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कोरोना के नए स्ट्रेन पर बोले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया- महीने में दो बार रूप बदलता है वायरस, घबराने की जरूरत नहीं

म्यूटेशन से लक्षण और इलाज की रणनीति में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं आया है: डॉ. रणदीप गुलेरिया



नई दिल्ली:

 

कोरोना वायरस पहले भी कई बार म्यूटेट यानी रूप बदल चुका है, एक अनुमान के तौर पर एक महीने में दो बार वायरस म्यूटेट होता है। ये कहना है एम्स के निदेशक और कोविड प्रबंधन पर बनी राष्ट्रीय टास्क फोर्स के सदस्य डॉक्टर रणदीप गुलेरिया का। 

डॉक्टर गुलेरिया का कहना है कि नए स्ट्रेन के लिए अनावश्यक चिंता करने की जरूरत नहीं है। डॉ. गुलेरिया का कहना है कि म्यूटेशन से लक्षण और इलाज की रणनीति में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं आया है। मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक, जो वैक्सीन अभी इमरजेंसी अप्रूवल के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं, वो यूके के नए स्ट्रेन पर भी प्रभावशाली होंगी।  डॉक्टर गुलेरिया ने आगे जोड़ा कि अगले छह से आठ हफ्ते कोरोना वायरस से लड़ने के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अब देश में कोरोना के मामलों और मरने वालों की संख्या में कमी आ रही है। 

डॉ. गुलेरिया का कहना है कि नया स्ट्रेन भले ही पहले वाले से ज्यादा खतरनाक हो, लेकिन इसके लिए अस्पताल में ज्यादा संख्या में भर्तियों की जरूरत नहीं है और ना ही इस स्ट्रेन से ज्यादा मरीजों की मौत होगी।  डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि पिछले दस महीनों में कई म्यूटेशन हो चुके हैं और अब ये सामान्य बात है। उन्होंने आगे कहा कि अगर जरूरत पड़ेगी तो टीका बनाने वाली कंपनियां इसके लिए वैक्सीन तैयार कर लेंगी। 

उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा समय में मुझे नहीं लगता कि वायरस में कोई बड़ा बदलाव होगा, इसलिए वैक्सीन में भी बदलाव करने की जरूरत नहीं है।डॉ. गुलेरिया का कहना है कि अगले साल के मध्य तक देश में छह से सात वैक्सीन बाजार में उपलब्ध हो जाएंगी। 

उन्होंने आगे कहा कि फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए कोरोना की वैक्सीन मुफ्त होगी और उसका खर्च केंद्रीय सरकार उठाएगी।

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