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चारधाम रूट पर तैनात होगी एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंसः डॉ0 धन सिंह रावत

यात्रियों को त्वरित स्वास्थ्य सुविधा देगी फर्स्ट मेडिकल रिस्पांस टीम

महानिदेशक स्वास्थ्य करेगी यात्रा मार्गों की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की नियमित मॉनिटरिंग

 

देहरादून:



उत्तराखंड आने वाले तीर्थ यात्रियों को चारधाम मार्गों पर विशेष स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश अधिकारियों को दे दिये गये हैं। यात्रा रूटों पर खासकर उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग एवं चमोली जनपदों में तीर्थ यात्रियों की सुविधा के लिए राज्य में संचालित 108 आपातकालीन एम्बुलेंस सेवा के अलावा एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस (एएलएस) तैनात की गई हैं, जो 108 एम्बुलेंस सेवा के अंतर्गत काम करेंगी। मेडिकल ऑफिसर, फिजिशियन, आर्थोपेडिशियन, फार्मासिस्ट एवं पैरामेडिकल स्टॉफ की तैनाती चार धाम यात्रा मार्गार्ं के चिकित्सा इकाईयों में कर दी गई है। महानिदेशक स्वास्थ्य को चारधाम यात्रा से संबंधित जनपदों के मुख्य चिकित्साधिकारियों से समन्वय स्थापित कर स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्थाओं की लगातार निगरानी करने के निर्देश दिये गये हैं।


चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी एक बयान में बताया कि चारधाम यात्रा पर आने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए बेहत्तर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया की गई हैं। उन्होंने बताया कि यात्रा मार्गों पर एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस (एएलएस) सहित जगह-जगह फर्स्ट मेडिकल रिस्पांस टीम तैनात कर दी गई है। यात्रा मार्ग पर आठ ब्लड बैंक एवं चार ब्लड स्टोरेज यूनिट स्थापित किये गये हैं। डॉ0 रावत ने बताया कि जनपद चमोली में श्रीबदरीनाथ, हेमकुंड साहिब व तुंगनाथ आने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए तीन एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस तथा तेरह 108 आपताकालीन एम्बुलेंस तैनात की गई है। जबकि गौचर से लेकर श्रीबदरीनाथ धाम तक विभिन्न स्थानों पर 19 अस्थाई मेडिकल यूनिट खोली गई हैं, जिनमें चिकित्सक, फार्मासिस्ट, स्टॉफ व वार्ड व्वाय सहित चार सदस्य तैनात किये गये हैं। प्रत्येक यूनिट में ईसीजी मशीन, पोर्टेबल ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ जरूरी जीवनरक्षक दवाईयां उपलब्ध कराई गई है। जनपद चमोली में वर्तमान में कुल 75 चिकित्सक यात्रा रूट पर तैनात किये गये हैं। इसी प्रकार उत्तरकाशी जनपद में यमुनोत्री एवं गंगोत्री धाम में यात्रियों के लिए पांच एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस एवं चौदह 108 आपातकालीन एम्बुलेंस तैनात की गई हैं। डॉ0 रावत ने बताया कि डामटा से लेकर यमुनोत्री धाम तक 11 स्थाई व 1 अस्थाई चिकित्सा इकाईयां हैं, जिनमें  चिकित्सकों, फर्मासिस्टों एवं वार्ड व्वॉयों को तैनात किया गया है। सभी चिकित्सा इकाईयों में ईसीजी मशीन, कार्डिक मॉनिटर, डिफेब्रिलेटर सहित सभी दवाईयां उपलब्ध हैं। इसके अलावा जानकीचट्टी से यमुनोत्री धाम तक पैदल मार्ग पर प्रत्येक एक किलोमीटर पर पांच फर्स्ट मेडिकल रिस्पांस टीम (एफएमआर) तैनात की गई है, जिनकी संख्या में वृद्धि की जायेगी। ऐसे ही ब्रह्माखाल से लेकर गंगोत्री धाम तक दस स्थाई चिकित्सा इकाईयां उपलब्ध है। इसके अलावा यात्रा मार्ग पर तीन फर्स्ट मेडिकल रिस्पांस टीम भी तैनात है। तीर्थ यात्रियों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हर्षिल में आईसीयू की सुविधा उपलब्ध की गई है जबकि जानकीचट्टी में कार्डिक एम्बुलेंस की तैनाती कर दी गई हैं। रूद्रप्रयाग जनपद में केदारनाथ यात्रा मार्ग पर आठ स्थाई चिकित्सा इकाईयों एवं 14 अस्थाई मेडिकल रिलीफ पोस्टों पर सभी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं सहित पर्याप्त एम्बुलेंस सुविधा उपलब्ध कराई गई है। उन्होंने कहा कि यात्रा मार्गों पर तीर्थ यात्रियों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्क्तें न हो इसके लिए स्वास्थ्य महानिदेशक को स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की लगातार मॉनिटरिंग करने को कहा गया है।



गुजरात के केवडिया में केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण परिषद के 14वें सम्मेलन में स्वास्थ्य मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाओं  संबंधित मुद्दों को प्रखरता से रखा। उन्होंने राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितयों का हवाला देते हुए पर्वतीय जनपदों में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना हेतु जनसंख्या संबंधी मानकों में शिथिलता देने की पैरवी की। साथ ही 50 बेड से कम क्षमता वाले निजी अस्पतालों के संचालन हेतु क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के प्रावधानों में  छूट दिये जाने की मांग रखी। डॉ0 रावत ने राज्य के मेडिकल कॉलेजों में एक प्रोफेसर के सुपरविजन में चार एमबीबीएस डॉक्टर को पीजी कोर्स हेतु मान्यता देने एवं राज्य में संचालित एयर एम्बुलेंस सेवा को आगामी पांच वर्षों के लिए बढ़ाये जाने की भी मांग चिंतन शिविर में रखी, जिस पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री सहित चिंतन शिविर में मौजूद अन्य राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने अपनी सहमति जताई। 


यहां मीडिया को जारी एक बयान में चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने बताया कि गुजरात में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आयोजित स्वास्थ्य चिंतन शिविर में राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के मध्यनजर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना के लिए प्रचलित मानकों को शिथिल कर जनसंख्या संबंधी प्रावधानों में बदलाव किया जाय साथ ही 50 बेड से कम क्षमता वाले निजी अस्पतालों के संचालन हेतु क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के प्रावधानों में छूट देने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोलने हेतु वर्तमान मानक अव्यवहारिक साबित हो रहे हैं। यदि जनसंख्या के मानकों में छूट मिल जाती है तो न्याय पंचायत स्तर पर अधिक से अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना कर राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक विस्तार दिया जा सकेगा। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि सूबे के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में वर्तमान में पीजी स्तर पर एक प्रोफेसर के अधीन दो एमबीबीएस डॉक्टरों ही पीजी कोर्स (एमडी) कर सकते हैं, यदि नेशनल मेडिकल काउंसिल के नियमों में शिथिलता प्रदान करते हुए एक प्रोफेसर के अधीन चार एमबीबीएस डॉक्टरों को पीजी करने की अनुमति मिल जाती है तो राज्य में पांच वर्षों के भीतर विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी दूर हो जायेगी। इसी प्रकार चिंतन शिविर में राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को मध्यनजर रखते हुए एयर एम्बुलेंस सेवा को आगामी पांच वर्षों तक बढ़ाने तथा पर्वतीय क्षेत्रों के अस्पताल परिसरों में चिकित्सकों हेतु ट्रांजिस्ट हॉस्टल के निर्माण के लिए विशेष पैकेज दिये जाने का प्रस्ताव रखा। 





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