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  •  14 दिसंबर सायं 7:05 से रात्रि 12:25 तक रहेगा खग्रास सूर्यग्रहण:- रसिक महाराज
  • सोमवती अमावस्या को लगने वाला यह ग्रहण भारत में नहीं होगा दृष्टिगोचर सोमवार

नरेंद्रनगर:







 सोमवार 14 दिसंबर को सोमवती अमावस्या पर लगने वाला खग्रास सूर्यग्रहण का संपूर्ण भारत में कहीं भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

उक्त बात नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने प्रेस को जारी एक विज्ञप्ति में कही है।

कहा अमावस्या पर वर्ष के अंत में लगने वाला यह खग्रास सूर्यग्रहण संपूर्ण भारत में कहीं भी दृष्टिगोचर न होने के कारण,निष्प्रभावी रहेगा व सूतक भी नहीं माना जायेगा। कहा कि यह खग्रास सूर्यग्रहण साऊथ अफ्रीका,अमेरिका, चिली,अर्जेंटिना,पेरु आदि बाहरी देशों में पूर्ण रूप से दिखाई देगा।

  उन्होंने स्पष्ट किया कि 14 दिसंबर को भारतीय समयानुसार सायं काल 7 बजकर 5 मिनट से रात्रि 12 बजकर 25 मिनट तक ग्रहण रहेगा। इस ग्रहण का भारत में कहीं भी न दिखने पर धार्मिक महत्व नहीं होगा। ना ही कोई सूतक होगा।

  रसिक महाराज ने स्पष्ट करते हुए कहा कि इस ग्रहण का बृश्चिक राशि वालों पर बिशेष प्रभाव रहेगा,क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में यह राशि विष रसायनिक यानि दवाई , कैमिकल आदि का पर्याय मानी जाती है।

अतः इस समस्या के निदान के लिए विधि-विधान पूर्वक यह मंत्रोचार आवश्यक है।


" तमोमयं महाभीम् सोमसूर्य विमर्दन, 

हेमतारा प्रदानेन ममशान्ति प्रदोभवः। 


 महाराज रसिक बताते हैं कि सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का अपना एक अलग स्थान एवं महत्व है। प्रत्येक वर्ष में कुल 12 अमावस्या तिथियां पड़ती हैं।मगर इनमें "सोमवती अमावस्या" को विशेष महत्व दिया गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साल में दो बार सोमवती अमावस्या आती है। सोमवार के दिन पड़ने के कारण इसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। 


आप भी जानिए सोमवती अमावस्या का महत्व-

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 रसिक महाराज बताते हैं कि धार्मिक ग्रंथों में इससे जुड़ी कथा की मानें तो महाभारत में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को इस दिन की खास विशेषता बताते हुए कहा था कि कलियुग में जो भी मनुष्य इस दिन पावन नदी में स्नान करेगा उसे हर तरह की सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी। साथ ही सभी प्रकार के रोग और दुखों से मुक्ति मिलगी। जिस किसी को अपने पितरों की शांति करवानी हो, उन्हें इस दिन पावन नदियों में स्नान करके पितरों के नाम पर दान करना अत्यंत परोपकारी बताया गया है।

कहते हैं मान्यता है कि इस उपाय को करने से पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है।

 इस दिन मौन व्रत रखने वाले को सहस्त्र गोदान के समान फल की प्राप्ति होती है,तो महिलाएं इस दिन व्रत रखते हुए अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती हैं।


इस दिन क्या करें खास --


सोमवती अमावस्या के इस दिन महिलाओं को शिव जी से पति की दीर्घायु की कामना करनी चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पीपल के वृक्ष के मूल भाग में विष्णु जी और अग्रभाग में ब्रह्मा जी तथा तने में शिव जी का वास माना जाता है,इसी कारण सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है।

खासतौर पर विवाहित महिलाओं को इस दिन पीपल के वृक्ष को दूध, जल, पुष्प, अक्षत और चंदन से पूजा करने के साथ ही पति की दीर्घायु की कामना करते हुए पीपल के वृक्ष की 108 बार धागा बांधते हुए परिक्रमा करना अत्यंत फलदाई माना जाता है।

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