त क्षेत्र को पूरी तरह से स्वतंत्र, खुला, समावेशी और जबरदस्ती रहित बनाने पर सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया गया था। 24 सितम्बर 2021 को इसी को दोहराया गया। चीन की आक्रामता के विरुध्द इस संगठन ने सकारात्मक वातावरण निर्मित करने के प्रयास किये। वहीं सन 2017 तक जी 20 समूह में आस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका ही शामिल थे किन्तु  स्पेन स्थायी अतिथि की गरिमा से प्रत्येक बैठक में आमंत्रित किया जाता रहा है। यह आर्थिक सहयोग का एक प्रमुख मंच है जो सभी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर वैश्विक संरचना और अधिशासन निर्धारित करने तथा उसे मजबूत करने में महात्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी स्थापना 1999 में एशियाई वित्तीय संकट के बाद की गई थी। इस संगठन को सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों के स्तर पर अत्याधिक संवेदनशील और मजबूत बनाया गया। सन 2009 में इसे अन्तरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग हेतु प्रमुख मंच के रूप में नामित किया गया। व्यापार, जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण और भ्रष्टाचार विरोध जैसे मुद्दों को भी संगठन ने विचार विमर्श में शामिल किया ताकि वैश्विक स्तर पर विकास के नये कीर्तिमान गढे जा सकें। इस संगठन के सदस्य देशों में वैश्विक सकल घरेलू उत्पादन का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत तथा विश्व की आबादी का दो तिहाई भाग आता है। वर्तमान में जी 20 सम्मेलन हेतु सदस्य देशों के अलावा बांग्लादेश, ईजिप्ट, मारिशस, नादिर लैण्ड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात सहित स्पेन को भी विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। नियमित अंतरराष्ट्रीय संगठनों में यूएन, आईएमएफ, ईब्ल्यूबी, डब्ल्यूएचओ, डब्ल्यूटीओ, आईएलओ, एफएसबी, ओईसीडी तथा क्षेत्रीय संगठनों में एयू, एयूडीए-एनईपीएडी, आसियान सहित आईएसए, सीडीआरआई, एडीबी को भी भारत ने जी 20 सम्मेलन में आमंत्रित किया है। इस तरह के वैश्विक संगठनों के सदस्य देशों की एक साथ मेजबानी कर रही वसुन्धरा आज पुन: विश्वगुरु के सिंहासन की ओर निरंतर बढ रही है परन्तु देश के सम्मान पर कैम्ब्रिज में चोट करके कांग्रेस के सर्वमान्य नेता राहुल गांधी ने अपनी वास्तविक सोच उजागर कर दी है जिसे सुखद कदापि नहीं कहा जा सकता। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नई आहट के साथ पुन: मुलाकात होगी।

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