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देहरादून:




भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि छात्र संघ चुनाव में देरी के लिए सरकार नहीं,बल्कि कोरोना के कारण उत्पन्न स्तिथियां रही। कोरोना की गाइडलाइन के कारण समय से महाविद्यालय, विश्व विद्यालयों के न खुलने और छात्रों के न आने से व्यवस्थाएं सुचारु नहीं हो पायी। हालांकि चुनाव सरकार नहीं कराती,बल्कि यह लिंगदोह कमेटी की शिफरिशो के अनुरूप प्रक्रिया के तहत होता है। उन्होंने कहा कि छात्र संघ चुनाव को लेकर कांग्रेस ऐसे मुद्दे पर रजनीति कर रही है जो कि मुद्दा ही नहीं है। कांग्रेस राजस्थान,पंजाब और छत्तीसगढ़ में चुनाव नहीं करा पा रही है और उसे इन प्रदेशो का भी संज्ञान लेना चाहिए। देश के सभी कॉलेज में चुनाव को लेकर यही स्थिति है,लेकिन कांग्रेस भ्रमित है और उसे कुछ नहीं सूझ रहा है। उसे विरोध के लिए मुद्दों की तलाश है। सरकार ने चुनाव को लेकर विरोध नहीं किया है तो फिर विरोध किस तरह से किया जा रहा है यह आश्चर्य जनक है।

 

दिल्ली में प्रदूषण की चिंताजनक स्थिति को लेकर भाजपा उत्तराखंड के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ देवेंद्र भसीन ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार को घेरते हुए कहा है   दिल्ली में केजरीवाल मॉडल के फ्लॉप होने का यह नया उदाहरण है।  


भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ देवेंद्र भसीन ने आज यहां एक वक्तव्य में कहा कि प्रदूषण सभी नागरिकों और विशेष तौर पर हमारे बच्चों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डाल रहा है ।यह मामला राजनीति से ऊपर का है और इसके समाधान के लिए सभी को एकजुट होकर काम करने की भी आवश्यकता है । इस मामले की उच्चतम न्यायालय में सुनवाई भी हो रही है।


    लेकिन यह भी एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि प्रदूषण नियंत्रण का दावा करने वाली और इस दावे को लेकर करोड़ों रुपए का विज्ञापन देकर प्रचार करने वाली केजरीवाल सरकार धरातल पर प्रदूषण को रोकने में असफल सिद्ध हुई है। 

   उन्होंने कहा कि अगर देश का कोई राज्य प्रदूषण से सर्वाधिक ग्रसित है तो वो दिल्ली है । पराली को लेकर बहुत चर्चायें हुई हैं जिनमें पराली से प्रदूषण फैलने की बात उठाई जाती है। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल जी ने पराली के विषय में बहुत कुछ कहा है और दिल्ली में होने वाले प्रदूषण के लिए उन्होंने पंजाब, हरियाणा व एन सी आर के किसानों को जिम्मेदार ठहराया है

।लेकिन अगर पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से प्रदूषण हो रहा है तो सबसे ज्यादा प्रदूषण तो पंजाब और हरियाणा में होना चाहिए। लेकिन दिल्ली की हवा की क्वालिटी ज्यादा खराब है, ऐसा क्यों?

उन्होंने कहा कि पिछली बार सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई थी और कहा था कि क्या हम ऑडिट कराकर देखें कि आप कितनी आमदनी करते हैं और उसमें से कितना अपने विज्ञापन पर खर्च करते हैं? इसलिए इस विषय पर भी चर्चा जरूर होनी चाहिए कि कितनी आमदनी हुई, कितना पैसा प्रदूषण को नियंत्रित करने पर खर्च हुआ और कितना इनके विज्ञापन पर व्यय किया गया। दिल्ली में पराली से प्रदूषण रोकने का दावा करने वाली केजरीवाल सरकार ने मात्र 40 हजार रु का रसायन लेकर जो काम कराया उसके विज्ञापन पर 15 करोड़ रुपये खर्च कर दिए।

  उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में दिल्ली का केजरीवाल मॉडल लागू करने की बात कहने वाले आप के नेता बताएं कि क्या यही केजरीवाल मॉडल है? इससे पूर्व कोरोना काल में दिल्ली की दुर्दशा से वहाँ की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुली, आर टी आई से मिले केजरीवाल सरकार द्वारा दिल्ली में  युवकों को दिए गए नाम मात्र के  रोजगार के आंकड़ों से दिल्ली सरकार के रोजगार मॉडल की पोल खुली, वर्षा से जलभराव से दिल्ली की बुरी हालत होने से उनके प्रबंध की पोल खुली और अब प्रदूषण की हालत से उनकी सारी पोल पट्टी खुल कर सामने आ गई।

  उन्होंने कहा कि आप और उसकी दिल्ली सरकार के कारनामें सामने आए हैं उनके चलते उत्तराखंड में उनकी झूठ की राजनीति चलने वाली नहीं है।

 



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