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सत्यवानि ब्यूरो,हरिद्वार:




भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,रुडकी की जल संसाधन एवं प्रबन्धन विभाग में संचालित ग्रामीण कृषि-मौसम सेवा परियोजना तथा क्षेत्रीय समन्वय संस्थान, उन्नत भारत अभियान, आई आई टी रुड़की के संयुक्त तत्त्वाधान में “रबी फसलों के प्रबन्धन में कृषि-मौसम सेवाओं की भूमिका” विषय पर किसान जागरूकता वेबिनार का आयोजन किया गया।


 वेबिनार में मुख्य वक्ता के रूप में पन्त नगर कृषि विश्वविद्यालय के कीट वैज्ञानिक प्रो० ए के पाण्डेय द्वारा किसानों को विभिन्न रबी फसलों में मौसम अनुकूल कीटों के प्रकोप तथा उनके प्रबन्धन के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की गई ।


 'दक्षिण-पश्चिम उत्तराखण्ड में रबी की प्रमुख फसलों में रोग व कीट प्रबन्धन' विषय पर अपना विचार प्रस्तुत करते हुए प्रो० पाण्डेय ने बताया कि जाड़े के महीने में कई कीट ऐसे हैं जिनकी सक्रियता ठण्ड के कारण काफी धीमी पड़ जाती है, ऐसे में किसानों को कीट विशेषज्ञ से परामर्श किये बिना अनावश्यक रूप से कीटनाशकों के छिड़काव से बचना चाहिए. इससे जहाँ एक तरफ उत्पादन लागत में कमी आने से किसानों को आर्थिक लाभ प्राप्त हो सकेगा, वहीं दूसरी तरफ हमारे पर्यावरण व स्वास्थ्य को भी फायदा पहुंचेगा. इसके लिए कृषि-मौसम प्रक्षेत्र इकाई रुड़की द्वारा किसानों को प्रदान की जा रही कृषि-मौसम परामर्श सेवाओं का नियमित अवलोकन करते रहने से इस सम्बन्ध में जरुरी जानकारी प्राप्त होती रहेगी. उन्होंने बताया कि कोहरे इत्यादि के कारण मौसम में आर्द्रता बढ़ने तथा बदली की परिस्थितियों में गेहूं, सब्जियों व सरसों इत्यादि में 'माहो' कीट का सर्वाधिक प्रकोप देखने को मिलता है, ऐसे में किसान भाई रासायनिक कीटनाशकों के स्थान पर नीम का तेल प्रयोग कर सकते हैं. इसके अतिरिक्त किसानों द्वारा यूरिया के अंधाधुंध प्रयोग के दुष्प्रभाव से सचेत करते हुए उन्होंने बताया कि वातावरण में नमी अधिक होने पर यूरिया की अत्यधिक मात्रा होने से रसचूसक कीट जैसे माहो, थ्रिप्स इत्यादि के प्रकोप की सम्भावना बढ़ जाती है।


इसलिए किसानों को यूरिया का संस्तुत मात्रा में ही प्रयोग करने की सलाह दी जाती है. वेबिनार के मुख्य अतिथि भारत मौसम विभाग, नई दिल्ली के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ० आनन्द शर्मा ने "कृषि मौसम सलाहकारी सेवाओं की अभिनव प्रगति" विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया. डॉ शर्मा ने बताया कि मौसम विभाग रिमोट सेंसिंग के प्रयोग द्वारा मृदा में नमी की मात्रा तथा एन डी वी आई तकनीक का उपयोग करके एग्रोमेट एडवाइजरी बुलेटिन्स की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए काम कर रहा है. इससे पहले जल संसाधन विकास एवं प्रबन्धन विभागाध्यक्ष प्रो० एम एल कंसल ने कहा कि इस समय रबी फसलों की बुवाई का समय चल रहा है, ऐसे में किसानों के लिए मौसम व फसल सलाह अत्यंत आवश्यक हो जाती है।


उन्होंने विभाग द्वारा किसानों के हित में किये जा रहे कार्यों के बारे में विस्तार से चर्चा किया तथा भरोसा दिलाया कि किसानों के हित में भविष्य में इन सेवाओं को और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए विभाग के स्तर पर निरंतर प्रयास जारी रहेगा. ग्रामीण कृषि-मौसम सेवा परियोजना के नोडल अधिकारी तथा उन्नत भारत अभियान, क्षेत्रीय समन्वय संस्थान, आई आई टी रुड़की के क्षेत्रीय समन्वयक प्रो० आशीष पाण्डेय ने कृषि-मौसम प्रक्षेत्र इकाई रुड़की द्वारा किसानों को उपलब्ध कराई जा रही विभिन कृषि- मौसम परामर्श सेवाओं के बारे में स्लाइड प्रेजेंटेशन के माध्यम से विस्तारपूर्वक अवगत कराया. उन्होंने अन्य लोगों के अलावा विशेष रूप से उन्नत भारत अभियान कार्यक्रम से जुड़े समन्वयकों, सरपंचों तथा प्रधानों से कृषि मौसम परामर्श सेवाओं का लाभ अधिक से अधिक किसानों तक पहुँचाने में उनके सहयोग की अपेक्षा किया. उन्होंने कहा कि कृषि व किसानों को समृद्ध करने के प्रयास में प्रत्येक व्यक्ति की सहभागिता आवश्यक है क्योंकि कृषि व किसानों की समृद्धि ग्रामीण विकास की धुरी है.. वेबिनार के अन्त में धन्यवाद ज्ञापन ग्रामीण कृषि-मौसम सेवा परियोजना के तकनीकी अधिकारी डॉ० अरविन्द कुमार ने प्रस्तुत किया।


वेबिनार में किसानों की जिज्ञासाओं का विशेषज्ञों द्वारा समाधान भी प्रस्तुत किया गया. उक्त वेबिनार में किसानों, विभिन्न कृषि-मौसम प्रक्षेत्र इकाइयों के तकनीकी अधिकारी, कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक, जल संसाधन विकास एवं प्रबन्धन विभाग से प्रो० आर डी सिंह, प्रो० काशी विश्वनाथन सहित उन्नत भारत अभियान कार्यक्रम के समन्वयकों, सरपंच तथा प्रधानों ने प्रतिभाग किया।

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