देहरादून :
देहरादून में जोगी वाला से पैसिफिक गोल्फ एस्टेट तक 2200 पेड़ों को काटने के लिए चिन्हित कर लिया गया है।इन्हे बचाने के लिए इन्हे बचाने के लिए अनेक संस्थाओं के प्रयास जारी है , सहसधारा की आबोहवा को स्थानीय व्यक्ति ही महसूस नहीं करते हैं बल्कि पर्यटक भी ठंडी हवाओं की खुशबू के बीच चैन की सांस लेते है तो क्या वह सब गायब हो जाएगा?
पहले ही देहरादून सहित उत्तराखंड में भूस्खलन और बाढ़ के खतरे बढ़ते जा रहे हैं इनमें से कई स्थानों पर तो इनका मुख्य कारण पेड़ों का कटान है। इन सब सवालों को लेकर आज देहरादून की पर्यावरण और हरियाली को बचाने के लिए अनेक संस्थाओं ने आज जिला प्रशासन से अपील की है कि इन पेड़ों को ना काटा जाए। क्योंकि यह पेड़ अपने खुशबू निरंतर फैलाते हुए प्रदूषण भरे वातावरण में भी लोगों को आक्सीजन प्रदान करते हैं।
अनेक पर्यावरण संस्थान सिटीजन फॉर ग्रीन दून, निरोगी भार मिशन , डू नॉट ट्रेश, इको ग्रुप, द फ्रेंड्स ऑफ दून सोसाइटी, राजपुर कम्युनिटी सोसाइटी इत्यादि ने आज चिपको आंदोलन की भांति पेड़ो के साथ खड़े रहकर संदेश दिया है कि पेड़ों को न काटा जाए।
छोटे छोटे बच्चों ने भी पेड़ों से सूत्र बांधकर एक मार्मिक प्रस्तुतिकरण दिया है कि उनकी भावनाएं किस प्रकार इन पेड़ों के साथ हैं।
ख़लंगा स्मारक देहरादून पर लोगों ने एकत्रित होकर पर्यावरण संरक्षण हेतु पेड़ों को न कटने देने का संकल्प लिया है.
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