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Swami swarupanand ji maharaj


पूज्यपाद ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज 99 वर्ष की आयु में  ब्रह्मलीन हुए।

हृदयगति के रुक जाने से  वे अश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, 11 सितम्बर 2022 को अपराह्न 3.21 पर  ब्रह्मलीन हुए।

सनातन धर्म, देश और समाज के लिए जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज का  अतुल्य योगदान

स्वतन्त्रता सेनानी, रामसेतु रक्षक, गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करवाने वाले तथा रामजन्मभूमि के लिए लम्बा संघर्ष करने वाले, गौरक्षा आन्दोलन के प्रथम सत्याग्रही, रामराज्य परिषद् के प्रथम अध्यक्ष, पाखण्डवाद के प्रबल विरोधी रहे थे।

उक्त सूचना पूज्यपाद ब्रह्मीभूत शंकराचार्य जी के तीनों प्रमुख शिष्यों स्वामी सदानन्द सरस्वती, स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती एवं ब्रह्मचारी सुबुद्धानन्द जी द्वारा दी गयी है।


मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सनातन धर्म के ध्वजवाहक पूज्य शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के देहावसान पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने ईश्वर से पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान देने की प्रार्थना की है। उन्होंने कहा कि स्वामी जी का निधन संत समाज के साथ ही पूरे राष्ट्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

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