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सभी मनबांछित फल की प्राप्ति-  (श्रावणी अमावस्या दिनांक 8 अगस्त 2021,दिन रविवार)

श्रावणी अमावस्या की पूजा विधि क्या है ? इस दिन  शिव-पार्वती की पूजा से क्या लाभ होता है? श्रावणी अमावस्या का महत्व क्या है?इस दिन पितृ पूजन का क्या लाभ है? तथा श्रावणी अमावस्या को हरियाली अमावस्या क्यों कहते हैं ?

 

सबसे पहले जानते हैं,कि श्रावणी अमावस्या के दिन मुख्य रूप से किन लोगों को और क्यों भगवान शिव-पार्वती की पूजा आवश्यक रूप से करनी चाहिए। 

 जाने क्रमवार --- 

    1. जिन कन्याओं के विवाह में बाधा आती है। 

    2.जिनका भाग्य कठोर परिश्रम के बाद भी साथ नही देता है।

    3.पति की लम्बी आयु की कामना के लिए।   

    4.जिनकी साढ़ेसाती,शनि,राहु,केतु की महादशा व कुंडली अनुसार अशुभ चंद्र की महादशा चल रही हो। 

    5.जो व्यक्ति स्वयं किसी रोग से पीड़ित हो।

 6.जो व्यक्ति किसी भी प्रकार की मानसिक परेशानी से गुजर रहा हो।       

  7.जिनका दाम्पत्य जीवन ठीक नही चल रहा हो। आदि प्रकार की समस्याओं से पीड़ित व्यक्ति/महिला  को श्रावणी अमावस्या के दिन श्रद्धा पूर्वक भगवान शिव-पार्वती का पूजन करना चाहिए।

निःसंदेह भगवान शिव की कृपा प्राप्त होगी। कुंवारी  कन्याओं के विवाह में बाधा आती हो तो करें ये उपाय- बहुत बार ऐसा देखा जाता है,कि कुछ कन्याओं के विवाह होने  में  बार-बार रुकावटें आती है। जबकि सारी परिस्थिति उनके अनकूल होती है। जैसे- उनकी उचित शिक्षा-दिक्षा, रूप सौन्दर्य,पारीवारिक पृष्ठभूमि आदि-आदि। वहीं दूसरी तरफ  माता-पिता भी पूर्ण रूपेण प्रयत्नशील  रहते हैं, फिर भी  विवाह होने में विलम्भ की स्थिती बनी रहती है, जिसका मुख्यकारण ग्रहबाधा,पितृ दोष आदि दोष  होते हैं। अतः ऐसी सभी कन्याओं को जो विवाह  बाधा के कारण चिंतित हैं, उन्हें श्रावणी अमावस्या के दिन माता पार्वती और भगवान शंकर की यथा श्रद्धा, यथा शक्ति पूजा,अर्चना करनी चाहिए और उन्हें फल,मिष्ठान अर्पित कर लाल वस्त्र भी अर्पण करना चाहिए निःसंदेह भगवान शिव और पार्वती की कृपा प्राप्त होगी।                                                                                    

  भाग्य बाधा के कारण जीवन में निराश हों तो श्रावणी के दिन ऐसे करें शिव पूजा मिलेगी खुशहाली-प्रायः देखने में आता है कि समाज में बहुत सारे ऐसे लोग होते हैं, जो शिक्षित,मेहनती,सकारात्मक सोच और बुद्धिमान तो होते हैं!किन्तु उन्हें उनकी योग्यता के अनुसार सफलता नही मिलती है।इसे ही भाग्य वाधा कहते हैं। अतएव जिन लोगों को भी यह लगता है, कि समुचित पुरुषार्थ के बाद भी उनको अपेक्षित तरक्की नही मिल रही है, तो उन्हें श्रावणी अमावस्या के दिन  भगवान शंकर और पार्वती जी का पूजन,अर्चन,अभिषेक करना चाहिए और तदुपरान्त सुहागन स्त्रीयों को हरी चूड़ी, सिन्दूर, बिन्दी, मिठाई आदि भेंट करनी चाहिए।। इसके अतिरिक्त प्रार्थना का क्रम नियमित भी सुनिश्चित किया जा सकता है। 

  नोट-यह विधि मध्यान्ह/दोपहर से पहले करनी चाहिए।   

   पति की लम्बी आयु के लिए सुहागिन महिलाएं ऐसे करें शिव-पार्वती पूजन-शास्त्रों की मान्यता के अनुसार श्रावणी के दिन महिलाओं को प्रातः स्नान आदि क्रिया से निवृत होकर विधि पूर्वक भगवान शंकर और पार्वती जी की पूजा करनी चाहिए और पूजनोपरान्त सुहाग सामग्री जैसे-हरी चूड़ियां, सिंदूर,बिंदी आदि सुहागन स्त्रियों में बांट दें,ऐसा करने से पति की आयु लंभी होती है,साथ ही पति-पत्नि के मधुर सम्बन्धों में बृद्धि होती है। अथवा जिनके वैवाहिक जीवन में असुंतलन है,मतभेद है। भगवान शिव-पार्वती की कृपा से उनके  आपसी सम्बन्ध अच्छे होने लगते  हैं।         

   श्रावणी अमावस्या का महत्व-सामान्यतः अमावस्या का सर्वाधिक महत्व पितृ पूजन को लेकर होता है(चाहे अमावस्या किसी भी महीने की क्यों ना हो) इस दिन हिन्दू धर्म के अधिकांश लोग अपने दिवंगत माता,पिता सहित तीन पीढ़ी (पिता,दादा,परदादा) के पितरों की सद्गति की कामना हेतु तर्पण, पूजन,तीर्थ स्नान व दान -पुण्य करते हैं। शास्रों के  अनुसार अमावस्या के दिन पित्रों के निमित्त किये सभी कर्म प्रत्यक्ष रूप से पितरों  तक पहुंचते हैं।  लेकिन इस अमावस्या का सम्बन्ध श्रावण के साथ जोड़कर देखें,तो ये अति महत्वपूर्ण हो जाती है,क्योंकि कि श्रावण का महीना भगवान शिव को अति प्रिय है(भगवान शिव को श्रावण का महीना प्रिय क्यों हैं, इस सम्बंध में हमने पूर्व के लेख में चर्चा की हुई है) अर्थात यदि हम इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना के साथ,पितरों की भी अर्चना करते हैं तो, निःसंदेह हम भगवान शिव और पितरों की कृपा के पात्र बन जाते हैं।

   इस दिन शिव पार्वती पूजा ऐसी करें-किसी शिव मन्दिर में जाकर या घर में भी यदि भगवान शिव का प्रतीक (शिवलिंग)और माता पार्वती की फ़ोटो/मूर्ति उपलब्ध हो,तो घर में ही अन्यथा किसी भी शिव मन्दिर में जाकर भगवान शिव-पार्वती का  ध्यान,आह्वान कर यथा शक्ति पंचोपचार,षोडशोपचार पूजन कर अभिषेक करें तदनन्तर पुनः भगवान शिव-पार्वती को तिलक,फूल,फल,मिष्ठान, द्रव्य आदि अर्पित करें। और अंत में हाथ में फूल लेकर भगवान की प्रार्थना करते हुए वह भाव  भी व्यक्त करें जो आप भगवान से चाहते।अर्थात जिस कामना से आपने भगवान शिव-पार्वती की पूजा की है।  

  इस दिन पितृ पूजन ऐसे करें-

इस दिन आप घर में अथवा किसी तीर्थ स्थान में जाकर अपने पितृ जनों की तृप्ति अथवा मुक्ति की कामना हेतु पितृ पूजन, तर्पण,पितृ गायत्री का जप, पिंडदान,अन्नदान, वस्त्र दान,तीर्थस्नान आदि कर सकते है।उपरोक्त विधि श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार ही करनी चाहिए।

 

नोट- कुछ लोग पितृ ऋण से भी पीड़ित रहते हैं,और यदि उनको यह सुनिश्चित हो जाता है, कि उनके ऊपर पितृ ऋण है,तो उन्हें पितृ ऋण से मुक्त होने के लिए उपरोक्त विधि इस दिन अवश्य करनी चाहिए।

  श्रावणी अमावस्या को हरियाली अमावस्या क्यों कहते हैं-एक तो श्रावण मास में उपयुक्त वर्षा के कारण धरती का कोना-कोना हरे भरे पेड़-पौधौं,वनस्पती आदि के कारण अति मनमोहक रहता है,दूसरा इस  दिन को प्रकृति पूजन के रूप में देखा जाता है, इस दिन पेड़-पौधौं की विशेष रूप में पूजा की परम्परा है। और भी बहुत कारण हैं जो स्थान विशेष में अलग-अलग रूप में मनाया या माना जाता है।किन्तु मुख्य रूप से यह दिन प्रकृति को समर्पित दिन होना चाहिए। जो हम सबकी मूल आधार है।


                                                                    आचार्य पंकज पैन्युली



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