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मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार श्री कमलकांत बुधकर के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति एवं शोक संतिप्त परिजनों को धैर्य प्रदान करने की कामना की है। मुख्यमंत्री  ने  श्री कमलकांत बुधकर के निधन को पत्रकारिता एवं साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया है।

KAMALKANT BUDHKAR JOURNAIST PASSES AWAY

 

वरिष्ठ पत्रकार, कवि और पत्रकारिता के प्रोफेसर  डॉ. कमलकांत बुधकर ने रविवार को अपने हरिद्वार स्थित आवास पर अंतिम सांस ली .उनका 72 वर्ष की आयु में बिमारी के पश्चात निधन हो गया .डॉ. कमलकांत बुधकर का जन्म 19 जनवरी 1950 को हरिद्वार में हुआ था.

 नवभारत टाइम्स, हिंदुस्तान, जनसत्ता जैसे अनेकों राष्ट्रीय अखबारों में उन्होंने आलेख लिखे.  आकाशवाणी और दूरदर्शन में भी कार्य किया ।वह हरिद्वार प्रेस क्लब के संस्थापक सदस्य भी रहे.
डॉ. बुधकर ने साल 1992 में गुरुकुल कांगड़ी यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता विभाग की शुरुआत की. डॉ कमलकांत बुधकर ही विभाग के पहले बैच के प्रोफेसर थे. 


इसी से जुड़ा संस्मरण मुझे याद आता है जबकि गुरुकुल विश्वविद्यालय में पत्रकारिता का कोर्स प्रारंभ हुआ था. मैं हरिद्वार निवासी हूं मुझे भी लेखन और पत्रकारिता में रूचि थी. जब मुझे पता चला कि मेरे साथ के कुछ छात्र गुरुकुल यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता विभाग में पढ़ाई करने के लिए चले गए हैं , तो मुझे भी लगा कि मुझे भी पत्रकारिता के लिए हरिद्वार में ही प्रवेश मिल जाए।

इसके लिए मैं गुरुकुल विश्वविद्यालय गई और  मैंने पता किया तो मुझे पता चला कि कमलकांत बुधकर जी पत्रकारिता विभाग के प्रोफ़ेसर हैं । उनके आवास पता लेकर, मैं उनके आवास श्रवण नाथ नगर पहुंच गयी।

 आज भी मुझे याद है कि उन्होंने बिना अधिक मेरे बारे में जाने मुझे बड़े सम्मान पूर्वक अपने घर में बिठाया यहां तक कि चाय भी पिलाई और मुझसे बातें की। उनके समक्ष मैंने अपनी इच्छा जताई , किसी भी प्रकार से  मुझे भी गुरुकुल विश्वविद्यालय में पत्रकारिता में प्रवेश मिल जाये।

 और जिस प्रकार छात्रों के लिए पत्रकारिता विभाग है उसी प्रकार से छात्राओं के लिए भी पत्रकारिता विभाग होना चाहिए।

 हालांकि इस पर कोई हामी नही भरी। परंतु इस पर काफी बातें हुई क्योंकि गुरुकुल विश्वविद्यालय गुरुकुल परंपरा के अनुसार मात्र छात्रों का विश्वविद्यालय है अतः  वहां पर छात्र ही पढ़ सकते हैं और महिलाओं को प्रवेश देना नियमों के विरुद्ध होगा। 

उनकी बातों से सहमत होकर अंततः मैंने बाद में गढ़वाल विश्वविद्यालय के माध्यम से देहरादून में पत्रकारिता की शिक्षा प्राप्त की परंतु आज भी मेरे जेहन में कमलकांत बुधकर जी के एक विद्यार्थी को  समझाने  की याद बाकी  है और रहेगी। उनको मेरी करबद्ध श्रद्धांजलि। (अंजना गुप्ता)


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