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 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लोगों से आग्रह किया है कि वे इस दीवाली को सैनिकों के लिए अभिवादन के रूप में प्रकाशित करें।  

श्री मोदी ने एक ट्वीट में कहा, हमें उन सैनिकों को सलामी के रूप में दीया जलाना चाहिए जो निडर होकर हमारे राष्ट्र की रक्षा करते हैं।

उन्होंने कहा, हम सीमाओं पर रहने वाले लोगों के परिवारों के भी आभारी हैं। प्रधानमंत्री ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो भी पोस्ट किया। प्रधानमंत्री कल दिवाली के अवसर पर जैसलमेर पहुंचेंगे और वहां जवानों के साथ दिवाली मनाएंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 से लगातार देश के जवानों के साथ ही दिवाली मनाते हैं.


आज पूरे देश में रोशनी का त्योहार दिवाली मनाई जा रही है। इस मौके पर मंदिरों से लेकर घरों तक को दीयों और लाइटों से सजाया गया है। वहीं, दीवाली के इस पावन मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत कई नेताओं ने देश को बधाई दी। 

 राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिवाली की शुभकामना देते हुए लोगों से प्रदूषण को लेकर सावधानी बरतने का आग्रह किया। राष्ट्रपति ने ट्वीट कर कहा, 'दिवाली के शुभ अवसर पर मैं सभी देशवासियों और विदेश में बसे सभी भारतीयों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। मेरी कामना है कि खुशियों और प्रकाश का यह महापर्व, देश के हर घर में सुख, शांति और समृद्धि का संचार करे। 

दिवाली स्वच्छता का भी उत्सव है इसलिए हम प्रदूषण से मुक्त, पर्यावरण के अनुकूल और स्वच्छ दिवाली मनाकर प्रकृति का भी सम्मान करें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को दिवाली की बधाई देते हुए कहा, 'सभी देशवासियों को दीपावली की हार्दिक मंगलकामनाएं। सभी को शुभ दिवाली की बधाई! इस त्योहार को और अधिक उज्ज्वल और प्रसन्नता दें। सभी लोग समृद्ध और स्वस्थ रहें। 

वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोगों को शुभकामनाएं देते हुए कहा, 'दीपावली का यह पवित्र पर्व सभी देशवासियों के जीवन में सुख और समृद्धि लाए, सभी के उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।

 

दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है  दीपावली दीपों का त्योहार है। आध्यात्मिक रूप से यह 'अन्धकार पर प्रकाश की विजय' को दर्शाता है।
भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। 

‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’  (हे भगवान!) मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाइए। 

यह उपनिषदों की आज्ञा है। इसे सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं। जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं तथा सिख समुदाय इसे बन्दी छोड़ दिवस के रूप में मनाता है।

माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे।[9] अयोध्यावासियों का हृदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा था। श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए। 

कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं। भारतीयों का विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है झूठ का नाश होता है। दीवाली यही चरितार्थ करती है- असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय। 


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