माँ गंगा के अवतरण का पावन और शुभ दिन है। आज के दिन गंगा का शिवजी जटाओं से होती हुई धरती पर आई थी. गंगोत्री, हरिद्वार, गढ़मुक्तेश्वर, एवं गंगा नदी के तट पर श्रद्धालु स्नान, ध्यान, और पुण्य दान करते है.लगातार दूसरे वर्ष कोरोना महामारी के चलते यह पर्व उस उल्लास के साथ नही मनाया जा सका है । पिछले वर्ष इन दिनों अनलॉक 1 के तहत गंगा दशहरा स्नान की छूट सीमित संख्या में दी गयी थी। वहीं इस वर्ष गंगा दशहरा पर उत्तराखंड के बॉर्डर सील रहेंगे। बाहर के राज्यों से लोग स्नान हेतु नही आ सकेंगे। पुलिस द्वारा 3 दिन पूर्व ही से उत्तराखंड में गंगा दशहरा पर्व पर पर स्नान करने हेतु नही आने की अपील की है। केवल स्थानीय लोगों को स्नान की छूट रहेगी।
मान्यता है कि गंगा दशहरे पर गंगा स्नान करने से मनुष्य के 10 प्रकार के पापों का नाश होता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार गंगा दशहरा दस शुभ वैदिक गणनाओं के लिए मनाया जाता है। गंगा दशहरे में विचारों, भाषण और कार्यों से जुड़े दस प्रकार के पापों को धोने की गंगा की क्षमता है।
मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत ने गंगा दशहरा के पावन अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जीवनदार्यनी गंगा का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। बिना गंगा व अन्य पावन नदियों के लोक जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। यह हमारे अस्तित्व से जुड़ा विषय भी हैं।
उन्होंने इस अवसर पर प्रदेशवासियों का आह्वान किया है कि इस पावन अवसर पर हमें गंगा एवं अन्य नदियों के साथ ही सभी जल स्रोतों को पवित्र रखने में अपना योगदान देना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा नमामि गंगे और स्वच्छ भारत का जो संकल्प लिया है उस संकल्प को पूरा करने में भी हमें सहयोगी बनना होगा।
माँ गंगा के पावन चरणों में आज गंगा दशहरा के दिन लोग महामारी के चलते घर पर ही स्नान ध्यान कर पुण्य के भागी बनते है।
महाराजा सागर के पुत्रों की आत्मा शांति के लिए भगीरथ प्रयास से गंगा मैया का अवतरण इस धरा पर हुआ था। गंगा के वेग को सम्हालने वाले भगवान शंकर ने जन को संदेश दिया कि वें संभल जाएं , गंगा का वेग उनके जीवन को अस्त व्यस्त कर सकता है, इसीलिए गंगा को आदर सहित धरती पर लाकर उसका सदैव पवित्र स्मरण करें और पापों से मुक्ति पाएं।
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