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भविष्य की आहट / डा. रवीन्द्र अरजरिया


वर्तमान समय में देश के हालत बेहद नाजुक होते जा रहे हैं। षडयंत्र से सत्ता हथियाने का ख्वाब देखने वाले अब धर्म की मनगढन्त परिभाषायें गढने में लगे हैं। मरने के बाद सुख के हिडोले पर झूलने का लालच देकर जेहादियों की फौज तैयारी में जुटे चंद लोग देश-दुनिया में हरे झंडे को निर्दोषों के खून से सुर्ख करके फहराना चाहते हैं। वर्चस्व की इस जंग में देश के अंदर भी खासी उथल-पुथल मची हुई है। संख्या बल के साथ-साथ क्रूरता के जन्मजात संस्कार वाले लोग अहिंसा पर बादशाहत करना चाहते हैं। दुनिया के बहुसंख्यक मुस्लिम देश अब एक जुट होकर धरती पर राज करने का सपनों तले मानवता की हत्या में जुटे हैं। काफिर, ईश निंदा जैसे शब्दों को प्रचारित करके जेहाद के नाम पर हिंसा फैलाने वाले षडयंत्रकारियों का अहम और व्यक्तिगत स्वार्थ चरम सीमा पर पहुंचता जा रहा है। तिस पर न्याय की पैंचीदगी भरी व्यवस्था, स्वार्थी नेताओं की जमात और तुष्टीकरण की नीतियां आज राष्ट्र को प्रगति के पथ से ही नहीं भटका रहीं है बल्कि आंतरिक कलह की नई चुनौतियां भी दे रहीं हैं। रविवार को सुबह जिस तरह से देश की राजधानी में नवीन जिंदल के बंगले के बाहर खडी पुलिस वैन पर हमले की खबर आई, उससे जेहादियों के हौसलों का पता चलता है। नवीन जिंदल ने स्वयं ट्वीट करके इसकी जानकारी देते हुए लक्ष्मी नगर थाने के उपेक्षात्मक रवैये को उजागर करते हुए बंगले के बाहर खडी पुलिस वैन पर जेहादियों के हमले की जानकारी दी। वैन के टूटे हुए शीशे और हमले के घातक निशान अपनी स्थिति का खुद बखान कर रहे हैं। पूर्व में भी वे कई बार सबूतों सहित अपनी जान के खतरे को लेकर गुहार लगा चुके हैं। मामला केवल नवीन जिंदल या नूपुर शर्मा तक ही सीमित नहीं है बल्कि षडयंत्रकारी अपने विदेशी आकाओं के आदेशों पर भारत, हिन्दुस्तान और इण्डिया में बटे देश को मुस्लिम राष्ट्र बनाने पर तुले हैं। झारखण्ड में तो वाकायदा 33 सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक पाठशालाओं के नाम के साथ उर्दू शब्द जोड दिया गया।  इन स्कूलों में रविवार के स्थान पर शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश रहता है। किन्ही खास कारणों से स्कूल शिक्षा विभाग से लेकर प्रदेश सरकार तक इस मामले में जानबूझकर अनजान बनी रही। जब मामला प्रकाश में आया तो विभागीय जिला शिक्षा अधिकारी और वो भी प्रभारी के रूप में तैनात संजय दास को आगे करके रटा-रटाया बयान जारी करवा दिया गया कि सभी  प्रखण्डों के बीईओ से प्रतिवेदन मांगा गया है। किस परिस्थिति में स्कूलों का नाम परिवर्तित कर उर्दू किया गया और किसके आदश से स्कूलों में साप्ताहिक अवकाश शुक्रवार को घोषित है, इसकी रिपोर्ट हर प्रखण्ड से मंगाई जा रही है। रिपोर्ट के आधार पर जांच की जायेगी। जांच के उपरान्त दोषियों पर कार्यवाही की जायेगी। इस तरह के बयानों के बाद कुछ अपवाद छोडकर कभी भी जांच की आख्या, कार्यवाही और दण्ड की खुलासा नहीं किया जाता। जामताडा सहित पाकुड, पलामू, बोकारो, गिरिडीह, रांची के अलावा अनेक स्थान चिंहित किये गये है, जहां जिहाद के नाम पर देश की संवैधानिक व्यवस्था को खुले आम तार-तार किया जा रहा है। पटना के फुलवारी के बिथो शरीफ के मूल निवासी सैफुद्दीन के वर्तमान ठिकाने फुलवारी में सन् 1996 में जन्मे मरगुवा अहमद उर्फ दानिश ने दुबई से जेहाद की खूनी इबारत लिखने की तालीम लेकर भारत में इस्लाम के नाम पर दहशत फैलाने वालों की जमात तैयार करना शुरू कर दी थी। पाकिस्तान के कराची में रहने वाले उसके परिवार के अनेक सदस्यों के अलावा बंगलादेश, यूनाइटेड अरब अमीरात, तुर्की जैसे अनेक राष्ट्रों के कट्टरपंथियों व्दारा उसे भारत को इस्लामिक राष्ट्र के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य देने की बात सामने आई है। पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मानवजीत सिंह ढिल्लो ने इस संबंध में अनेक गम्भीर संकेत दिये हैं। इसी तरह सन् 2023 के लिए जेहाद की योजना बनाने वाला इलियास ताहिर शुक्रवार को पटना पुलिस के हत्थे चढ गया। उसके गजवा-ए-हिन्द वाट्सएप ग्रुप में देश के अलावा पाकिस्तान और बंगालदेश के अनेक कट्टरपंथी जुडे हैं। इस ग्रुप में 181 सदस्य थे, जो निरंतर नई-नई तरकीबें इजाद करके जेहाद को निखारने में लगे थे। अनेक खुलासों के बाद यह तो स्पष्ट हो ही गया है कि वर्ष 2023 से डायरेक्ट जेहाद छेडने का ऐलान बहुत पहले हो गया था। नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल जैसे लोग तो केवल बहाने के रूप में स्थापित कर लिये गये। इस जेहाद में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर से सहयोग, सलाह और सहायता निरंतर मुहैया कराई जा रही है। तभी तो नूपुर शर्मा का बहाना मिलते ही अनेक मुस्लिम राष्ट्रों ने पलक झपकते ही प्रतिक्रियायें देना शुरू कर दीं थी। संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे मंचों का उपयोग किया जाने लगा था। आईएस की मैग्जीन वाइस आफ खुरासान ने तो अपने मुख्य पृष्ठ पर ही भारत दर्द और आशा के बीच जैसे शीर्षक को मोदी के लहुलुहान अस्तित्व वाली फोटो के साथ छापा है। आईएसआईएस, अलकायदा, लश्कर सहित अनेक संगठनों ने भारत को स्वाधीनता के सौ साल पूरे होने के साथ सन् २०४७ में इस्लामिक राष्ट्र में परिवर्तित करने की योजना बन रखी है, जिसका खुलासा अनेक रिपोर्ट्स में समय-समय पर होता रहा है। गजवा-ए-हिन्द का गठन भी इसी लक्ष्य को लेकर किया गया थास जिसकी शाखायें आज देश के कोने-कोने में फैलाई जा रहीं है। इस षडयंत्र का ज्यादातर काम कश्मीर के अलावा अब बंगाल और बिहार से किया जा रहा है। बिहार की एक लम्बी सीमा नेपाल के साथ लगी है जहां से देश में आसानी से प्रवेश किया जा सकता है। जबकि बंगाल की सीमा से बंगलादेश एकीकार कर रहा है और तिस पर ममता का ममत्व। इस तरह के घातक षडयंत्रों को देश के कट्टरपंथी गद्दारों के साथ मिलकर पैसे की चमक, खुदाई खिदमत और मौत के बाद के नजारों की मृगमारीचिका के साथ सफल करने के प्रयास युध्दस्तर पर हो रहे है। जनबल में इजाफा होते ही वर्चस्व की जंग शुरू हो जाती है। स्वाधीनता के बाद देश के स्वयंभू ठेकेदारों ने किन्हीं खास कारणों से संविधान में भी घातक व्यवस्था दी थी, इमरजेन्सी में खासा जुल्म ढाया गया था और एक समुदाय को धर्म के नाम पर छूट देकर दूसरे समुदाय की जबरजस्ती नसबंदी करवा दी गई थी। इस सब दूरगामी षडयंत्रों के परिणाम तो सामने आना ही थे। अब आवश्यकता है इस जेहाद के जुल्म को एकजुट होकर नस्तनाबूत करने की, तभी देश की संस्कृति, समरसता और सौहार्द की विरासत सुरक्षित रह सकेगी अन्यथा अहिंसा पर हिंसा का खूनी जुल्म रोकना असम्भव नहीं तो कठिन अवश्य होगा। इसके लिए इतिहास आज भी गवाही दे रहा है। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नई आहट के साथ फिर मुलाकात होगी।

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