हरिद्वार :
03 मार्च को निरंजनी अखाड़े की पेशवाई से कुंभ मेले का आगाज हो गया है और 4 मार्च को जूना अखाड़ा अग्नि अखाड़ा और आवान अखाड़े की पेशवाई की भव्य प्रदर्शन हरिद्वार में किया जाएगा।
कुंभ मेले में पेशवाई का अपना ही महत्व है भारत देश में सनातन धर्म से जुड़े हुए समस्त साधु संतों का जमावड़ा एक ही स्थान पर कुंभ अथवा अर्ध कुंभ के दौरान ही होता है। जहां सनातन धर्म की रक्षा हेतु और अपने धर्म की संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने हेतु सभी साधु संतों का समागम कई वर्षों बाद होता है।
इन साधु-संतों संतों का जीवन एक तपस्या है 12 वर्ष तक लंबे अंतराल के बाद पुनः एक ही स्थान पर एकत्रित होकर उस क्षेत्र के एवं हिंदू धर्म के रक्षा करने का संकल्प लेते हुए धर्म ध्वजा का आरोहण करना और अपनी भव्यता का प्रदर्शन करना आने वाली पीढ़ियों को यह बताता है कि हमारा धर्म और संस्कृति कितनी विशाल है। विभिन्न प्रांतों से आए साधु संत जनमानस में एक अभूतपूर्व चेतना का संचार करते हैं। यही नहीं अपने धार्मिक क्रियाकलापों से देश और प्रदेश की खुशहाली की कामना भी करते हैं।
निरंजनी अखाड़े की पेशवाई में एक शानदार बात देखने को मिली है और वह यह है कि धर्म ही नहीं बल्कि देश की भावना भी साधु संतों में साफ नजर आई। पेशवाई में चलने वाले बैंड से निकलने वाली धुने देशभक्ति का इशारा कर रही थी और मानो बता रही थी कि यह साधु संत ही नहीं है अपितु देश के सच्चे देशभक्त भी हैं इनके लिए ईश्वर ही नहीं ,अपना धर्म ही नहीं, अपनी संस्कृति ही नहीं बल्कि अपना देश भी सर्वोपरि है । यही वह भावना है जो हमारे देश की सदियों से रक्षा करती आई है और इसीलिए यह सनातनी संस्कृति सभी संस्कृतियों में महान मानी जाती है।
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा श्री पंच दशनाम आह्वान अखाड़ा श्री पंच अग्नि अखाड़ा की पेशवाई 4 मार्च को दोपहर 3 बजे पांडे वाला ज्वालापुर से गुघाल रोड, इंद्रपुरी तिराहा , खुदाना मोहल्ले , कोतवाली ज्वालापुर चौक , जामा मस्जिद बाजार, रेल चौकी ऊंचा पुल होते हुए आर्य नगर चौक, चंद्राचार्य चौक, ऋषिकुल रेलवे स्टेशन के सामने वाल्मीकि चौक होते हुए मायादेवी प्रांगण से लालतारो पुल स्थित छावनी में प्रवेश करेगी।
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