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    ऋषिकेश :                                                                                                                                                                                          



अंतरराष्टीय महिला दिवस के अवसर पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। नर्सिंग कॉलेज की ओर से आयोजित कार्यक्रम में एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि हमारे देश में महिला सशक्तीकरण का संकल्प तभी पूरा होगा जब महिलाएं आर्थिक, शारीरिक और मानसिकरूप से सुदृढ़ हो पाएंगी।

महिला दिवस के मौके पर एम्स ऋषिकेश में आयोजित कार्यक्रम के दौरान महिलाओं को उनके स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों के प्रति जागरूक करते हुए बीमारियों से बचाव और निदान की जानकारियां दी गई। 

नर्सिंग काॅलेज व कंटिन्यूअस प्रोफेशनल डेवलपमेंट सीपीडी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी ने कहा कि जब तब महिलाएं पूर्णरूप से स्वस्थ नहीं होंगी, तब तक उनके सशक्तीकरण का स्वप्न अधूरा है। उन्होंने कहा कि अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहते हुए महिलाओं को नियमिततौर पर रक्त में हीमोग्लोबिन की जांच कराने के अलावा हेपेटाइटस और गर्भाशय कैंसर की वैक्सीन लगवानी चाहिए। आधुनिक जीवनशैली में बहुत जरूरी है कि प्रत्येक महिला अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दे। उन्होंने कहा कि भोजन में प्रोटीन की मात्रा दैनिकतौर से 1 ग्राम होनी जरूरी है। इसके अलावा स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से व्यायायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करना होगा। 


डीन एकेडमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता जी ने कहा कि महिलाएं एक कुशल प्रबंधक की भांति कार्य करती हैं। आवश्यकता पड़ने पर घर की आर्थिक व्यवस्था को भी वह सही ढंग से मैनेज कर लेती हैं, ऐसे में वह बेहतर अर्थशास्त्री भी होती हैं। उनमें सीमित बजट में परिवार का अर्थ प्रबंधन और परिवार को एक सूत्र में बांधकर रखने का विशेष कौशल होता है।


 नर्सिंग काॅलेज की प्राचार्य डा. वसंथा कल्याणी ने कहा कि महिलाओं के जीवन में कई तरह  की चुनौतियां आती हैं। लिहाजा वह इन चुनौतियों को स्वीकार कर जीवन के संघर्ष के लिए खुद को सक्षम बना लेती हैं। 


कार्यक्रम के दौरान एम्स निदेशक प्रोफेसर रवि कांत जी द्वारा संस्थान में बेहतर कार्य करने वाली विभिन्न विभागों से जुड़ी महिला कार्मिकों को सम्मानित भी किया गया।                       कार्यक्रम में डीन एलुमिनाई एवं आईबीसीसी की प्रमुख प्रो. बीना रवि, स्त्री रोग विभागाध्यक्ष डा. जया चतुर्वेदी आदि ने भी संबोधित किया। साथ ही नर्सिंग काॅलेज की छात्राओं ने महिला जागरुकता को लेकर मंचीय प्रस्तुतियां भी दीं। 


इस मौके पर संस्थान के प्रोक्टर प्रोफेसर वीके बस्तिया, सीपीडी प्रभारी डा. शालिनी राव, डा. भानु दुग्गल, डा. अनीसा आसिफ मिर्जा,प्रशासनिक अधिकारी श्रीमति संतोष, डीएमएस डा. अनुभा अग्रवाल, डा. अनुपमा बहादुर, डा. रश्मि मल्होत्रा, डा. प्रसूना जैली, डा. अंजुम, डा. किरन मीणा,डा.सत्यश्री, डा. रूबी गुप्ता, डा. स्वीटी गुप्ता,डा. सत्यावती राना, डा. दलजीत, डा. राजलक्ष्मी,जेवियर बेल्सियाल, रूपेंद्र देयोल, मलार कोडी,राखी मिश्रा, रूचिका रानी,पुष्पा रानी समेत कई नर्सिंग ट्यूटर मौजूद थे।



अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के स्त्री रोग विभाग की ओर से गाइनी ओपीडी में सर्वाइकल कैंसर विषय पर महिलाओं को इस बीमारी से बचाव संबंधी विस्तृत जानकारियां दी गई। इस दौरान विशेषज्ञ चिकित्सकों ने कहा कि कैंसर की बीमारी से बचने के लिए समय पर जांच बेहद जरूरी है। 


सोमवार को एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत  की देखरेख में गाइनी विभाग के तत्वावधान में महिलाओं को गर्भाशय के मुख के कैंसर को लेकर जागरुक किया गया। इस अवसर पर आईबीबीसी की प्रमुख व वरिष्ठ शल्य चिकित्सक प्रोफेसर बीना रवि जी ने कहा कि जागरुकता से ही बीमारियों से बचाव संभव है। इस दौरान उन्होंने महिलाओं को ब्रेस्ट व मुख के कैंसर को लेकर जागरुक किया। बताया कि 45 साल से अधिक आयु वाली प्रत्येक महिला को अपने ब्रेस्ट की जांच करवानी चाहिए। कहा कि स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह रहने की वजह से ही महिलाओं में कैंसर के मामले अधिक बढ़ रहे हैं। लिहाजा  उन्हें अपने स्तनों की जांच कराकर इस बीमारी से बचाव रखना होग   उन्होंने इस बीमारी के लक्षणों पर चर्चा करते हुए बताया कि छाती में गांठ का उभरना और ब्रेस्ट से पानी निकलना इसके लक्षण हो सकते हैं। 


स्त्री रोग विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जया चतुर्वेदी जी ने बताया कि गर्भाशय के मुख के कैंसर के लिए महिलाओं के लिए समय-समय पर स्क्रीनिंग कराना जरूरी है। उन्होंने बताया कि गर्भाशय के मुहं से बदबूदार पानी आना, ब्लीडिंग होना तथा दर्द का हमेशा बना रहना आदि गर्भाशय कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।


स्त्री रोग विभाग की एडिशनल प्रोफेसर वरिष्ठ सर्जन डा. अनुपमा बहादुर जी ने बताया कि गर्भाशय के मुख के कैंसर की जांच प्रक्रिया बहुत ही सरल है। जिसकी जांच मात्र 10 रुपए में हो जाती है। उन्होंने बताया कि सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए 9 से 14 वर्ष की किशोरियों को अनिवार्यरूप से वैक्सीन लगाई जानी चाहिए।                 कार्यक्रम को प्रो. शालिनी राव, डा. रूबी गुप्ता, डा. कविता खोईवाल, डा. राजलक्ष्मी मूंदड़ा व नर्सिंग काॅलेज की प्राचार्य डा. वसंथा कल्याणी, डा. प्रसूना जैली आदि ने भी संबोधित किया। 


कार्यक्रम में नर्सिंग छात्राओं ने वैक्सीन लगाओ कैंसर भगाओ के संदेश के साथ नुक्कड़ नाटक और पोस्टर प्रदर्शनी के माध्यम से ओपीडी में आई महिलाओं व उनके तीमारदारों को गर्भाशय के मुख के कैंसर के प्रति जागरुक किया गया व उन्हें इसके कारण और उपचार के बारे में जानकारियां दी गई। इस अवसर पर नर्सिंग ट्यूटर कुसुम रोहिला, कीर्ति, पीएचडी स्कॉलर नीतू आदि मौजूद थे।

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