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बरेली/ मेरठ/ देहरादून:


प्रज्ञा प्रवाह पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड क्षेत्र द्वारा “पश्चिम बंगाल हिंसा: भारतीय लोकतंत्र पर संकट”विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय व्याख्यान



देश के प्रमुख राष्ट्रीय वैचारिक थिंक टैंक अम्ब्रेला संगठन ‘प्रज्ञा प्रवाह’ के पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के तीनों प्रान्तीय मंचों, प्रज्ञा परिषद, ब्रज; भारतीय प्रज्ञान परिषद, मेरठ तथा देवभूमि विचार मंच, उत्तराखण्ड के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित “पश्चिम बंगाल हिंसा: भारतीय लोकतंत्र पर संकट” विषयक ऑनलाइन राष्ट्रीय व्याख्यान सम्पन्न हुआ। 

व्यक्तियों ने पाकिस्तान विभाजन के साथ  बंग भंग का भी मुद्दा उठाया और बंगाल विभाजन करवाने के लिए पूरे प्रयास किए थे। उस समय बंगाल पाकिस्तान में जाने वाला था। जिन्ना चाहते थे, कि आसाम, बंगाल भी पाकिस्तान में ही आ जाए। वह पाकिस्तान का बड़ा हिस्सा चाहता था। भारत के इतिहास में यह बहुत ही    वीभत्स और काले अक्षरों में लिखा गया। उसमें लगभग 50000 से भी ज्यादा हिंदूओं​ की हत्या कर दी गई थी। जिन्ना की नियत रही थी, कि पाकिस्तान देश बहुत ही बड़ा हिस्सा बने। परंतु उधर श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी बंग-भंग आंदोलन के विरोध में  लग गए! श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भंग बचाओ आंदोलन की शुरुआत की! आज के समय में बचा हुआ बंगाल श्यामा प्रसाद मुखर्जी की ही देन है।



उन्होंने आगे कहा,कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने ही भारतीय जनसंघ के रूप में एक विचारधारा शुरू की, जो वर्तमान समय में भी देश की एक अविरल धारा के रूप में प्रभावित हो रही है उस समय बंगाल और आसाम दोनों जगह में ही आंदोलन चल रहे थे। जिसके कारण श्यामा प्रसाद मुखर्जी को कई बार जेल भरो आंदोलन के कारण जेल भी जाना पड़ा था। जब ममता बनर्जी भारतीय जनता पार्टी के सहयोग से मुख्यमंत्री बनी, तब ममता ने कहा था कि घुसपैठियों को बुलाया जा रहा है, परंतु आज की स्थिति ऐसी हो रही है, कि वामपंथियों की सरकार की तरह ही ममता सरकार घुसपैठियों को बुला रहे हैं। आज बंगाल हमारी एक चुनौती का विषय बन गया है क्योंकि देश के लिए यह बहुत ही चिंता का विषय है, कि बंगाल के अंदर घुसपैठियों और मुस्लिमों की तादाद दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है! क्योंकि इन घुसपैठियों के साथ अत्यधिक हथियार, नकली नोट और साथ मे देश विरोधी विचारधारा भी हमारे यहां पर आती है! ऐसे घुसपैठी बंगाल की जनता पर निरंतर अत्याचार कर रहे हैं, उनके द्वारा महिलाओं बहनों का शील भंग करने का प्रयास भी किया गया है, घटनाओं को अंजाम भी दिया गया। कई जगह आगजनी कर दी गई, और अनेकों कार्यकर्ताओं की हत्या भी की गई।


मुख्यवक्ता कैलाश विजयवर्गीय ने आगे कहा, कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने ही असम और पश्चिम बंगाल में लगातार बढ़ रहे घुसपैठियों पर चिंता प्रकट की है। सन् 2014 में जब केंद्र सरकार बनी तभी से माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इस गंभीर विषय पर अपना ध्यान दिया।


मुख्य वक्ता श्री कैलाश विजयवर्गीय ने अपने वक्तव्य में बताया, कि बंगाल का इतिहास बहुत ही गरिमामई है क्योंकि बंगाल में ईश्वर चंद्र विद्यासागर, राजा राममोहन राय, रविंद्र नाथ टैगोर, बंकिम चंद्र चटर्जी, भगिनी निवेदिता जैसी महान व्यक्तित्व का जन्म हुआ है, और उन्होंने इस ताने-बाने  को सही करने का प्रयास भी किया है।


उन्होंने कहा, कि यदि हम स्वाधीनता आंदोलन में क्रांति की बात करें, तब सुभाष चन्द्र बोष जैसे क्रांतिकारी अपने देश की रक्षा करने में शहीद हो गए। आज हमारा वंदे मातरम गीत, हमारा राष्ट्रगान बंगाल की ही देन रहा है। जब-जब हमारे देश का स्वाधीनता सेनानी अंग्रेजों के समक्ष अपने देश के तिरंगे झंडे को लेकर लड़ाई में उतरते थे, उन्होंने तिरंगे को कभी भी झुकने नहीं दिया​। यदि गोली लगकर कोई देश का स्वाधीनता सेनानी गिरने वाला होता था, तब दुसरा देश प्रेमी उस तिरंगे झंडे को पकड़कर गिरने से बचा देता था। परंतु झंडे को कभी भी गिरने नहीं देते थे।


उन्होंने पश्चिमी बंगाल का विज्ञान में योगदान पर कहा,कि यदि हम विज्ञान की बात करते हैं, तब वैज्ञानिकों में जगदीश चंद्र बोस जैसे महान वैज्ञानिक का जन्म बंगाल में ही हुआ। इसके अतिरिक्त यदि सिनेमा या बॉलीवुड की बात की जाए, तब अशोक कुमार, हेमंत सत्यजीत रे, किशोर कुमार आदि अनेक कलाकार बंगाल की ही देन रहे है। कला, साहित्य, संगीत इन सभी विधाओं में बंगाल का भरपूर सहयोग रहा है। यदि पुरानी बात की जाए तो हम देखते हैं कि जिस प्रकार से आज मुंबई आर्थिक रूप से राजधानी बना हुआ है, उसी प्रकार बंगाल भी  पुराने समय में आर्थिक राजधानी हुआ करता था। बंगाल और कोलकाता में ही सभी प्रकार के आर्थिक गतिविधियां हुआ करती थी, क्योंकि उस समय कोलकाता ही देश की राजनीतिक राजधानी हुआ करती थी, और उस समय लोग रोजगार को ढूंढने के लिए बंगाल में जाया करते थे। उस समय भारत की जीडीपी में बंगाल और कोलकाता का एक विशेष योगदान भी हुआ करता था।

मुख्य वक्ता कैलाश विजयवर्गीय ने बंगाल पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, कि आज बंगाल का गौरव खतरे में हैं, आज की जो वर्तमान स्थिति है, वह बहुत ही भयावह हो चुकी है और बंगाल और कोलकाता के लोग ही व्यापार की खोज में इधर उधर भटक रहे हैं और देश की जीडीपी में बंगाल का केवल 2.5% हिस्सा ही रह गया है। बंगाल के इतिहास में केवल श्यामा प्रसाद मुखर्जी ही ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने अपनी दूरदर्शिता से हिंदूओं​ के हितों की रक्षा करने के लिए धारा 370 का विरोध किया था। उस समय श्यामा प्रसाद मुखर्जी जवाहरलाल नेहरु के मंत्रिमंडल के सदस्य रहे थे। आपने तभी उनके मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा दे दिया। धारा 370 का घोर विरोध किया। उसमें 10000 से भी ज्यादा लोगों ने  जेल भरो आंदोलन के तहत कश्मीर में जेलों को भर डाला वहीं पर संदिग्ध परिस्थितियों में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मृत्यु हो गई। यह धारा 370, सन् 1952 से लेकर आज तक चली आई। परंतु प्रधानमंत्री  श्री नरेंद्र मोदी ने एवं अमित शाह ने धारा 370 को हटाकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी को अपनी श्रद्धांजलि दी।

उन्होंने कहा,कि बंगाल के अंदर आज हमारे संघ स्वयंसेवक कार्यकर्ता, और आम जनता बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं रह गये है, क्योंकि वहां पर आए दिन महिलाओं के साथ उत्पीड़न शोषण और दुष्कर्म जैसी शर्मनाक घटनाएं सामने आ रही है।

उन्होंने राष्ट्र हित में सूचनाओं के प्रसार फर चिंता व्यक्त करते हुए कहा,कि बंगाल का स्थानीय मीडिया किसी भी घटना को अपने समाचार पत्रों, टीवी चैनलो ओर अन्य मीडिया माध्यमो के द्वारा आम जनता तक नही पहुंचा रहा है, और सुरक्षात्मक खबरों को जनसामान्य के सामने भी नहीं ला रहा है, कुछ राष्ट्रीय मीडिया भी इक्का-दुक्का खबरें ही देता है। ऐसा प्रतीत होता है मानो, कि वहां का मीडिया घुसपैठियों के दबाव में कार्य कर रहा है।


उन्होंने एक घटना का संदर्भ देते हुए बताया,कि एक कार्यकर्ता अपने परिवार, पत्नी, माता-पिता के साथ चुनाव का फॉर्म भरने जा रहा था तभी वामपंथियों में से कुछ घुसपैठियों ने आकर उसके सिर में गोली मार दी और उसे मौत के घाट उतार दिया। इस प्रकार की घटनाएं वहां दिन-प्रतिदिन हो रही है, जिसके कारण आम जनता के मन में भय और डर का माहौल पैदा हो गया है। रोजाना लोगों की हत्याएं​ और गंभीर अपराध हो रहे है। बंगाल से लोग पलायन कर रहे हैं। जो कार्यकर्ता संगठनों में कार्य कर रहे हैं, उन पर झूठे मुकदमे किए जा रहे हैं और उनकी हत्या करवाई जा रही है और उसके साथ उन्हें डराया धमकाया भी जा रहा है। जिसके साथ बंगाल में लोकतंत्र का तो लोक ही होता जा रहा है। जिस राज्य की महिला मुख्यमंत्री हो और उस राज्य की महिलाओं पर प्रतिदिन अत्याचार दुष्कर्म, उत्पीड़न, शोषण और हत्याओं जैसे मामले सामने आते हो यह देश के लिए बड़ी ही चिंताजनक और शर्मनाक बात है।

उन्होंने वामपंथियो द्वारा  किए जा कुकृत्य पर कहा,कि वामपंथियों ने लोगों के मन में ऐसा प्रकार का जहर घोल दिया है, जो एक दूसरे के प्रति घृणा उत्पन्न कर दें।


मुख्य वक्ता कैलाश विजयवर्गीय जी ने चुनाव बाद बंगाल की स्थिति पर बताया, कि भले ही भाजपा बंगाल में सरकार नहीं बना पाई, परंतु बंगाल में भाजपा की 77 सीटें आई है। बंगाल में  2 मई तारीख के चुनाव परिणाम के बाद पूर्व नियोजित गंभीर अत्याचार और हत्याओं क्रम शुरू हो गया है, भय पैदा करने के लिए महिलाओं से दुष्कर्म, आमजनों के घरों, दुकानों में आगजनी की गई। वहां चारों ओर महिलाओं की चीखे चिल्ला रही है, भाजपा कार्यकर्ता देख रहा हैं, पुलिस भी  देख रही हैं। आज यह बहुत ही कष्ट का विषय है,कि पश्चिमी बंगाल में कार्यकर्ताओं का बड़ा ही बलिदान हुआ है। परंतु वे आज भी पीछे नहीं है, इसमें एससी एसटी आयोग, महिला बाल विकास आयोग सभी जाकर वहां पर रिपोर्ट दे रहे हैं मानव अधिकार आयोग की टीम गठित की गई और रिपोर्ट मांगी गई है सबसे बड़ी दुर्भाग्य की बात यह है कि बंगाल की किसी भी अखबार चैनल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कुछ भी प्रकाशित नहीं हो पा रहा है, राष्ट्रीय मीडिया तो कुछ प्रयास करता भी है।

उन्होंने बताया, कि सन 2014 के बाद केंद्र में भाजपा की सरकार आने के पश्चात भाजपा ने देश के उन क्षेत्रों जैसे कि बंगाल, बिहार ,आसाम आदि में अपना ध्यान दिया। वहां पर घुसपैठियों की अधिक संख्या हो रही है।

उन्होंने कार्यकर्ताओं के समर्पण पर कहा,कि वे कहते हैं, कि भाजपा पार्टी के लिए काम नहीं करते हैं। जबकि भाजपा कार्यकर्ता जो काम करते हैं, वह हमेशा देश के लिए काम करते हैं। हम सभी को मिलकर बंगाल के लिए कार्य करना है। घुसपैठियों के साथ में नक्सली, हथियार, नकली नोट अधिक मात्रा में आते हैं। अभी हाल ही में रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे ज्यादा नकली नोट पहले नेपाल से आते थे, परंतु अब बंगाल से ही इसकी ज्यादा पुष्टि हो रही है।

मुख्य वक्ता और पश्चिमी बंगाल भाजपा प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय जी ने अपने श्रोताओं के अनेक प्रश्नों का बहुत ही गंभीरता से सरलतम रूप में उत्तर दिया जिनमें अधिकतर प्रश्न बंगाल की जो भयावह स्थिति है, उसी के विषय में पूछे गए बंगाल की स्थिति के विषय में विजय वर्गीय जी ने बताया,कि यदि आपको मकान भी बनाना है, तब उसके लिए ईट का भाव भी वही नक्सली ही तय करते हैं। मजदूर की मजदूरी भी वे नक्सली ही तय करते हैं, वही लोग वहां की व्यवस्था को देखते हैं। नक्सली ही चुनाव के समय मीडिया को भी धमकाया डराया जा रहा है। जिसके कारण वहां की सूचना बाहर नहीं आ पा रही है।

कार्यक्रम के संचालक डॉ0 प्रवीण कुमार तिवारी ने ऑनलाइन माध्यम से जुड़े दर्शकों द्वारा भेजे गए प्रश्नों पर आधारित प्रश्नोत्तर सत्र को संचालित किया। मुख्य वक्ता श्री कैलाश विजयवर्गीय ने उन प्रश्नों पर अत्यंत स्पष्टता से अपने विचार प्रस्तुत किए।


इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे, पूर्व न्यायाधीश, उच्च न्यायालय, उत्तराखण्ड न्यायमूर्ति श्री लोकपाल सिंह जी ने अपने वक्तव्य में कहा, कि सत्ता की लोलुपता के कारण ही पश्चिमी बंगाल की जनता का शोषण करवाया जा रहा है तथा वहां की आम-जनता को डराया धमकाया जा रहा है। लोगो से कहा जाता है कि वे हमें वोट करें। यदि कोई पार्टी टक्कर देती है तो उसके  कार्यकर्ताओं के साथ अत्याचार किया जा रहा है। वोटर का अपना अधिकार छीना जा रहा है भारतीय संविधान का बंगाल में उलंघन हो रहा है। यदि हम देश के संविधान की प्रस्तावना को पढे, तब उसमें राज्य और केंद्र सरकार के संबंधों का उल्लेख मिलता है। जिस में उल्लेखित है, कि यदि राज्य सरकार अपने यहां की जनता की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा नहीं कर पा रहा है, तब केंद्र सरकार राष्ट्रपति के अनुमोदन के अनुसार राज्य  में राष्ट्रपति शासन ला सकती है और यह भी बताया गया है कि देश के प्रत्येक नागरिक को अपनी धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है। अपनी निजता का अधिकार है। अभिव्यक्ति का अधिकार है। इसी प्रकार लोकतांत्रिक देश में जनता के लिए जनता का शासन होना अति आवश्यक है। उन्होंने न्यायालय में चल रहे अनेक घटनाओं को विस्तार से बताया।


प्रज्ञा प्रवाह क्षेत्रीय व्याख्यान के अवसर पर देवभूमि विचार मंच, उत्तराखण्ड के अध्यक्ष, डॉ0 चैतन्य भंडारी जी; क्षेत्रीय कार्यक्रम के सह-संयोजक और भारतीय प्रज्ञान परिषद, मेरठ के प्रान्त संयोजक इंजी. श्री अवनीश त्यागी जी; कार्यक्रम के आयोजक मण्डल के सदस्य, श्री रवि कुमार जोशी जी, प्रोफेसर तूलिका सक्सेना जी, डॉ0 देवेश मिश्राजी, डॉ शीला टावरीजी, डॉ पृथ्वी काला, डॉ नीरज मौर्यजी, डॉ रजनीश गौतम, डॉ सूर्य प्रकाश अग्रवाल, डॉ सविता वर्मा, डॉ अलका तिवारी, डॉ वंदना वर्मा, डॉ भास्कर द्विवेदी, अनुराग विजय सहित प्रज्ञा प्रवाह के तीनों प्रान्तीय मंचों के पदाधिकारी व कार्यकर्तागण, शोधार्थी, समाज के प्रबुद्ध जनों के साथ मीडिया से सम्मानित पत्रकार बंधु आदि सहभागी रहे। कार्यक्रम में यूट्यूब चैनेल तथा फ़ेसबुक पेज के माध्यम से लगभग लगभग एक हजार से अधिक बुद्धिजीवियों ने व्याख्यान सुना।


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