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     ऋषिकेश:                  

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में नेशनल स्कूल ब्रेकफास्ट वीक (8 -12 मार्च) के तहत की ओपीडी में मरीजों के लिए जनजागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें संस्थान की आहार एवं पोषण विशेषज्ञ द्वारा मरीजों व उनके तीमारदारों को सुबह का पहला आहार नाश्ता कैसा होना चाहिए तथा यह हमारे लिए क्यों आवश्यक है के बाबत जानकारी दी गई।                                                                                                                                                                          इस अवसर पर एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी ने बताया कि ब्रेकफास्ट दिनभर के आहार से सबसे अधिक महत्वपूर्ण आहार है।  निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने बताया कि खाने कि थाली में सतरंगी खाना सात रंग का भोज संतुलित खाने की पहचान है, ऐसा आहार मानव शरीर में होने वाले भिन्न- भिन्न तत्वों कि जरुरत को पूरा करता है जिससे शरीर में रक्त की कमी अथवा अन्य बीमारियां नहीं ही पाती हैं। लिहाजा सुबह का नाश्ता लेने के साथ साथ यह भी बहुत जरुरी व ध्यान देने योग्य बात है कि हमारा नाश्ता कैसा होना चाहिए।


डीन एकेडमिक एवं रेडिएशन ओंकोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मनोज गुप्ता जी की देखरेख में स्वस्थ जीवन के लिए नेशनल ब्रेकफास्ट वीक के अंतर्गत ओपीडी में आने वाले मरीजों के लिए आयोजित जनजागरुकता कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि भारतीय समाज की यह परम्परा रही है कि सुबह घर से जब काम पर निकलते हैं, तब घर का खाना खाकर ही निकलते है, मगर चूंकि आजकल घर के बाहर भी तरह- तरह का खाना उपलब्ध हो जाता है, इसलिए कई बार बहुत से लोग घर का खाना खाने की बजाए बाहर का भोजन खाते हैं, जो कि संतुलित आहार नहीं होता है। ऐसे में नौकरी-पेशा लोगों और हररोज घर से बाहर निकलने वाले लोगों को अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सुबह के नाश्ते पर खासतौर से ध्यान देना चाहिए।


इस अवसर पर डिपार्टमेंट ऑफ रेडिएशन ओंकोलॉजी की आहार एवं पोषण विशेषज्ञ डा. अनु अग्रवाल ने नोन कोविड स्क्रीनिंग ओपीडी में आए मरीजों तथा उनके तीमारदारों को बताया कि ब्रेकफास्ट एक ऐसी मील है, जिसमें दिनभर के खाने का सबसे बड़ा भाग होना चाहिए तथा इसमें सभी सात प्रकार के खाद्य समूह होना चाहिए।                                                                                                                                    

उन्होंने बताया कि शरीर की चयापचय प्रक्रिया को बढ़ाने के लिए, पूरे दिन शारीरिक तथा मानसिक कार्य के लिए शरीर को ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जो कि सिर्फ सुबह का संतुलित नाश्ता करने से ही पूरी हो सकती है। डायटीशियन डा. अनु ने बताया कि कई बार सुबह सवेरे समय की कमी व कई अन्य वजहों से स्कूल जाने वाले बच्चों का नाश्ता अधिकतर संतुलित नहीं होता है, लेकिन बच्चों का अधिकांश समय स्कूल में अथवा स्कूल से आने के बाद घर के बाहर खेलकूद में बीत जाता है, ऐसे में इन सब क्रियाओं के लिए बच्चों को अधिक पोषण की आवश्यकता पड़ती है।                                                                                                                                                        

बताया कि बच्चों की शारीरिक वृद्धि एवं विकास के लिए सुबह का नाश्ता पौष्टिक होना चाहिए, जिससे कि भविष्य में भी बच्चों को शारीरिक तथा मानसिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़े। कई बार बहुत से वयस्क लोग और इनमें ज्यादातर महिलाएं सुबह का नाश्ता नहीं करती हैं अथवा सुबह सोकर उठने के 2 से 3 घंटे बाद नाश्ता करते हैं, जिससे ऐसे लोगों को कई बार शारीरिक तथा मानसिक कमजोरी का भी सामना करना पड़ता है। इसकी वजह रात में सोने पर हमारे शरीर की ऊर्जा तथा अन्य तत्वों की अवश्यता पड़ती है, लिहाजा सुबह तक शरीर में जमा ऊर्जा भी कम हो जाती है, ऐसे में सभी के लिए आवश्यक है कि सुबह सोकर उठने के बाद एक घंटे के भीतर नाश्ता जरूर ले लें।                                                                                                                                                                               

कार्यक्रम में एम्स फैकल्टी तथा न्यूट्रिशन सोसायटी ऑफ इंडिया, उत्तराखंड चैप्टर की सदस्य प्रो. सत्यावती राणा, डाॅ. अनु अग्रवाल, डॉ. के. राजराजेश्वरी, डॉ. किरण मीणा ने भी विशेषरूप से आयोजन में सहयोग एवं प्रतिभाग किया।

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