भू कानून समिति की शिफारिशों पर राजनीति नही सुझाव दे विपक्ष:भट्
भाजपा ने भू क़ानून अध्यन व परीक्षण के लिए गठित समिति की संस्तुतियों को लेकर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के बयान को गैर जिम्मेदाराना और रजनीति से प्रेरित बताया।
प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि आर्य का लंबा संसदीय अनुभव रहा है और जन सरोकारो से जुड़े रहे है, लेकिन वह इन सुझावो मे योगदान के बजाय इसे राजनीति से जोड़ रहे है। उन्होंने कहा कि राज्य मे भू कानून की मांग लम्बे समय से उठती रही है और भाजपा ने भी इसे अपने संकल्प पत्र में स्थान दिया था। उन्होंने कहा कि राज्य मे निवेशकों और विकास कार्यो के लिए द्वार खुले है, लेकिन जमीन का दुरूपयोग नही हो सकेगा। इसके लिए प्रावधान किये गए है। अनियंत्रित जमीनों की खरीद फरोख्त पर इससे अंकुश लगेगा तो प्रायोजन पर रोजगार की सुनिश्चितता भी होगी। वही अवैध कब्जे भी नही हो पाएंगे। उन्होंने कहा की समिति की शिफारिशों से पहले सभी वर्गों से राय मशविरा किया गया है।
जबकि यूकेडी ने हमलावर होते हुए कहा है कि
लचर है भू कानून समिति की रिपोर्ट -
उत्तराखंड क्रांति दल ने भू कानून समिति की रिपोर्ट को एकदम लचर करार दिया है।
उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय मीडिया प्रभारी शिवप्रसाद सेमवाल ने आज यहां जारी बयान में कहा कि भू कानून समिति द्वारा मुख्यमंत्री को सौंपी गई रिपोर्ट में जमीनों को खुर्दबुर्द होने से बचाने के लिए कुछ नहीं कहा गया है।
यह उत्तराखंड की भूमि को नए तरीके से खरीदे-बेचे जाने के सुझावों वाला पुलिंदा मात्र है। इससे जमीनों की अवैध खरीद बिक्री और तेज होगी।
यूकेडी नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि भाजपा के तमाम नेताओं को मुफ्त में सैकड़ों बीघा जमीन लीज पर दे दी गई है, उन जमीनों के बारे में कुछ नहीं कहा गया है।
चाय बागान की हजारों बीघा जमीन खुर्दबुर्द की जा रही है। इसमे सरकार तथा अधिकारी शामिल हैं लेकिन इन जमीनों के बारे में भी भू कानून समिति की रिपोर्ट में चुप्पी साध ली गई है।
यूकेडी नेता सेमवाल ने उदाहरण देते हुए कहा कि रिंग रोड स्थित चाय बागान की जमीन पर भारतीय जनता पार्टी का दफ्तर बनाया जा रहा है, जबकि यह जमीन सरकार की है लेकिन इस तरह की जमीनों के बारे में भू कानून समिति मौन है। इस तरह की जमीनों के बारे में हाई कोर्ट ने भी कड़ा रुख अपनाया है लेकिन भू कानून समिति की रिपोर्ट में इस पर चुप्पी साधा जाना आश्चर्यजनक है।
यूकेडी नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि होटल, खेती किसानी और औद्योगीकरण के नाम पर जमीनों को खुर्दबुर्द करने का यह नई तरीके का दस्तावेज है।
सेमवाल ने कहा कि भू कानून समिति से काफी उम्मीदें थी, लेकिन 80 पेज की इस रिपोर्ट में जो संस्तुतियां की गई है , वह उत्तराखंड के आम जनमानस को निराश करने वाला है।
उद्योगधंधों और विभिन्न परियोजनाओं के नाम पर जो जमीनें दी गई है, उन पर आज भूमि के मालिक उद्देश्य से हटकर निर्माण कर रहे हैं लेकिन इस तरह के कार्यों को रोकने पर भू कानून समिति की रिपोर्ट मौन है।
उत्तराखंड क्रांति दल के नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने चेताया कि यदि उत्तराखंड में प्रभावशाली भू कानून लागू नहीं किया गया तो फिर उत्तराखंड क्रांति दल उत्तराखंड भर में भू कानून समिति की रिपोर्ट की प्रतियां जलाएगा और मजबूत भू कानून लागू करने के लिए व्यापक स्तर पर आंदोलन चलाएगा।
एक टिप्पणी भेजें